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वेस्ट इंडीज़ की 1975 की जीत के 50 साल: क्रिकेट वर्ल्ड कप के जन्म की दिलचस्प कहानी

पहला वर्ल्ड जीतने वाली वेस्ट इंडीज़ टीम के कप्तान क्लाइव लॉयड ने एक संदेश भी दिया है, जिसमें उन्होंने 1975 के समय वर्ल्ड कप जीतने को तब 50 लाख की आबादी वाले द्वीप समूह के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है. आज 50 साल बाद भले ही क्रिकेट का खेल वनडे क्रिकेट से होते हुए टी20 फ़ॉर्मेट की ओर बढ़ गया है लेकिन जब पहली बार वर्ल्ड कप खेला गया तो उसे आयोजित करना आसान नहीं था. चलिए जानते हैं क्रिकेट के खेल में वनडे वर्ल्ड कप का जन्म कैसे हुआ…

वेस्ट इंडीज़ की 1975 की जीत के 50 साल: क्रिकेट वर्ल्ड कप के जन्म की दिलचस्प कहानी
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( Image Source:  X/ICC )
अभिजीत श्रीवास्तव
By: अभिजीत श्रीवास्तव

Updated on: 22 Jun 2025 11:58 AM IST

21 जून 1975 को खेले गए पहले वनडे वर्ल्ड कप का फ़ाइनल वेस्ट इंडीज़ ने जीता था. उस जीत को अब 50 साल हो गए हैं और रविवार को वेस्ट इंडीज़ प्लेयर्स एसोसिएशन और क्रिकेट वेस्ट इंडीज़ अवॉर्ड्स समारोह आयोजित कर रहा है. इसे टीवी पर भी प्रसारित किया जाएगा. इस अवार्ड समारोह में वेस्ट इंडीज़ क्रिकेट की सबसे बड़ी उपलब्धि 1975 के वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप को जीतने की 50वीं वर्षगांठ का जश्न मनाया जाएगा.

क्रिकेट वेस्ट इंडीज़ के प्रेसिडेंट डॉ. किशोर शैलो कहते हैं कि पूरा वेस्ट इंडीज़ अपने आइकॉन खिलाड़ियों, अपने दिग्गज़ों को सम्मानित करने को लेकर बहुत उत्साहित है. वनडे का पहला वर्ल्ड जीतने वाली वेस्टइंडीज़ टीम के कप्तान क्लाइव लॉयड ने एक संदेश भी दिया है, जिसमें उन्होंने 1975 के समय वर्ल्ड कप जीतने को तब 50 लाख की आबादी वाले द्वीप समूह के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है. आज 50 साल बाद भले ही यह खेल वनडे क्रिकेट से होते हुए टी20 फ़ॉर्मेट की ओर बढ़ गया है लेकिन जब पहली बार वर्ल्ड कप खेला गया तो उसे आयोजित करना आसान नहीं था. लंबे चले संघर्ष के बाद आखिर क्रिकेट के खेल में वनडे क्रिकेट को ख़ास पहचान देने वाले वनडे के वर्ल्ड कप का जन्म कैसे हुआ. चलिए जानते हैं...

वनडे क्रिकेट खेलने की शुरुआत कैसे हुई?

क्रिकेट को उसके वनडे फ़ॉर्मेट में पहली बार 1962 में इंग्लैंड में देखा गया. तब इंग्लैंड में काउंटी क्लब के मैचों के दौरान क्रिकेट वनडे फ़ॉर्मेट में खेला गया था. चार टीमों के उस टूर्नामेंट में हर टीम को अधिकतम 65 ओवर दिए गए थे. यह इतना सफल रहा कि काउंटी क्लबों ने अगले ही साल जिलेट कप के नाम से एक वनडे टूर्नामेंट शुरू कर दिया. इस टूर्नामेंट को 60 के शुरुआती दशक में इंग्लैंड और काउंटी क्लब ससेक्स की कप्तान टेड डेक्स्टर की कप्तानी में ससेक्स ने जीत लिया. इस तरह क्रिकेट की किताब में वनडे क्रिकेट का नाम जुड़ गया और जब 1964 में मैचों को 60 ओवर प्रति पारी कर दिया गया, तब भी ससेक्स ने ये ख़िताब बरकरार रखा. बीबीसी ने इन मैचों को टेलीविजन पर प्रसारित किया. इससे बड़ी संख्या में भीड़ आकर्षित हुई और इसने उस जमाने में एकदिवसीय क्रिकेट की लोकप्रियता को काफ़ी बढ़ा दिया. टेड डेक्स्टर उस दौरान वनडे खेलने के आंदोलन का एक ग्लैमरस चेहरा बन गए लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उनके दौर में इस फ़ॉर्मेट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरू नहीं किया जा सका.

