Zubeen Garg Death Case: 3 महीने बाद गुवाहाटी कोर्ट में पहली सुनवाई, एक-एक आरोप का होगा हिसाब
असम की संगीत दुनिया को झकझोर देने वाले मशहूर गायक जुबीन गर्ग की रहस्यमयी मौत से जुड़ा मामला आज एक अहम मोड़ पर पहुंच गया है. लंबे इंतज़ार के बाद इस केस की पहली सुनवाई होने जा रही है. जिस मामले ने पूरे असम को सदमे और सवालों में डाल दिया था, वह अब अदालत की चौखट पर है, जहां सच्चाई की परतें खुलने की शुरुआत होगी.
असम के मशहूर गायक जुबिन गर्ग की रहस्यमयी मौत को लेकर चल रही जांच अब अदालत के दायरे में पहुंच चुकी है. करीब तीन महीने बाद गुवाहाटी की अदालत में इस मामले की पहली सुनवाई होने जा रही है. जिस केस ने राज्यभर में हलचल मचा दी थी, अब उसमें एक-एक आरोप पर कानूनी तौर पर जवाब मांगा जाएगा.
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SIT की लंबी जांच, सैकड़ों गवाहों के बयान और हजारों पन्नों की चार्जशीट के बाद यह सुनवाई उस प्रक्रिया की शुरुआत है, जहां सच और आरोपों का हिसाब कोर्ट के सामने रखा जाएगा.
आरोपियों की होगी वर्चुअल पेशी
आज सभी सात आरोपियों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) की अदालत में पेश किया जाएगा, लेकिन वे कोर्ट में खुद मौजूद नहीं होंगे. यह पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी. पहले अदालत ने आरोपियों को सीधे कोर्ट लाने का आदेश दिया था, लेकिन पुलिस और CID/SIT ने बताया कि इससे कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है. इस दलील को मानते हुए कोर्ट ने ऑनलाइन पेशी की इजाजत दे दी.
SIT ने फाइल की 2,500 पन्नों की चार्जशीट
सुनवाई शुरू होने से पहले SIT की तरफ से तैयार की गई 2,500 से ज्यादा पन्नों की चार्जशीट की कॉपी सभी आरोपियों को उनके-अपने जेल, बकसा और हाफलोंग में दी जाएगी. इस चार्जशीट में 19 सितंबर 2025 को सिंगापुर में हुई जुबीन गर्ग की मौत से जुड़ी जांच की पूरी जानकारी शामिल है. सात आरोपियों में से चार पर हत्या का मामला दर्ज किया गया है, जो भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103 के तहत है.
तीन महीने, 300 गवाह और एक लंबी जांच
इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच के लिए बनाई गई SIT ने करीब तीन महीने तक पूरी गंभीरता से पड़ताल की. इस दौरान लगभग 300 लोगों के बयान दर्ज किए गए. हर एक सबूत और बयान को ध्यान से जोड़कर अंत में चार्जशीट तैयार की गई. यह साफ दिखाता है कि जांच एजेंसियों ने मामले को बहुत गंभीरता और सावधानी से संभाला है.
आरोपियों को कानूनी हक की गारंटी
कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि हर आरोपी को वकील की मदद लेना उसका अधिकार है. अगर कोई वकील केस करने से मना करता है, तो अदालत लीगल एड डिफेंस काउंसल को नियुक्त करेगी, ताकि किसी पर बिना वकील के मुकदमा न चले. जुबिन गर्ग की अचानक हुई मौत ने न केवल उनके फैंस को सदमे में डाल दिया, बल्कि पूरे असम में लोग इसका सच जानना चाहते हैं. आज की सुनवाई उस लंबी कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत है, जो यह तय करेगी कि इस रहस्य के पीछे सच क्या है और कौन जिम्मेदार है.





