Begin typing your search...

मुझे ब्रह्मपुत्र नदी में बहा दें....पहले ही बता चुके थे Zubeen Garg अपनी इच्छा, कहा था- 'जब मैं मर जाऊं'

जुबिन गर्ग का संगीत ही उनकी असली पहचान था, लेकिन इसके साथ ही वे अपने सपनों और सोच को भी खुलकर शेयर करते थे. इसी साल जनवरी में एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वे अपने जीवन और मृत्यु को कैसे देखना चाहते है.

मुझे ब्रह्मपुत्र नदी में बहा दें....पहले ही बता चुके थे Zubeen Garg अपनी इच्छा, कहा था- जब मैं मर जाऊं
X
( Image Source:  Instagram : zubeen.garg )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 21 Sept 2025 9:41 AM IST

लोकप्रिय सिंगर और समाजसेवी जुबिन गर्ग का पार्थिव शरीर शनिवार की मध्यरात्रि को सिंगापुर से दिल्ली लाया गया. उनका शव एयर इंडिया की उड़ान से इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचा. यहां असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा स्वयं मौजूद रहे. उन्होंने सिंगर को श्रद्धांजलि दी और उनके पार्थिव शरीर को ग्रहण किया. मुख्यमंत्री के साथ केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री पबित्र मार्गेरिटा और दिल्ली में तैनात असम सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे. दिल्ली पहुंचने के बाद गायक का पार्थिव शरीर रविवार सुबह एक विशेष विमान से गुवाहाटी ले जाया जाएगा. गुवाहाटी पहुंचने के बाद शव को उनके घर लाया जाएगा, जहां परिजन, प्रशंसक और शुभचिंतक अंतिम दर्शन कर सकेंगे.

जुबिन गर्ग 20 और 21 सितंबर को होने वाले नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल के लिए सिंगापुर गए थे. उन्हें इस आयोजन का सांस्कृतिक ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था. उम्मीद थी कि वे फेस्टिवल के उद्घाटन समारोह में अपने मशहूर असमिया, हिंदी और बंगाली गीत गाकर माहौल को और खास बनाएंगे. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था. मौज-मस्ती के लिए एक स्कूबा डाइविंग सत्र अचानक त्रासदी में बदल गया. डाइविंग के दौरान जुबिन को सांस लेने में गंभीर समस्या हुई. उन्हें तुरंत सिंगापुर जनरल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे उन्हें बचाया नहीं जा सका.

'लोग मुझे ब्रह्मपुत्र बहा दें'

जुबिन गर्ग का संगीत ही उनकी असली पहचान था, लेकिन इसके साथ ही वे अपने सपनों और सोच को भी खुलकर शेयर करते थे. इसी साल जनवरी में एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वे अपने जीवन और मृत्यु को कैसे देखना चाहते है. उन्होंने कहा था, 'मैं पागल हूं, मैं अपना सब कुछ लोगों को देना चाहता हूं, अपने लिए नहीं. मेरा स्टूडियो ही मेरा घर है और मैं यहां खुश हूं.' उन्होंने यह भी इच्छा जताई थी कि वे अपने अंतिम दिन ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे 'टिल्ला' में बिताना चाहते हैं. यह वही जगह है जिसे बोरफुकोनार टिल्ला या इटाखुली टिल्ला भी कहा जाता है. जुबिन ने कहा था कि वहां उनका छोटा सा बंगला होगा, जहां वे रहेंगे और वहीं मौत के बाद दफन या नदी में विलीन होना चाहेंगे.' उन्होंने कहा था, 'यह एक अच्छी जगह है सबसे खूबसूरत जगहों में से एक. जब मैं मरूँ तो लोग मुझे वहीं जला दें या ब्रह्मपुत्र में बहा दें. मैं एक सैनिक हूं, मैं रैम्बो जैसा हूं.'

सिंगिंग ही नहीं समाजसेवा भी करते थे ज़ुबीन

जुबिन गर्ग सिर्फ एक गायक ही नहीं थे, बल्कि वे एक एक्टर, म्यूजिशियन और समाजसेवी भी थे. उन्होंने बॉलीवुड को कई हिट गाने दिए- 'या अली' (गैंगस्टर), 'दिल तू ही बता' (कृष 3), इसके अलावा हजारों असमिया और लोकल गाने. उनका म्यूजिक सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं था, बल्कि लोगों की भावनाओं को जोड़ने वाला पुल भी था. समाजसेवा में भी उनका योगदान अविस्मरणीय है. उन्होंने कलागुरु आर्टिस्ट फ़ाउंडेशन के माध्यम से बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री, दवाइयां और कपड़े जुटाए. फुटबॉल चैरिटी मैचों से लेकर धन संग्रह तक, उन्होंने हर संभव प्रयास किया ताकि ज़रूरतमंदों तक मदद पहुंच सके. कोविड महामारी के दौरान तो उन्होंने अपनी गुवाहाटी स्थित कोठी को ही कोविड केयर सेंटर में बदल दिया. यहां कई लोगों की जान बचाई गई. यह उनकी इंसानियत और दूसरों के लिए जीने की सोच का सबसे बड़ा प्रमाण है.

उनकी इस सोच से साफ झलकता है कि वे अपनी संस्कृति, अपनी जड़ों और असम की धरती से कितने गहरे जुड़े हुए थे।

bollywoodअसम न्‍यूज
अगला लेख