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220-320 नहीं... 420 ही क्यों कहलाते हैं ठग? आखिर धोखेबाज़ों की पहचान कैसे बना यह नंबर

“अरे ये तो पूरा 420 निकला!” यह लाइन हम अकसर मज़ाक, गुस्से या तंज में बोल देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ठगों के लिए 220 या 320 नहीं, बल्कि 420 ही क्यों इस्तेमाल होता है? आखिर यह नंबर कैसे धोखेबाज़ों की पहचान बन गया? दरअसल, यह सिर्फ बोलचाल का शब्द नहीं, बल्कि कानून से निकला एक ऐसा नंबर है जिसने जालसाज़ी और धोखाधड़ी को पहचान दे दी.

220-320 नहीं... 420 ही क्यों कहलाते हैं ठग? आखिर धोखेबाज़ों की पहचान कैसे बना यह नंबर
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( Image Source:  AI SORA )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 29 Dec 2025 12:17 PM IST

“हमसे बड़ा 420 आज तक पैदा नहीं हुआ!”, “ज़्यादा चालाकी मत दिखा, 420 समझते हो क्या?” भारत में आपने ऐसे जुमले आपने ज़रूर सुने होंगे. दोस्त हों, पड़ोसी हों या फिर कोई फिल्मी डायलॉग 420 शब्द सुनते ही दिमाग में एक ही तस्वीर बनती है, जो धोखेबाज़ इंसान की है.

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लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि धोखा देने वालों को 420 ही क्यों कहा जाता है? 220-320 क्यों नहीं? क्यों 420 ही कहलाते हैं ठग. अगर आप भी इस नंबर की असली वजह जानना चाहते हैं, तो आगे की कहानी आपको जरूर चौंकाएगी.

420 कोई गाली नहीं, कानून की धारा है

दरअसल, 420 कोई यूं ही बना नंबर नहीं है. यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की एक बेहद गंभीर धारा है. IPC की धारा 420 का सीधा मतलब धोखाधड़ी करके किसी को नुकसान पहुंचाना या उसकी संपत्ति हड़प लेना है. यानी अगर कोई व्यक्ति चालाकी से आपको बेवकूफ बनाकर पैसा, ज़मीन, सामान या किसी भी तरह की संपत्ति छीन लेता है, तो वह सीधे 420 के दायरे में आता है. इसलिए ही ऐसे लोगों को 420 कहा जाता है.

सिर्फ ठगी नहीं, ये सारे काम भी आते हैं 420 में

धारा 420 सिर्फ झूठ बोलने तक सीमित नहीं है. इसके तहत कई गंभीर अपराध शामिल हैं. जैसे फर्जी दस्तावेज़ बनाना, किसी की संपत्ति में धोखे से बदलाव करना, नकली हस्ताक्षर करना, धोखाधड़ी में किसी की मदद करना. यानी अगर आप खुद ठग नहीं हैं, लेकिन ठग का साथ दे रहे हैं, तो भी आप 420 के शिकंजे में फंस सकते हैं.

420 की सज़ा सुनकर होश उड़ जाएंगे

भारतीय कानून के मुताबिक, 420 का दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की जेल, आर्थिक जुर्माना, और यह अपराध गैर-ज़मानती माना जाता है. मतलब साफ है कि थाने से ज़मानत नहीं मिलती. मामला सीधे अदालत जाता है और सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के सामने होती है. हालांकि अदालत चाहे तो पीड़ित और आरोपी के बीच समझौते की इजाज़त दे सकती है.

इन देशों में भी धोखेबाजों का नाम है 420

दिलचस्प बात यह है कि 420 शब्द सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है. पाकिस्तान और म्यांमार जैसे देशों में भी धोखेबाज़ों को 420 कहा जाता है. वहीं नाइजीरिया में यही अपराध अनुच्छेद 419 के तहत दर्ज होता है. अब समझ आएगा क्यों 420 कहलाना शर्म की बात है. अब जब अगली बार कोई आपको या किसी और को 420 कहे, तो समझ जाइए-यह सिर्फ मज़ाक नहीं, बल्कि एक गंभीर कानूनी पहचान है. 420 मतलब चालाक नहीं, बल्कि कानून की नज़र में अपराधी.

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