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प्रेमानंद महाराज ने बताया कब खत्म होगा 84 लाख योनियों का सफर, जवाब सुनकर नहीं करेंगे मनुष्य तन में ये गलती

प्रेमानंद महाराज के पास लोग जीवन का असली मतलब जानने और अपनी उलझनों का जवाब जानने के लिए जाते हैं. 84 लाख योनियों का उल्लेख हिन्दू धर्म, विशेषकर वेद, पुराण और योग/संत परंपरा में आत्मा की यात्रा और पुनर्जन्म चक्र के संदर्भ में आता है. महाराज ने अपने भक्त को बताया कि इस 84 लाख योनियों का सफर कब खत्म होता है.

प्रेमानंद महाराज ने बताया कब खत्म होगा 84 लाख योनियों का सफर, जवाब सुनकर नहीं करेंगे मनुष्य तन में ये गलती
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( Image Source:  Instagram- vaishno_path_gyan )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 29 Jun 2025 7:23 PM IST

वृंदावन की पावन धरती पर एक आश्रम है, जहां दुनिया की भीड़-भाड़, शोर और भ्रम से दूर एक संत बड़े ही सरल और शांत भाव से प्रेमानंद जी महारा विराजमान हैं. वो संत जो किसी पहचान के मोहताज नहीं, जिनके पास दूर-दूर से लोग अपने जीवन की उलझनों के जवाब पाने आते हैं.

चाहे कोई आम भक्त हो या फिर विराट कोहली और अनुष्का शर्मा जैसे सेलिब्रिटी हर कोई प्रेमानंद जी के सान्निध्य में कुछ खास पा जाता है. इस बीच एक भक्त ने महाराज से पूछा कि आखिर 84 लाख योनियों का सफर कब खत्म होगा? इसका जवाब सुन हर कोई हैरान रह गया.

84 लाख योनियों का सफर कब खत्म होगा?

प्रेमानंद महाराज ने बताया कि '84 लाख योनियों का कोई गिनती वाला रिकॉर्ड नहीं है. ये तो भगवान की माया है. ऐसी भी योनियां हैं, जहां एक ही जन्म में जीव को हजारों साल बिताने पड़ते हैं.'

सर्प योनी का दिया उदाहरण

प्रेमानंद महाराज ने 84 लाख योनियों के सफर खत्म होने वाले सवाल का जवाब एक सर्प योनि का उदाहरण के साथ दिया. उन्होंने कहा ' सर्प योनि को ही लो. उसमें भी अजगर या कोबरा जैसे जीव हैं, जिनका एक जन्म ही लाखों वर्ष तक चल सकता है और फिर उससे आगे और भी अनेक योनियां हैं.

मनुष्य योनि सबसे दुर्लभ

प्रेमानंद जी बोले मनुष्य योनि सबसे दुर्लभ और मूल्यवान अवसर है. महाराज ने आगे कहा 'इसलिए तुम्हें ये सोचने में समय नष्ट नहीं करना चाहिए कि 84 लाख योनियों का सफर कब खत्म होगा. तुम्हारे पास जो सबसे अनमोल अवसर है. अभी का जीवन ही सब कुछ है.'

मनुष्य जीवन मिला है तो क्या करें?

महाराज ने बताया कि अगर हमें मनुष्य जीवन मिला है, तो भगवान का भजन करना चाहिए. उनका नाम लो, सेवा करो और ऐसा जीवन जीओ कि अगला जन्म भी मनुष्य का ही हो, ताकि तुम फिर से भक्ति और सेवा के रास्ते पर चल सको. अन्य सभी योनियां दुख से भरी हैं. वहां जीव को अनेक प्रकार के कष्ट सहने पड़ते हैं. इसलिए यह मनुष्य जीवन ही तुम्हारी मुक्ति की चाबी है.

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