क्या है कोरोनर जांच, जो Zubeen Garg की मौत का खोलेगी असली राज, सिंगापुर में शुरू हुई ये इंवेस्टिगेशन
असम के मशहूर गायक जुबीन गर्ग की मौत ने अब एक नया मोड़ ले लिया है. 19 सितंबर को सिंगापुर में एक यॉट पार्टी के दौरान डूबने से हुई उनकी संदिग्ध मौत को लेकर अब सिंगापुर में कोरोनर जांच शुरू की गई है. यह जांच साधारण पुलिस इन्वेस्टिगेशन नहीं, बल्कि एक कानूनी प्रक्रिया है.

भारत के उत्तर-पूर्व का नाम दुनिया भर में म्यूजिक के जरिए रोशन करने वाले असम के दिग्गज गायक जुबीन गर्ग की मौत का मामला अब और जटिल होता जा रहा है. 52 साल के सिंग की मौत 19 सितंबर को सिंगापुर में एक यॉट पार्टी के दौरान डूबने से हुई थी. शुरुआत में इसे दुर्घटनावश मौत माना गया, लेकिन अब सिंगापुर पुलिस ने इस मामले को औपचारिक रूप से ‘कोरोनर केस’ घोषित कर दिया है.
ऐसे मामलों को तब दर्ज किया जाता है जब मौत की परिस्थितियां संदेह पैदा करें. इसका सीधा मतलब है कि जांच अधिकारियों को जुबीन की मौत में कुछ अनसुलझे सवाल नजर आ रहे हैं. चलिए ऐसे में जानते हैं क्या है कोरोनर केस?
यॉट में क्या हुआ था?
सिंगापुर में 20-21 सिंतबर को ‘नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल’ होना था, लेकिन इससे एक दिन पहले यानी 19 सिंतबर को जुबिन गर्ग अपने कुछ साथियों के साथ यॉट पर गए, जहां स्विमिंग करते वक्त वह बेहोश हो गए, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत करार दिया और उनकी मौत का कारण डूबना बताया गया.
क्या होता है कोरोनर केस?
जुबिन गर्ग की मौत का मामला अब ‘कोरोनर केस’ है. सिंगापुर के अटॉर्नी जनरल चैम्बर्स के अनुसार, यह जांच तथ्यों की सच्चाई खोजने की प्रक्रिया होती है. इसका उद्देश्य पता लगाना है कि मौत कब, कैसे और किन परिस्थितियों में हुई. ऐसा तब किया जाता है जब मामला संदेहास्पद, अवैध कार्य या लापरवाही से जुड़ा हो. पुलिस रिपोर्ट पहले कोरोनर को सौंपी जाती है. कोरोनर सजा तय नहीं करता, बल्कि तथ्यों पर आधारित निष्कर्ष और सिफारिशें रखता है.
जुबिन केस में 7 लोग गिरफ्तार
जुबीन गर्ग की मौत को लेकर शक सिर्फ सिंगापुर में ही नहीं, बल्कि भारत में भी गहराता जा रहा है. असम पुलिस ने इसे साधारण हादसा मानने से इनकार करते हुए केस को आपराधिक दिशा में आगे बढ़ाया है. पुलिस ने इस मामले में हत्या, आपराधिक साजिश, गैरइरादतन हत्या और लापरवाही से मौत जैसी गंभीर धाराओं के तहत FIR दर्ज की है. जांच के दौरान अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. सबसे चौंकाने वाली गिरफ्तारी जुबीन के दो निजी सुरक्षा अधिकारियों (PSO) नंदेश्वर बोराह और पारेश बैश्य की है. ये दोनों लंबे समय से उनके साथ जुड़े थे और 2013 में तब तैनात किए गए थे जब उग्रवादी संगठन ULFA ने जुबीन को हिंदी गाने पर धमकी दी थी. सुरक्षा देने वाले ये दोनों ही अब जांच के घेरे में हैं, जिससे इस केस का रहस्य और गहरा हो गया है.