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Zubeen तो चले गए, पर उनके गम में अब भी डूबा है गुवाहाटी, लोग बोले- 'सबसे बड़े सिंगर होने के यही होते हैं मायने'

गुवाहाटी की कलाकार रूपम मुदोई के मुताबिक रविवार को असम का माहौल उदास और खामोश था. हर कोई जुबिन का प्रशंसक बन गया. यह अपने आप में साबित करता है कि लोग उनसे कितना प्यार करते थे. हर कुछ कदम पर, लगभग हर दुकान के सामने, लोगों ने एक छोटी सी श्रद्धांजलि के रूप में अगरबत्ती जलाई. ऐसा उनके सम्मान में सबने किया.

Zubeen तो चले गए, पर उनके गम में अब भी डूबा है गुवाहाटी, लोग बोले- सबसे बड़े सिंगर होने के यही होते हैं मायने
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असम के सबसे बड़ा गायक, अभिनेता, संगीतकार और गीतकार के जुबिन गर्ग का 19 सितंबर को निधन हो गया. उनके निधन की सूचना मिलने के बाद से वैसे तो पूरा देश चौंक गया, लेकिन पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा राज्य असम का जनमानस तभी से 'निशब्द' है. इसका नजारा रविवार को उस समय देखने को मिला जब उनका पार्थिव शरीर गुवाहाटी पहुंचा. गुवाहाटी हवाई अड्डे से उनके शव को मूल आवास तक पहुंचने में 5 घंटे से ज्यादा समय लग गए. इस दौरान रास्ते में हजारों लोग फफक रोते दिखाई दिए. सभी के सभी उनके पार्थिव शरीर को देखते हुए सड़क किनारे खड़े दिखाई दिए. पूछने पर लोगों ने बताया कि जुबिन गर्ग होने का यही होता है मायने.

वास्तव में, ऐसा हो भी क्यों नहीं, जरा यादव साल 2006. इमरान हाशमी, कंगना रनौत और शाइनी आहूजा अभिनीत अनुराग बसु की 'गैंगस्टर' फिल्म मामूली उम्मीदों के साथ सिनेमाघरों में उतरी. फिल्म की समीक्षाएं मिली-जुली थीं, बॉक्स ऑफिस पर कमाई साधारण रही, लेकिन जो चीज फिल्म से ज्यादा समय तक चली, वह उसका कथानक या अभिनय नहीं, बल्कि उसका संगीत था. संगीत दिया था जुबीन गर्ग ने.

पूरी पीढ़ी के दिलों को छू गया था 'या अली...'

एनडीटीवी के अनुसार असम के सबसे बड़े और कई भाषाओं के सिंगर जुबिन गर्ग ने कहा था कि, 'एक गीत, 'या अली...', ने उस दौर की पूरी पीढ़ी के दिलों को छू लिया. इसकी धुन कॉलेज कैंटीन से लेकर आस-पड़ोस के कैसेट स्टॉल तक, रात की बसों से लेकर देर रात हॉस्टल के जाम सेशन तक पहुंच गई. उस गीत के पीछे एक ऐसी आवाज थी जो कई लोगों के लिए, उनकी युवावस्था से अविभाज्य बन गई.'

जुबिन के निधन ने असम को 'पंगु' बना दिया

गैंगस्टर फिल्म रिलीज होने के लगभग दो दशक बाद, इस गायक की अचानक मृत्यु ने उनके गृह राज्य असम को पंगु बना दिया. गुवाहाटी में सामान्य जनजीवन ठप पड़ गया. दुकानें बंद हो गईं, सेवाएं ठप हो गईं, सड़कों पर भीड़ उमड़ पड़ी. यह दुःख सिर्फ एक कलाकार को खोने का नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक को खोने का भी था जिसने असम को दुनिया भर में पहुंचाया.

रविवार को गुवाहाटी थम...

