Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में निकलती है नागा साधुओं की शाही बारात, आखिर क्या है इसके पीछे का कारण?
पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन से अमृत कलश प्राप्त हुआ था. इसे लेकर देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध हुआ था. इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें चार स्थानों पर गिर गईं, जो बाद में महाकुंभ मेलों के आयोजन स्थल बने.

महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक प्रमुख और ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 सालों में चार विशेष स्थानों पर आयोजित किया जाता है. यह मेला धार्मिक अनुष्ठान, आस्था और पवित्रता का प्रतीक है. महाकुंभ मेला विशेष रूप से लाखों तीर्थयात्रियों और नागा- साधुओं द्वारा संगम स्थलों पर एकत्र होने का अवसर होता है, जहां वे पवित्र नदियों में स्नान कर अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करने की भावना रखते हैं.
महाकुंभ में साधु-संतों द्वारा अलग-अलग रीति-रिवाज निभाने की परंपरा है, लेकिन इस दौरान नागा साधुओं की बारात का नजारा ही अलग होता है. बता दें कि यह बारात निकालने का खास महत्व है. चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण.
भगवान शिव है संबंध
पौराणिक कथाओं की मानें, तो भगवान शिव की बारात बेहद भव्य थी, क्योंकि इस विवाह के साक्षी पूरे ब्रह्मांड और तीनों लोकों के देवी-देवता, सुर-असुर, गंधर्व, यक्ष-यक्षिणी, साधु-संत, तांत्रिक, सभी ग्रह आदि बने थे. माना जाता है कि आज तक भगवान शिव जैसी बारात किसी की नहीं निकली है.
बारात देख रोने लगे थे नागा-साधु
जब भोलेनाथ माता पार्वती को लेकर वापस कैलाश लौटे थे, तब नागा साधु लोग हाथ जोड़कर खड़े हुए थे. भगवान शिव को देखते ही सभी के आंखों में आंसू आ गए थे. इस पर भगवान शंकर ने पूछा कि आखिर वह रो क्यों रहे हैं? इस पर नागा साधुओं ने कहा कि वह इस बात से दुखी हैं कि वह सब बारात का हिस्सा नहीं बन पाए. इस पर भगवान शिव ने नागा साधुओं से कहा कि उन्हें शाही बारात निकालने का अवसर मिलेगा, जिसमें वह खुद उनके साथ होंगे.
शाही बारात से किया गया था आरंभ
समुद्र मंथन में अमृत निकला था, जिसके बाद पहली बार महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया गया था. जहां नागा साधुओं ने शाही बारात निकाली थी. इस बारात के लिए सभी साधु भस्म, रुद्राक्ष और फूलों से सजे हुए थे. यह शाही बारात देखना शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि इससे आप पर शिव की कृप्या बनी रहती है.