INDvsENG: बस इतनी सी गलती... लॉर्ड्स टेस्ट में टीम इंडिया से कहां चूक हुई?
लॉर्ड्स टेस्ट में भारत 22 रनों से हार गया, जबकि इंग्लैंड को दूसरी पारी में सिर्फ 193 रन का लक्ष्य मिला था. भारत की हार की मुख्य वजहें थीं: ऋषभ पंत का रनआउट, टॉप ऑर्डर की नाकामी, करुण नायर का असफल होना, रक्षात्मक रणनीति, जैमी स्मिथ का छूटा कैच, नाइटवॉचमैन की असफलता और गेंदबाज़ों द्वारा 63 एक्स्ट्रा रन देना. रवींद्र जडेजा के नाबाद 61 रन और लोअर ऑर्डर के संघर्ष के बावजूद टीम इंडिया जीत हासिल नहीं कर सकी.

भारत और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स में पिछले पांच दिनों तक एक बहुत ही रोमांचक मुक़ाबला खेला गया. दोनों टीमों के पहली पारी के स्कोर (387 रन) बराबर रहे. दूसरी पारी में भारत ने इंग्लैंड को केवल 192 रनों पर समेट दिया. पर भारतीय टीम भी मैच के पांचवें और अंतिम दिन 170 रनों पर ऑल आउट हो गई. हालांकि पांचवें दिन लंच से ठीक पहले टीम इंडिया का स्कोर जब 7 विकेट पर 82 रन हो गया था, तब लगा कि मैच जल्द ही ख़त्म हो जाएगा.
लेकिन जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज ने रवींद्र जडेजा के साथ मिलकर डटकर मुक़ाबला किया और मैच को चायकाल के बाद तक ले गए. पर लंबे संघर्ष के बाद टीम इंडिया 170 रन पर ऑल आउट हो गई और 22 रन से लॉर्ड्स टेस्ट हार गई और इंग्लैंड ने तेंदुलकर-एंडरसन सिरीज़ में 2-1 से बढ़त बना ली.
जडेजा ने शीर्ष क्रम को बताया बैटिंग कैसे करें
सबसे पहले तो लॉर्ड्स टेस्ट को जीतने के लिए रवींद्र जडेजा जिस तरह अंत तक जुटे रहे और सर्वाधिक 61 रन बनाकर नाबाद रहे उसकी जितनी भी सराहना की जाए वो कम है. उन्होंने अपनी बल्लेबाज़ी से टीम इंडिया के टॉप ऑर्डर को निश्चित रूप से यह संदेश दे दिया है कि इंग्लैंड की पिचों पर बल्लेबाज़ी कैसे करनी है. पांचवें दिन लंच तक जब भारत इस टेस्ट को जीतने की सभी उम्मीदें छोड़ चुका था तब 10वें नंबर पर उतरे जसप्रीत बुमराह और 11वें नंबर पर आए मोहम्मद सिराज ने रवींद्र जडेजा के साथ मिलकर इंग्लैंड की पेशानी पर बल डाल दिया और इंग्लिश कप्तान जो रूट की लाख कोशिशों के बावजूद ये दोनों बल्लेबाज़ चट्टान की तरह पिच पर कई घंटे तक अटल रहे. इससे करोड़ों भारतीयों को यह उम्मीद जग गई थी कि भारत एक यागदार जीत की ओर बढ़ रहा है. हालांकि अंत में यह संभव नहीं हो सका. जडेजा ने नीतीश रेड्डी के साथ 30, जसप्रीत बुमराह के साथ 35 और सिराज के साथ 23 रन जोड़े और अंत तक आउट नहीं हुए.
X/ICC
मैच के बाद कप्तान शुभमन गिल ने जडेजा की बहुत तारीफ़ की. गिल बोले, “रविंद्र जडेजा टीम इंडिया के ऐसे बहुमूल्य खिलाड़ी हैं जो मिलना बहुत मुश्किल है. पिछले मैच में हमने लोअर ऑर्डर के बल्लेबाज़ी की कमज़ोर बैटिंग की बात की थी लेकिन इस मैच में उन्होंने बेहतरीन खेल दिखाया. जड्डू भाई और लोअर ऑर्डर ने जिस तरह से बल्लेबाज़ी की, वो काबिल-ए-तारीफ़ है.” पर इन सभी कोशिशों के बावजूद आखिर क्या कारण है कि जो टीम एजबेस्टन में महज़ एक हफ़्ते पहले रिकॉर्ड अंतर से जीती थी वो लॉर्ड्स में छोटा स्कोर होने के बावजूद हार गई?
लॉर्ड्स में हार के क्या कारण हैं, टीम इंडिया से कहां चूक हो गई? चलिए बताते हैं...
पंत का रन आउट होना, मैच का टर्निंग पॉइंट
जब भारत पहली पारी में इंग्लैंड के 387 रनों का पीछा कर रहा था और शुरुआती तीन विकेट केवल 107 रनों पर गंवाने के बाद केएल राहुल-ऋषभ पंत की जोड़ी ने चौथे विकेट के लिए 141 रन जोड़ चुकी थी तब, एक सिंगल चुराने की कोशिश में पंत रन आउट हो गए. जब रन आसानी से बन रहे थे और दोनों 248/3 के स्कोर पर ये बल्लेबाज़ पूरी तन्मयता के साथ पिच पर डटे हुए थे, तब पंत की यह ग़लती भारत को इतनी महंगी पड़ी कि पहली पारी में वो कोई लीड नहीं ले सका. यही मैच का सबसे अहम मोड़ था. यहां तक कि कप्तान शुभमन गिल ने भी मैच हारने के बाद इसे ही टर्निंग पॉइंट बताया. गिल ने ये भी कहा कि उन दोनों बल्लेबाज़ों के पिच पर रहते हुए वो सोच रहे थे कि 80 से 100 रनों की बढ़त मिल सकती है.
शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ों की नाकामी
भारत की दूसरी पारी में अकेले रवींद्र जडेजा ने नाबाद 61 रन बनाए, जबकि शीर्ष क्रम के चार बल्लेबाज़ों यशस्वी जायसवाल, करुण नायर, शुभमन गिल और ऋषभ पंत ने मिलकर कुल 29 रन ही बनाए. टीम इंडिया की हार की दूसरी सबसे बड़ी वजह यही बनी. चूंकि लक्ष्य बहुत बड़ा नहीं था तो शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ों को कम से कम पिच पर रुक कर 50-60 रनों की साझेदारी निभानी चाहिए थी. ऐसा भी नहीं है कि ये बल्लेबाज़ ऑउट ऑफ़ फ़ॉर्म चल रहे थे. करुण नायर को छोड़कर बाकी के तीनों बल्लेबाज़ इंग्लैंड में शतक भी जमा चुके हैं, तो उन्हें जीत की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर उठानी चाहिए थी.
नंबर-3 का अहम किरदार निभाने में असफलता
इंग्लैंड के दौरे पर जाने से पहले से ही टीम इंडिया की ओर से नंबर-3 पर कौन बल्लेबाज़ी करेगा इस पर चर्चाएं हो रही थीं. टीम इंडिया ने लंबे अरसे बाद टीम में लौटे करुण नायर पर भरोसा जताया और नंबर-3 की ज़िम्मेदारी उन्हें सौंपी. मगर करुण इस सिरीज़ में अब तक अपने बल्ले से प्रभावित नहीं कर सके हैं. उन्हें मौक़ा दिया पर अब तक वो नाकाम रहे हैं. लॉर्ड्स टेस्ट की इस दूसरी पारी में भी उनके बल्ले से महज़ 14 रन ही निकले. करुण इस टीम में एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके बल्ले से तिहरा शतक निकला था. पर इंग्लैंड में अभी आलम यह है कि करुण अब शीर्ष क्रम की सबसे कमज़ोर कड़ी बन चुके हैं.
छोटे लक्ष्य का पीछा करने का तरीक़ा
जब भारत को जीत के लिए 193 रनों का लक्ष्य मिला तो टीम ने शुरू से ही रक्षात्मक रुख़ अपनाया. बल्लेबाज़ों का शॉट चयन भी सवालों के घेरे में है, खास कर जिस तरह जोफ़्रा आर्चर की गेंद पर यशस्वी ने उस गेंद को पुल किया और एक आसान कैच थमा कर पवेलियन लौट गए. या फ़िर जब गिल बल्लेबाज़ी के लिए आए तब वो लगातार बाहर जाती गेंद को छेड़ने की कोशिश कर रहे थे, भले ही वो राहुल के समझाने पर तीसरी बार वैसा शॉट नहीं खेले पर केवल छह रन बनाकर आउट भी हो गए. केएल राहुल ने 39 रनों की एक जुझारु पारी खेली पर अन्य बल्लेबाज़ों के आउट होने में उनका शॉट सेलेक्शन सवालों के घेरे में है.
स्मिथ का कैच टपकाना भारी पड़ा
पहली पारी में भारत को जैमी स्मिथ का कैच छोड़ना भी बहुत महंगा पड़ा. स्मिथ की पारी की शुरुआत में ही मोहम्मद सिराज की गेंद पर केएल राहुल के पास उनका कैच पकड़ने का अच्छा मौक़ा था पर राहुल के हाथों से कैच ड्रॉप हो गया. स्मिथ ने बाद में 56 गेंदों पर 51 रन बनाए. जब स्मिथ पिच पर आए थे तब इंग्लैंड का स्कोर 260/5 था वहीं उनके आउट होने पर स्कोर 355/8 हो गया. यानी यह उनकी बल्लेबाज़ी का कमाल ही था कि इंग्लैंड 350 से ऊपर के स्कोर पर पहुंच सका.
नाइटवाच मैन और एक्स्ट्रा रन
मैच के चौथे दिन भारत ने तीन विकेट गिरने पर आकाश दीप को नाइट वाचमैन की भूमिका में उतारा पर टीम इंडिया को यह रास नहीं आया. आकाश सिर्फ़ 1 रन बनाए और केवल 15 मिनट ही पिच पर टिक सके. यानी भारत को यह रणनीति उल्टी पड़ गई. जब दोनों टीमें छोटा स्कोर बना रही थीं तब भारतीय गेंदबाज़ एक्सट्रा रन खर्चने में व्यस्त थे. इंग्लैंड की पहली पारी में भारतीय गेंदबाज़ों ने 31 रन तो दूसरी में 32 रन एक्स्ट्रा दिए. यानी कुल 63 रन. यह भारत को 22 रनों से मिली हार का लगभग तीन गुना है. और सबसे अंत में, एजबेस्टन में 269 और 161 रनों पारी खेलने वाले कप्तान शुभमन गिल के बल्ले से लॉर्ड्स टेस्ट की दोनों पारियों में कुल 22 रन ही निकले.