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Holi 2025: बरसाना में क्यों प्रसिद्ध है लठमार होली, जानें आखिर कैसे हुई इसकी शुरुआत

लठमार होली न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्रीय समुदाय की एकता और परंपराओं को बनाए रखने का एक तरीका भी है. इस परंपरा को देखने के लिए हर साल हजारों पर्यटक और श्रद्धालु बरसाना और नंदगांव आते हैं.

Holi 2025: बरसाना में क्यों प्रसिद्ध है लठमार होली, जानें आखिर कैसे हुई इसकी शुरुआत
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( Image Source:  ANI )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 8 March 2025 5:28 PM IST

पूरे देश में होली का त्योहार बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. ब्रज में बसंत पंचंमी के दिन से ही होली की शुरुआत हो जाती है. इस साल 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. इसके अगले दिन यानी 14 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा. एक तरफ फूलों से होली खेली जाती है, तो दूसरी ओर लठमार होली खेलने की परंपरा है. बरसाना में लठमार होली बेहद प्रसिद्ध है. इस दौरान महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं.

लठमार होली का इतिहास हिन्दू पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है, विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण और राधा के साथ. यह कथा बहुत पुरानी है और इसे ब्रज क्षेत्र से जोड़कर देखा जाता है, जहां श्री कृष्ण ने राधा और उनकी सखियों के साथ होली खेली थी. हालांकि, लठमार होली की परंपरा खासतौर पर श्री कृष्ण के गोकुल और राधा के बरसाना से जुड़ी हुई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई.

कैसे हुई लठमार होली की शुरुआत

कहा जाता है कि कृष्ण भगवान राधा की जन्म भूमि बरसाना में होली खेलने जाते थे, जहां वह खूब मस्ती किया करते थे और अपनी हरकतों से राधा और गोपियों को सताते थे. कृष्ण को सबक सिखाने के लिए राधा और गोपियां उन्हें डंडे से मारती थीं. इस मार से बचने के लिए कृष्ण ढालो का उपयोग करते थे और यहीं से शुरु हुई लट्ठमार होली की परंपरा.

कब खेली जाएगी लठमार होली

लठमार होली का त्योहार फाल्गुन महीने की नवमी तिथि के दिन मनाया जाता है. ऐसे में नवमी तिथि की शुरुआत 7 मार्च की सुबह 9:18 से होकर अगले दिन 8 मार्च को सुबह 8:16 पर खत्म होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, इस साल बरसाना में 8 मार्च को लठमार होली खेली जाएगी.

कितने प्रकार की होती है होली?

लट्ठमार के अलावा, बरसाना में लड्डू होली भी खेली जाती है. लड्डू की होली लट्ठमार होली से एक दिन पहले खेलने का रिवाज है. इसके अलावा, टेसू के फूलों के रंगों से होली खेलने की परंपरा भी काफी पुरानी है. यह रंग अलीगढ़ के टेसू फूलों से बनाए जाते हैं.



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