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इस मंदिर में दुर्योधन ने रचा था पांडवों को मारने का षड्यंत्र, यहां मुर्दे भी हो जाते हैं जिंदा

लाखामंडल का यह मंदिर उत्तराखंड के अन्य प्रमुख तीर्थ स्थलों जैसे बद्रीनाथ और केदारनाथ से जुड़ा हुआ है, जिससे यह तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण स्थान बन जाता है. लाखामंडल मंदिर से जुड़ी कई कहानियां हैं, जिनसे लोग आज भी अनजान हैं.

इस मंदिर में दुर्योधन ने रचा था पांडवों को मारने का षड्यंत्र, यहां मुर्दे भी हो जाते हैं जिंदा
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( Image Source:  X-Namami Bharatam )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 20 Dec 2024 7:28 PM IST

देहरादून से करीब 4 घंटे दूर लाखामंडल गांव है, जहां भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर है. लाखामंडल मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और यह क्षेत्र महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है. मान्यता है कि लाखामंडल का नाम 'लाखा' और 'मंडल' शब्दों से आया है. जहां लाखा का अर्थ लाख है और मंडल का अर्थ स्थान होता है.

इस क्षेत्र में लाखों की संख्या में शिवलिंग हैं, जिनकी पूजा की जाती थी. किंवदंती के अनुसार, लाखामंडल में भगवान शिव का वास था.यहीं पर पांडवों ने भगवान शिव की पूजा की थी. माना जाता है कि दुर्योधन ने पांडवों को मारने के लिए इस मंदिर में ही षड्यंत्र रचा था.

दुर्योधन ने रचा था षड्यंत्र

पौराणिक कथाओं की मानें, तो लाखामंडल में पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह बनवाए गए थे, लेकिन वह कौरवों के षड्यंत्र से बच निकले. अपने अज्ञातवास के दौरान ने यहां शिवलिंग स्थापित किया था. वहीं, एक दूसरी कथा के मुताबिक जब महाभारत का युद्ध खत्म हुआ था, तब पांडवों ने मंदिर बनवाया जहां उन्होंने एक लाख शिवलिंग की स्थापना की थी.

गर्भगृह में हैं माता पार्वती के निशान

शिव का यह मंदिर का डिजाइन केदारनाथ मंदिर की तरह है. इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव, माता पार्वती, काल भैरव, कार्तिकेय, सरस्वती, गणेश, दुर्गा, विष्णु और सूर्य व हनुमानजी की मूर्तियां हैं. इस मंदिर में पांव के निशान है, जो कहा जाता है कि माता पार्वती के हैं. वहीं, मंदिर के अंदर शिवलिंग है.

दो द्वारपालों की कहानी

लाखामंडल मंदिर में शिवलिंग के सामने दो द्वारपालों की मूर्तियां हैं, जिनका मुंह श्चिम की ओर है. मान्यता है कि अगर किसी शव को द्वारपाल के सामने रख जाए. इसके बाद मंदिर का पुजारी शव के ऊपर गंगाजल छिड़के दे, तो मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए जिंदा हो सकता है. कहा जाता है कि मृत व्यक्ति के जीवित होने के उसके मुंह से भगवान का नाम निकलता है. इसके बाद गंगाजल लेने के बाद आत्मा शरीर से निकल जाती है.

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