पुरुषों के खाते में कैसे पहुंच गए महिलाओं को दिए जाने वाले 10000 रुपये? घिरी नीतीश सरकार - ‘पाप करें आप, मुंसिफ भी आप’ ये कैसे?
बिहार सरकार की महिला सहायता योजना एक बड़े विवाद में फंसती नजर आ रही है. आरोप है कि महिलाओं के नाम पर मिलने वाली ₹10,000 की राशि कई मामलों में पुरुषों के खातों में ट्रांसफर हो गई. जैसे ही इस गड़बड़ी को लेकर नोटिस जारी हुआ, विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोल दिया.अब पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं.
बिहार में महिलाओं के नाम पर दी जाने वाली ₹10,000 की सहायता राशि पुरुषों के बैंक खातों में पहुंचाने का मामला सामने आने के बाद सियासी बवाल मच गया है. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा नोटिस जारी होते ही सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है. विपक्ष ने इस गड़बड़ी पर तंज कसते हुए कहा, “पाप करें आप और मुंसिफ भी आप, यह कैसे हो सकता है?” मामले ने प्रशासनिक लापरवाही और योजना के क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. साथ ही विपक्ष का कहना है कि जिसने गलती की है, उसे सजा मिले. पैसा पाने वाले पुरुष मतदाताओं को गलती की सजा क्यों? क्या वो सरकार के खजाने से पैसा चुना लाए हैं क्या?
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'जिसने पैसा दिया, वो करे वापस' - मृत्युंजय तिवारी
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान हमारी पार्टी आरोप लगा रही थी. नीतीश सरकार जो पैसा अभी दे रही है, वो वापस लेगी. पहले एनडीए सरकार ने सत्ता में वापसी के लिए महिलाओं के साथ पुरुषों को भी घूस दे दिया. यानी सरकार ने चुनाव के समय वोट खरीदा गया. चुनाव आयोग उस पा रोक लगाने के बदले चुप्पी साधे रही. अब वही सरकार पैसा वापस ले रही है. नोटिस जारी कर रही है. ये काम गैर कानूनी है. जब पैसा वापस लेना था, तो दिया क्यों? सजा उसे मिले, जिसने गलती की है. जिसने गलती की ही नहीं, उसे सजा क्यों?
अब तो EVM से बड़ा हैकर 10 हजारी - नवल किशोर यादव
राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवल किशोर यादव का कहना है कि यह कैसे हो सकता है, 'पाप भी आप ही करें, मुंसिफ भी आप ही बनें.' सवाल यह है कि ऐसा हो रहा है तो दूसरा क्या कर सकता है? अब लोगों को पता चल रहा है कि दस हजारी कोई स्कीम ही नहीं थी. यह चुनाव को प्रभावित करने का षड्यंत्र था. नीतीश कुमार ने कहा था कि ये योजना पहले से चली आ रही थी. अगर योजना चली आ रही थी वो गई कहां?
सरकारी स्तर पर इतना बड़ा ब्लंडर कैसे हो सकता है? एनडीए सरकार ने जानबूझकर ये गलती की है. ऐसे में जवाबदेही भी उसी की बनती है. उस समय चुनाव आयोग भी शांत रहा. उसने चुनाव को हैक होने दिया. अब तो ईवीएम से भी बड़ा हैक दस हजारी ने कर दिया. ईवीएम की तो अब जरूरत ही नहीं है. देश में पीएम एनडीए का, सीएम उसी का और सरकार भी उन्हीं का. महिलाओं को 10 हजार रुपये देकर नीतीश सरकार ने महिलाओं को सियासी वक फोर्स के रूप में यूज किया.
संजय वर्मा : पैसा वापस न करने पर सरकार फांसी देगी क्या?
पटना से वरिष्ठ पत्रकार संजय वर्मा का कहना है कि इसमें पैसा पाने वाली की गलती तो है नहीं. उन्होंने एक कहावत 'हड़बड़ी ब्याह कनपटी सिंदूर' (जल्दबाजी में कोई काम करेंगे तो यही होगा न) का जिक्र करते हुए कहा कि नीतीश सरकार ने महिलाओं का वोट पाने के लिए जल्दबाजी में ये गलतियां की है. इसमें दस हजारी योजना के तहत पैसा पानी वाले गरीब की क्या गलती है. वो पैसा कहां से वापस करेगा. गरीब तो पैसा खर्च कर देता है. उसके पास पैसा होगा तो देगा.
