Holi 2025: जानें कैसे शुरू हुई होली पर भांग पीने की परंपरा?
होली के दिन घर में तरह-तरह की डिशेज बनाई जाती है. इस त्योहार पर गुजिया बनाने का रिवाज है. साथ ही होली के दिन लोग भांग भी पीते हैं, जिसे ठंडाई कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाशिवरात्रि के अलावा होली पर भांग पीने का कारण क्या है? दरअसल इसका संबंध भगवान शिव से है.

इस साल 14 मार्च को होली का त्यौहार मनाया जाएगा. वहीं, 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. होली के दिन एक-दूसरे पर गुलाल लगाकर खुशियां मनाई जाती है. यह दिन श्री कृष्ण और राधा से जुड़ा है. माना जाता है कि होली के दिन कान्हा ने पहली बार राधा को रंग लगाया था, तभी से होली खेलने की परंपरा शुरू हुई.
महाशिवरात्रि के अलावा, होली पर भी भांग पीने का रिवाज है. इस दिन लोग खाने के साथ-साथ ठंडाई पीते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर होली पर भांग पीने के पीछे क्या कहानी है?
भगवान शिव है संबंध
हिरणकश्यप ने विष्णु भगवान की भक्ति में लीन अपने बेटे प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई. ऐसे में हिरणकश्यप को मारने के लिए विष्णु जी ने नरसिंह के रूप में अवतार लिया और दैत्य का वध किया. लेकिन इसके बावजूद भगवान नरसिंह शांत नहीं हुए. ऐसे में भोलेनाथ ने शरभ के अवतार में प्रकट हुए और नरसिंह को परास्त कर दिया. तब जाकर भगवान नरसिंह शांत हुए और उन्होंने शंकर भगवान को छाल आसन के तौर पर भेंट कर दी. इस पर भक्तों ने जश्न के तौर पर भांग का सेवन किया.
होली के प्रकार
ब्रज में होली की शुरुआत बसंत पंचंमी के दिन से हो जाती है. करीब 40 दिनों तक होली खेलने का रिवाज है. मथुरा- वृंदावन से लेकर बरसाने तक में अलग-अलग तरह की होली खेली जाती है. कहीं लट्ठमार, तो दूसरी जगह फूलों से होली खेलते हैं. इतना ही नहीं, बरसाना में लड्डू से भी होली खेलने की परंपरा है. लट्ठमार होली सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, जिसे देखने देश-विदेश से लोग आते हैं.
होली की खुशी
होली का त्योहार रंगों, मस्ती, और आनंद का प्रतीक होता है. इस दिन लोग अपने गमों को भूलकर खुशी मनाते हैं. भांग को इस दिन एक साथ मिलकर मस्ती और आनंद का प्रतीक माना जाता है. इसके सेवन से लोग न सिर्फ आनंदित होते हैं, बल्कि एक दूसरे के साथ मिलकर सामाजिक मेल-जोल को बढ़ाते हैं.