अंतरराष्ट्रीय वनडे कवायद की मुश्किल डगर

60 के दशक के अंत में राथमैंस कैवेलियर्स नाम की एक टीम बनाई गई, जिसे शुरू में इंटरनैशनल कैवेलियर्स के नाम से जाना गया क्योंकि इस टीम ने विश्व एकादश जैसी टीम बनाई थी. ये टीम हर रविवार को इंग्लैंड के अलग-अलग शहरों में घूम कर 40 ओवर के मैच खेला करती थी. इस तरह संडे की छुट्टी वाले दिन क्रिकेट के चाहने वालों को बड़े स्टार क्रिकेटर प्लेयर्स के क्रिकेट को देखने का ऐसा मौक़ा मिला कि स्टेडियम जल्द ही तेज़ी से भरने लगे और इस तरह क्रिकेट के लिए एक बिल्कुल ही नई दुनिया का दरवाज़ा खुल गया.

लेकिन जब 1969 में ‘द क्रिकेटर’ पत्रिका के चेयरमैन बेंजामिन गिलबर्ट ब्रॉकलहर्स्ट ने एक वनडे टूर्नामेंट का प्रस्ताव रखा, जिसे सर गबी एलेन और सर डॉन ब्रैडमैन जैसे बड़े क्रिकेटरों का समर्थन भी हासिल था, इसके बावजूद उन्हें अधिक उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया नहीं मिली. ब्रॉकलहर्स्ट ने इसमें बहुत कम पैसे के ज़रूरत की बात भी बताई लेकिन मेरिलेबोर्न क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने इसे अव्यवहारिक कहते हुए ख़ारिज कर दिया. एमसीसी को यह भी यकीन नहीं था कि ऑस्ट्रेलिया vs वेस्ट इंडीज़ मैच में क्या लोगों को रुचि होगी! ऐसा लग रहा था जैसे क्रिकेट की आधुनिकता का विरोध किया जा रहा है.

दो साल बाद 1971 में डेरिक रॉबिंस ने आज के वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के जैसी टेस्ट सिरीज़ की सिफ़ारिश की लेकिन तब के क्रिकेट शासकों को उसमें भी रुचि नहीं थी. डेरिक रॉबिंस 1947 में वारविकशर के लिए बतौर विकेटकीपर केवल दो मैच खेले लेकिन बाद में एक बिजनेसमैन के रूप में वो काफ़ी सफल रहे थे. हालांकि तब उन्हें टेस्ट टूर्नामेंट के लिए नकारे जाने का कारण ये बताया गया कि 1912 में इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ़्रीका के बीच जो त्रिकोणीय टेस्ट सिरीज़ खेली गई थी वो बारिश से प्रभावित और एकतरफा रही थी, साथ ही वो आर्थिक रूप से भी विफल रही थी.

फ़िर जब अचानक ही खेला गया क्रिकेट का पहला वनडे मैच

लेकिन इसी दौरान 1971 में मेलबर्न में खेला जाने वाला एशेज टेस्ट जब बारिश से धुल गया तो आयोजकों ने भीड़ को संतुष्ट करने के लिए और अपने आर्थिक नुकसान को कुछ हद तक कम करने के लिए, एक ओवर में 8 गेंदों वाले, 40 ओवरों के एक मैच का आयोजन किया. ये मैच बिल्कुल भी रोमांचक नहीं हुआ जिसे ऑस्ट्रेलिया ने आसानी से जीत लिया, लिहाजा इस फ़ॉर्मेट में अगला मैच खेले जाने में बहुत लंबा वक़्त लगा. जनवरी 1971 के बाद दूसरा वनडे अगस्त 1972 में खेला गया. यहां तक कि 1975 वर्ल्ड कप से पहले केवल 18 एकदिवसीय मैच खेले गए थे.

शुरू-शुरू में इंटरनैशनल क्रिकेट कॉन्फ़्रेंस (आईसीसी) इसे 'वर्ल्ड कप' का नाम देने से भी झिझक रहा था. 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच क्रिकेट नहीं खेली जा रही थी, इसके बावजूद उन्हें इस टूर्नामेंट में शामिल किया गया. यह एक महत्वपूर्ण क़दम था क्योंकि दोनों टेस्ट खेलने वाले देश थे और इस नए फ़ॉर्मेट की व्यावहारिक मान्यता के लिए उन्हें शामिल किया जाना ज़रूरी था.