उन्होंने कहा कि यह गलती सरकार की है. अब वही पैसा वापस मांग रही है. ग्रामीण विकास ऐसे लोगों को नोटिस जारी कर पैसा वापस करने का आदेश दे रही है. मान लीजिए, किसी के पास पैसा हो भी, और वो वापस नहीं करे तो सरकार क्या करेगी? क्या ऐसे लोगों को फांसी दे देगी. पैसा पाने वाले पुरुष लाभार्थी सही कह रहे हैं. आपने पैसा दिया, मैंने आपको वोट दे दिया. पैसा वापस चाहिए तो वोट वापस कीजिए. इसमें गलती किसकी है. सरकार की न. तो सरकार इसकी भरपाई करे. जांच बैठाने का कोई मतलब नहीं है. आखिर सरकार किस एक्ट में कार्रवाई करेंगे.
दरअसल, यह विवाद एस समय सामने आया जब ग्रामीण विकास विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्था जिसे JEEViKA के नाम से जाना जाता है, बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्धन सोसाइटी ने गलती सामने आने के बाद पुरुष लाभार्थियों को नोटिस भेजकर उनसे रकम वापस करने को कहा. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक दरभंगा के जाले ब्लॉक के बलिराम साहनी सरकार द्वारा भेजा गया नोटिस दिखाते हुए कहा कि उनसे अब पैसे वापस करने को कहा गया है.
सरकार पहले VOTE वापस करे
बिहार सरकार द्वारा दरभंगा के जाले ब्लॉक के कुछ पुरुष निवासियों को मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत उनके खातों में गलती से जमा किए गए ₹10,000 वापस करने के लिए नोटिस भेजने के कुछ दिनों बाद, उनमें से कुछ ने दावा किया है कि रकम पहले ही खर्च हो चुकी है. जबकि अन्य जोर दे रहे हैं कि अगर सरकार पैसे वापस चाहती है तो उसे पहले उनके वोट वापस करने चाहिए.
अब तक नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने 1.56 करोड़ से अधिक महिलाओं को ₹10,000 ट्रांसफर किए हैं. यानी 7,500 करोड़ ट्रांसफर किए. इस योजना को नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) के लिए गेम चेंजर माना गया, क्योंकि उसने चुनाव में 243 में से 202 सीटें जीती थी. राज्य सरकार ने महिला उद्यमियों को आश्वासन दिया है कि उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के बाद, उन्हें अनुदान के रूप में अतिरिक्त ₹2 लाख दिए जाएंगे.
13 दिसंबर 2025 को राष्ट्रीय जनता दल ने X पर नोटिस का एक स्क्रीनशॉट साझा किया और दावा किया कि महिलाओं को ₹10,000 ट्रांसफर करने के बजाय, राज्य सरकार ने कई पुरुषों के खातों में पैसे भेजे. पार्टी ने अपने आरोप को पुख्ता करने के लिए पुरुष लाभार्थियों का हवाला दिया कि NDA ने चुनाव से पहले "वोट खरीदने" के लिए नकद ट्रांसफर की घोषणा की थी.
अब जांच के आदेश
राज्य के ग्रामीण विकास विभाग मंत्री श्रवण कुमार ने बुधवार को इस मामले में जांच के आदेश दिए और अधिकारियों को जल्द से जल्द एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. अहियारी पंचायत के बखरी गांव में, कई पुरुष लाभार्थियों ने दावा किया कि उन्होंने पैसे छठ पूजा और दीपावली समारोह पर खर्च किए. “यह राशि त्योहारों के मौसम में ट्रांसफर की गई थी. इसमें से कुछ छठ पूजा के उत्सव पर खर्च किया गया था. मैंने इसका इस्तेमाल बत्तख खरीदने और अपने परिवार के सदस्यों के लिए कुछ कपड़े खरीदने में भी किया. सरकार हमसे पैसे वापस करने की उम्मीद कैसे कर सकती है?
एक लाभार्थी बलिराम साहनी ने द हिंदू को फोन पर बताया, “हम गरीब लोग हैं और अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष करते हैं. वह कचरा इकट्ठा करके और राजमिस्त्री का काम करके अपनी पत्नी और पांच बच्चों का पेट पालते हैं.”
उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी सुनैना देवी को इस योजना से कोई लाभ नहीं मिला. “मैंने यह सोचकर जिबेश कुमार (जाले से भाजपा विधायक) को वोट दिया था कि यह पैसा चुनाव से पहले का तोहफा है. अगर सरकार पैसे वापस चाहती है, तो उसे पहले हमारे वोट वापस करने चाहिए.”
एक अन्य लाभार्थी राम सागर कुमार ने पूछा कि सरकार अब कार्रवाई क्यों कर रही है। “अमित शाह ने हर रैली में बार-बार कहा था कि इस योजना के तहत दिया गया पैसा वापस नहीं लिया जाएगा. अगर कोई गलती हुई भी थी, तो सरकार ने पहले नोटिस क्यों नहीं भेजा? चुनाव खत्म होने तक इंतजार क्यों किया?”





