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पानी बना जहर! छूते ही शरीर पर पड़ने लगते हैं रैशेज, जानें क्या है ये लाइलाज बीमारी

सोशल मीडिया पर अक्सर ऐसी कहानियां सामने आती हैं, जो सुनने में किसी फिल्म की कहानी जैसी लगती हैं. लेकिन हकीकत में वे और भी चौंकाने वाली होती हैं. इंग्लैंड की रहने वाली एरीन कैसिडी का किस्सा भी कुछ ऐसा ही है. एरीन उस दुर्लभ बीमारी से जूझ रही हैं, जिसकी वजह से पानी उनके लिए ज़िंदगी नहीं बल्कि एक दर्दनाक जहर साबित हो रहा है

पानी बना जहर! छूते ही शरीर पर पड़ने लगते हैं रैशेज, जानें क्या है ये लाइलाज बीमारी
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( Image Source:  canva )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 24 Sept 2025 1:40 PM IST

पानी जिसे हम ज़िंदगी मानते हैं, किसी के लिए ज़हर भी बन सकता है. इंग्लैंड की एक महिला को ऐसी दुर्लभ बीमारी है जिसमें पानी छूते ही उसके शरीर पर लाल चकत्ते (रैशेज) पड़ने लगते हैं और जलन होने लगती है.

सोचिए, नहाने से लेकर पसीना आने तक, हर बार उसे दर्दनाक अनुभव से गुजरना पड़ता है. यहां तक कि उसके अपने आंसू भी उसकी त्वचा पर जलन पैदा कर देते हैं. यह बीमारी इतनी अनोखी है कि सुनकर ही लोग हैरान रह जाते हैं. चलिए जानते हैं आखिर क्या है ये बीमारी.

14 साल की उम्र में पहला सामना

एरीन ने ब्रिटिश टीवी शो ‘दिस मॉर्निंग’ पर अपनी आपबीती सुनाई. उन्होंने बताया कि जब वे 14 साल की थीं, तब पहली बार इस अजीब समस्या से सामना हुआ. स्कूल में स्विमिंग क्लास के बाद जब वह पानी से बाहर आईं, तो उनके सीने पर लाल चकत्ते पड़ गए. उनमें इतनी तेज जलन हो रही थी कि वे घबरा गईं. शुरुआत में उन्हें लगा कि यह क्लोरीन का असर है. लेकिन धीरे-धीरे सच सामने आया. हर बार नहाने के बाद वही जलन. पसीना आने पर भी त्वचा पर रैश. यहां तक कि बारिश की बूंदें भी एरीन की त्वचा को जला देती थीं. उन्हें समझ आ गया कि ये क्लोरीन या किसी और केमिकल का असर नहीं, बल्कि खुद पानी ही उनकी सबसे बड़ी दुश्मन बन चुका है.

आंसुओं से भी होता है रिएक्शन

समय बीतने के साथ उनकी परेशानी और भी डरावनी होती चली गई. एरीन बताती हैं कि उन्हें अपने ही आंसुओं से भी रिएक्शन हो जाता है. चेहरे पर बहते आंसू उनकी त्वचा पर चुभन और जलन पैदा कर देते हैं. यह सुनकर हर कोई दंग रह गया कि एक इंसान अपनी ही भावनाओं के बहाव से चोटिल हो सकता है. वह पिछले 10 सालों से मैं इससे बहुत बुरी तरह जूझ रही हैं.

नौ साल तक नहीं मिला इलाज

बीमारी जितनी दुर्लभ थी, उतनी ही मुश्किल थी इसका इलाज ढूंढना. एरीन ने लगातार नौ साल तक डॉक्टरों के चक्कर लगाए. हर बार उन्हें सिर्फ यह कहकर टाल दिया गया कि यह सामान्य रैश है. किसी ने एंटीहिस्टामाइन लेने की सलाह दी, तो किसी ने स्किन प्रॉब्लम बताकर मामला खत्म कर दिया. लेकिन दर्द हर दिन बढ़ता जा रहा था. आखिरकार, एक नए डॉक्टर ने उनकी बात को गंभीरता से सुना. उन्होंने एरीन के लक्षणों और तस्वीरों का गहराई से स्टडी किया. जांच के बाद सामने आया कि एरीन एक्वाजेनिक अर्टिकेरिया (Aquagenic Urticaria) नाम की बेहद दुर्लभ बीमारी की शिकार हैं.

क्या है एक्वाजेनिक अर्टिकेरिया?

वेबएमडी के अनुसार, यह बीमारी तब होती है जब त्वचा पानी के संपर्क में आती है और उस पर लाल चकत्ते (हाइव्स) पड़ जाते हैं. आमतौर पर ये रैश पानी से छूने के 20-30 मिनट बाद दिखाई देते हैं और 30-60 मिनट में गायब हो जाते हैं. लेकिन सिर्फ रैश ही नहीं, कई मामलों में इसके साथ सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट और यहां तक कि बेहोशी भी हो सकती है. वैज्ञानिक अब तक इसके सही कारण को नहीं समझ पाए हैं. कुछ का मानना है कि पानी में घुलने वाला कोई अज्ञात तत्व त्वचा के संपर्क में आने पर एलर्जी पैदा करता है.

जांच और इलाज की मुश्किलें

इस बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर ‘वॉटर चैलेंज टेस्ट’ करते हैं. इसमें मरीज के शरीर के ऊपरी हिस्से पर लगभग 20 मिनट तक गीला कपड़ा रखा जाता है और फिर त्वचा की प्रतिक्रिया को देखा जाता है. लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि फिलहाल इस बीमारी का कोई स्थायी इलाज मौजूद नहीं है.

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