Holi 2025: कृष्ण नहीं संसार में पहली होली भगवान शिव ने खेली थी, जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा
होली का त्यौहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो फरवरी और मार्च के बीच आता है. इस दिन को रंगों की होली कहा जाता है, जबकि एक दिन पहले होली की होलिका दहन होता है. होली से जुड़ी कई कथाए हैं. एक पौराणिक कथा यह भी कहती है कि भगवान शिव ने संसार में पहली बार होली खेली थी.

होली रंगों का त्यौहार है. इस दिन पूरा देश रंगों में रंगा होता है. इस साल 14 मार्च को होली का त्यौहार मनाया जाएगा. होली का त्यौहार श्री कृष्ण और राधा से जुड़ा है. जहां भारत में ब्रज की होली प्रसिद्ध हैं. यहां लड्डू से लेकर लट्ठमार होली खेली जाती है. वहीं, होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, जो मुख्य रूप से विष्णु भगवान के भक्त प्रह्लाद और राक्षसी दुष्ट होलीका की कहानी से जुड़ी हुई है.
एक ओर कथा है भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी हुई, जो अपने बचपन में गोकुल में अपने दोस्तों के साथ होली खेलते थे. इसके अलावा, क्या आप जानते हैं कि कृष्ण नहीं बल्कि भगवान शिव ने संंसार में पहली बार होली खेली थी? चलिए जानते हैं इसके पीछे क्या है पौराणिक कथा?
कामदेव- रति ने किया था शिव का ध्यान भंग
पौराणिक कथा की अनुसार पहली बार होली भोलेनाथ ने खेली थी. कथा में बताया गया है कि भगवान शिव ध्यान में लीन थे. ऐसे में कामदेव और रति ने भगवान शिव को ध्यान से जगाने के लिए नृत्य किया, ताकि वह तारकासुर का वध कर सके. जब नृत्य से शंकर भगवान का ध्यान भंग हो गया, तब भोलेनाथ गुस्से में आ गए और उन्होंने कामदेव को भस्म कर दिया.
शिव जी ने किया दोबारा जीवित
कामदेव के भस्म हो जाने के बाद रति का रोकर बुरा हाल हो गया था. उन्होंने भोलेनाथ से कामदेव को दोबारा जिंदा करने का आग्रह किया.रति की हालत देख भगवान शिव को दया आ गई और वह इस बात के लिए राजी हो गए. शंकर भगवान ने उन्हें दोबारा जीवित कर दिया.
भोज में खेली गई होली
इस खुशी में रति और कामदेव ने सभी देवी-देवताओं को फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भोज पर आमंत्रित किया. रति ने सभी का स्वागत चंदन के टीका लगाकर किया. इस भोज में भगवान विष्णु ने बांसुरी बजाई, तो शिव ने डमरू बजाया. कहा जाता है कि इस दिन से ही रंगों के साथ होली का त्यौहार मनाया जाता है.