मां के कहने पर खाती हैं मिठाई, Smriti Mandhana को नहीं होती शुगर क्रेविंग, एक्सपर्ट से जानें इसके पीछा छुपा साइंस
भारतीय क्रिकेट स्टार स्मृति मंदाना ने हाल ही में एक बातचीज के दौरान बताया कि अब उन्हें पहले जैसे मीठा खाने की लालसा नहीं होती है. वह सिर्फ अपने मां के कहने पर ही मिठाई खाती हैं. अब जो मीठे के शौकीन लोग हैं, उनके दिमाग में सवाल आया होगा कि कैसे शुगर की क्रेविंग नहीं होती है.
मीठा खाने का शौक बहुत लोगों को होता है. बर्थडे हो या कोई फेस्टिवल, मिठाई हर मौके की खुशियों को बढ़ा देती है. कुछ लोगों को मीठे की ज्यादा क्रेविंग होती है. लेकिन लगातार मीठा खाने से हेल्थ पर नेगेटिव असर भी पड़ सकता है, जैसे वजन बढ़ना, ब्लड शुगर का बढ़ जाना और दांतों की समस्या.
स्टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्सक्राइब करने के लिए क्लिक करें
हालांकि, भारतीय क्रिकेटर स्मृति मंधाना की खास बात यह है कि उन्हें शुगर क्रेविंग यानी मीठा खाने की खास इच्छा नहीं होती है. अगर वह मीठा खाती भी हैं, तो सिर्फ मां के कहने पर. चलिए ऐसे में जानते हैं शुगर की क्रेविंग क्यों नहीं होती है.
कैसे कम हो जाती है शुगर की क्रेविंग?
एक्सपर्ट के मुताबिक, मीठा खाने की इच्छा कम होना असल में दिमाग में केमिकल से जुड़े बदलाव को दिखाता है. जब किसी की चीनी खाने की चाह धीरे-धीरे कम होती है, तो इसका मतलब है कि ब्रेन के इनाम देने वाले सर्किट्स (रिवॉर्ड सर्किट्स) बदल रहे हैं. समय के साथ लगातार चीनी खाने से दिमाग के डोपामिन रिसेप्टर्स कम सेंसेटिव हो जाते हैं, इसलिए चीनी वाली चीजें खाने का मन नहीं करता है.
आंत से क्या है कनेक्शन
एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब हम चीनी और प्रोसेस्ड फूड्स को छोड़कर फाइबर और कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाना खाने लगते हैं, तो हमारे आंत के माइक्रोबायोम में बदलाव आता है. ऐसे बैक्टीरिया जो हेल्दी फूड पर पनपते हैं, मजबूत हो जाते हैं, जिससे नैचुरली शुगर की क्रेविंग कम हो जाती है.
चीनी छोड़ने के लिए एक्सट्रीम डाइट की जरूरत?
इस बदलाव के लिए हार्ड डाइट या पूरी तरह से चीनी से परहेज़ जरूरी नहीं है. जब खाना धीरे-धीरे प्रोटीन, फाइबर और हेल्दी फैट से भरपूर बनता है, तो शरीर संतुष्ट महसूस करता है और पुरानी शुगर की लालसा अपने आप कम हो जाती है.