रविवार को हजारों लोग गुवाहाटी हवाई अड्डे से काहिलीपाड़ा तक जहां जुबिन गर्ग का निवास है यानी 25 किलोमीटर लंबे रास्ते पर कतार में खड़े थे. उनका पार्थिव शरीर शनिवार की रात सिंगापुर से आया था, जहां गायक को दौरा पड़ने के बाद तैराकी करते समय डूबने से उनकी मृत्यु हो गई थी.

मुझे याद नहीं गुवाहाटी इतना गमगीन कब हुआ?

गुवाहाटी की पत्रकार अनीता गोस्वामी ने बताया, "माहौल गंभीर है, चेहरे उदास हैं और आंखें आंसुओं से सूजी हुई है. यह सचमुच एक अंधकारमय समय है. मुझे याद नहीं आ रहा कि पिछली बार मेरा शहर दुःख में इतनी एकजुटता के साथ कब एकजुट हुआ था."

लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से फूलों से सजी एम्बुलेंस धीरे-धीरे शहर की ओर बढ़ रही थी. यह दूरी तय करने में लगभग साढ़े पांच घंटे लगे. किसी औपचारिक देरी की वजह से नहीं बल्कि जुलूस में शामिल लोगों की भारी भीड़ की वजह से.

माहौल उदास था, सभी खामोश थे

बुजुर्ग नागरिक, महिलाएं, बच्चे, युवक-युवतियां, यहां तक कि दिव्यांग लोग भी सड़क किनारे खड़े थे. जैसे-जैसे काफिला आगे बढ़ रहा था, वे फूल बरसा रहे थे, हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रहे थे, उनके नाम का जाप कर रहे थे, या बस रो रहे थे.

गुवाहाटी की एक डिजिटल कलाकार रूपम मुदोई ने बताया, "माहौल उदास और खामोश था, फिर भी इस खामोशी के बावजूद, हर कोई जुबिन का प्रशंसक बन गया. यह अपने आप में साबित करता है कि लोग उनसे कितना प्यार करते थे. हर कुछ कदम पर, लगभग हर दुकान के सामने, लोगों ने एक छोटी सी श्रद्धांजलि के रूप में अगरबत्ती जलाई. उन्होंने अपने लिए छोटे-छोटे बूथ भी लगाए थे जहां दूसरे लोग आकर श्रद्धांजलि दे सकें. जुबिन दा के लिए लोगों का प्यार इस तरह उमड़ पड़ा."

असम के पुलिस महानिदेशक हरमीत सिंह और गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त पार्थसारथी महंत के नेतृत्व में पुलिस ने रास्ता साफ करने के लिए कड़ी मशक्कत की. जैसे ही काफिला काहिलीपाड़ा में दाखिल हुआ, सुरक्षाकर्मियों ने जुबिन गर्ग के परिवार को उनके पार्थिव शरीर के साथ निजी समय बिताने के लिए घेरा बना दिया. पत्रकारों और शोक व्यक्त करने वाले आम लोगों को रोक दिया गया. अंदर, ताबूत खोला गया, गायक के पार्थिव शरीर को असमिया गमछा में लपेटा गया और एक कांच के ताबूत में रखा गया, जहां अंतिम विदाई के लिए उनका चेहरा दिखाई दे रहा था.

संडे रहा ब्लैक डे

गुवाहाटी की सड़कों पर शोक केवल सड़कों तक ही सीमित नहीं था. गुवाहाटी में 'काला दिवस' मनाया गया. दुकान, संस्थान और रेस्टोरेंट बंद रहे. सड़क किनारे खाने-पीने की दुकानें गायब रहीं. फैंसी बाजार और पान बाजार जैसे आम तौर पर भीड़-भाड़ वाले रास्ते वीरान नजर आए. यह बंद पूरी तरह से स्वैच्छिक नहीं था. नागरिक समूहों, अक्सर प्रशंसकों के संगठनों, ने दुकानें बंद रखने पर जो दिया. इससे बेचैनी फैल गई.

असम न्‍यूज
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