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क्या है लीच थेरेपी, जिससे रिस्टोर की जा सकती है VIRGINITY?

वर्जिनिटी को लेकर समाज में फैली धारणाओं और दबाव के बीच लीच थेरेपी जैसे शब्द अचानक चर्चा में आ गया है. कहा जाता है कि यह एक पुराना तरीका है, जिसके जरिए फीमेल वर्जिनिटी को “रिस्टोर” किया जा सकता है.

क्या है लीच थेरेपी, जिससे रिस्टोर की जा सकती है VIRGINITY?
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( Image Source:  AI SORA )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 13 Dec 2025 6:51 PM IST

भारत जैसे समाज में सेक्स आज भी एक ऐसा विषय है, जिस पर खुलकर बात करना कई लोगों को असहज कर देता है. जब यह मुद्दा महिलाओं से जुड़ता है, तो चुप्पी और गहरी हो जाती है. खासतौर पर फीमेल वर्जिनिटी को लेकर समाज में इतनी गलतफहमियां और मिथक फैले हुए हैं कि यह महिलाओं की पहचान, सम्मान और चरित्र से जोड़ दी जाती है.

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समय बदलने के बावजूद सोच अब भी पूरी तरह नहीं बदली है. शादी से पहले किसी महिला का सेक्सुअल अनुभव होना आज भी कई जगह सवालों के घेरे में डाल दिया जाता है. खासतौर पर अगर कोई महिला शादी से पहले सेक्स कर वर्जिनटी लूज कर देती है, तो उस पर कई सवाल किए जाते हैं. ऐसे में अक्सर दिमाग में ख्याल आता है कि क्या वर्जिनिटी रिस्टोर की जा सकती है? आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले के समय में वर्जिनिटी रिस्टोर करने के लिए लीच थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता था.

वर्जिनिटी का मतलब

आसान शब्दों में समझें तो वर्जिनिटी का मतलब अक्सर यह माना जाता है कि किसी व्यक्ति ने कभी सेक्स नहीं किया है. कई लोग सेक्स को सिर्फ पेनिस और वेजाइना के संबंध से जोड़ते हैं, जबकि कुछ लोग इसमें ओरल या एनल सेक्स को भी शामिल मानते हैं. अक्सर हाइमन को वर्जिनिटी से जोड़ दिया जाता है, लेकिन यह गलतफहमी है. सेक्स के दौरान हाइमन खिंचकर फट जाता है, जिससे खून निकलता है, लेकिन सच यह है कि हाइमन खेलकूद, साइकिल चलाने या टैम्पोन इस्तेमाल करने जैसी नॉन-सेक्सुअल एक्टिविटीज से भी खिंच सकता है या फट सकता है.

वर्जिनिटी को लेकर फैले मिथक

समाज में यह धारणा गहरी बैठी है सेक्स के दौरान खून आना वर्जिन होने का सबूत है. जबकि मेडिकल साइंस इस सोच को पूरी तरह खारिज करती है. हर महिला का शरीर अलग होता है, लेकिन सामाजिक दबाव ने महिलाओं को डर, अपराधबोध और छिपाव की जिंदगी जीने पर मजबूर कर दिया.

क्या है लीच थेरेपी, जिससे रिस्टोर की जा सकती है वर्जिनिटी?

पुराने समय में महिला को वर्जिन दिखाने के लिए लीच थेरेपी जैसी कथित तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता था. इसमें जोंक (लीच) को लेबिया में डाल दिया जाता था, ताकि पहली बार संबंध बनाते समय खून आए, जिससे वर्जिनिटी का सबूत मिलता था.

लीच थेरेपी पर बन चुकी है शॉर्ट फिल्म

वर्जिनिटी जैसे संवेदनशील मुद्दे को सिनेमा ने भी आईना दिखाने की कोशिश की है. साल 2016 में आई शॉर्ट फिल्म ‘Leeches’ इसी सामाजिक दबाव और पाखंड पर आधारित थी. फिल्म में दिखाया गया कि कैसे समाज की बनाई गई धारणाएं महिलाओं को ऐसे फैसले लेने पर मजबूर कर देती हैं, जो उनके अपने अस्तित्व के खिलाफ होते हैं.

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