कब किया जाएगा होलिका दहन, जानें इस त्योहार से क्या है भगवान विष्णु का संबंध
होली रंगों का त्योहार है, जिसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन कृष्णा ने राधा को रंग लगाया था. इस साल 14 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा. होली से पहले होलिका दहन किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि होलिका का विष्णु जी से क्या संबंध है?

इस साल 14 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा. ब्रज में होली के त्योहार की शुरुआत बसंत पंचंमी के दिन से शुरू हो जाती है. होली से पहले होलिका दहन किया जाता है. होलिका राक्षसी थी, जिन्हें आग से न जलने का वरदान मिला था. होलिका हिरण्यकश्यप की बहन थी. होलिका को अग्नि में भस्म न होने का वरदान मिला था.
कौन था हिरण्यकश्यप?
हिरण्यकश्यप राक्षसों के कुल का सदस्य था और उसका भाई हिरण्याक्ष भी एक शक्तिशाली राक्षस था. हिरण्यकश्यप ने कठोर तपस्या की थी और भगवान ब्रह्मा से एक वरदान प्राप्त किया था, जिसके कारण वह अमर होना चाहता था. ब्रह्मा से उसे यह वरदान मिला था कि वह न तो दिन में मारा जाएगा, न रात में, न तो भूमि पर, न आकाश में, न किसी शस्त्र से, न किसी मनुष्य से. यह वरदान उसे अभेद्य शक्ति प्रदान करता था और वह एक समय तक नश्वरता की तरफ बढ़ रहा था.
भगवान विष्णु की पूजा से इनकार
वरदान मिलने के बाद हिरण्यकश्यप ने अपनी शक्ति और सत्ता के मद में चूर होकर स्वयं को भगवान मान लिया. उसने अपने राज्य में सभी को आदेश दिया कि वे भगवान विष्णु की पूजा न करें और सिर्फ उसकी पूजा करें.
बहन-भाई ने बनाई योजना
हिरण्यकश्यप का बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था. एक दिन भगवान विष्णु के प्रति प्रह्लाद की भक्ति को खत्म करने के लिए एक भाई-बहन ने मिलकर एक योजना बनाई. क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला था. ऐसे में वह सोचती थी कि वह प्रह्लाद को जलाकर मार सकती है.
विष्णु जी ने बचाई जान
कथानुसार, होलिका ने प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई, लेकिन जब वह आग में बैठी, तो भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित बच गया, जबकि होलिका स्वयं जलकर मर गई। यह घटना इस बात का प्रतीक बन गई कि बुराई, चाहे कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, हमेशा अच्छाई के सामने हार जाती है.