जब 1975 में खेला गया वनडे का पहला वर्ल्ड कप

आखिर कई बाधाओं को पार करने के बाद 7 जून 1975 से इंग्लैंड में वनडे का वर्ल्ड कप खेला जाना तय हुआ, जिसे प्रत्येक साइड के लिए 60 ओवरों का रखा गया और इस तरह पहले वनडे मैच से यह खेल अपने सबसे पॉपुलर टूर्नामेंट वनडे वर्ल्ड कप की ओर बढ़ा. इसे आयोजित करने के लिए एक बड़े रक़म की ज़रूरत थी. जिसका समाधान 1975 के पहले वनडे वर्ल्ड कप का नाम प्रु़डेंशियल वर्ल्ड कप रख कर किया गया क्योंकि इसे प्रायोजित करने वाली प्रुडेंशियल एस्योरेंस कंपनी ने तब 155,000 पाउंड (1 करोड़ 80 लाख रुपये से कुछ अधिक) खर्चे थे. वहीं बीबीसी ने 55,000 पाउंड (64 लाख रुपये से कुछ अधिक) में इस टूर्नामेंट के प्रसारण का अधिकार ख़रीदा था. इसमें आठ टीमें इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड, भारत, ऑस्ट्रेलिया, वेस्ट इंडीज़, पाकिस्तान, पूर्वी अफ़्रीका और श्रीलंका शामिल हुई थीं.

वर्ल्ड कप का पहला मैचः भारत बनाम इंग्लैंड

पहला मैच इंग्लैंड और भारत के बीच खेला गया. पहले मैच में ही इंग्लैंड ने 334 रन बना दिए. यह मैच सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज़ बल्लेबाज़ के 60 ओवरों तक खेलते हुए 36 रन बनाकर नाबाद रहने के कारण भी यादगार बन गया. भारत वनडे वर्ल्ड कप का अपना पहला मैच 202 रनों के बड़े अंतर से हार गया. और इस तरह पहला वर्ल्ड कप शुरू हो गया. सभी आठ टीमों को दो ग्रुप में बांटा गया था. ग्रुप स्टेज में आपस में खेलने के बाद दोनों ग्रुप की टॉप दो टीमें सेमीफ़ाइनल में पहुंची.

पहला सेमीफ़ाइनल इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया. गैरी गिल्मर की स्विंग गेंदबाज़ी के आगे इंग्लैंड 93 रनों पर ही ढेर हो गया. गिल्मर ने 14 रन पर छह विकेट लिए. लेकिन इंग्लैंड ने भी ज़ोरदार वापसी की और ऑस्ट्रेलिया के छह बल्लेबाज़ों को केवल 39 रन बनने तक पवेलियन लौटा दिया. यहां गैरी गिल्मर बल्ले के साथ उतरे और 28 रन बनाकर अंत तक आउट नहीं हुए और ऑस्ट्रेलिया पहले वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में पहुंच गया. दूसरे सेमीफ़ाइनल में वेस्ट इंडीज़ ने न्यूज़ीलैंड को 151 रनों पर समेट दिया. एल्विन कालीचरण और गॉर्डन ग्रीनिज के अर्धशतकों की बदौलत वेस्ट इंडीज़ भी फ़ाइनल में पहुंच गया.

बिना कोई मैच गंवाए वेस्ट इंडीज़ बनी चैंपियन

ऑस्ट्रेलिया के गैरी गिल्मर एक बार फिर घातक साबित हुए और उन्होंने फ़ाइनल में भी पांच विकेट लिया. वेस्ट इंडीज़ के 50 रन बनने तक तीन बल्लेबाज़ आउट हो गए थे, लेकिन क्लाइव लॉयड ने कप्तानी पारी खेली और केवल 85 गेंदों पर 102 रन बनाए. वेस्ट इंडीज़ ने 291 रन बनाए. ऑस्ट्रेलिया ने 3 विकेट पर 162 रन बना लिए लेकिन कप्तान इयान चैपल के रन आउट होने के बाद अचानक ऑस्ट्रेलियाई पारी चरमरा गई और अंत में ऑस्ट्रेलिया यह मैच 13 रनों से हार गया. फ़ाइनल में सर विवियन रिचर्ड्स ने बल्ले से पूरी वेस्ट इंडीज़ टीम में सबसे कम केवल पांच रन बनाए लेकिन उन्होंने फ़ील्डिंग में अपना अहम योगदान दिया. वह उस मैच में वेस्ट इंडीज़ के फ़ील्डिंग स्टार थे. एलेन टर्नर, इयान चैपल और ग्रेग चैपल को रन आउट किया. बाद में इस मैच में उनके फ़ील्डिंग के किस्से यादगार बन गए.

इस तरह सारी बाधाओं को पार करके लॉर्ड्स के मैदान से शुरू होकर लॉर्ड्स पर ही 15 मैचों बाद वेस्ट इंडीज़ के चैंपियन बनने के साथ ही 1975 में खेला गया वनडे का पहला वर्ल्ड कप समाप्त हो गया. वेस्ट इंडीज़ ने टूर्नामेंट में खेले सभी पांच मैच जीते और न केवल 1975 बल्कि 1979 में भी चैंपियन बनी.

क्रिकेट न्‍यूजस्टेट मिरर स्पेशल
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