40-50 के पुरुषों को क्यों भाती है 20-25 साल की लड़कियां? जानें असली वजहें जो कोई खुलकर नहीं बताता
क्या आपने भी कभी सोचा है कि 40-50 साल के पुरुष को 20-25 साल की लड़की ही क्यों इतनी पसंद आती है? गालिब ने कहा था, 'बस एक चेहरा देखा और प्रेम कर बैठे', लेकिन असल जिंदगी में प्यार के साथ-साथ और भी बहुत कुछ चलता है.
मिर्ज़ा गालिब अपनी मोहब्बत से भरी शायरियों से आज भी लोगों के दिलों पर राज करते हैं. कभी उनकी बेवफाई की दर्द भरी बातें, तो कभी दिल्लगी और इश्क के किस्से सब आज भी उतने ही ताज़ा लगते हैं. ऐसी ही एक पंक्ति याद आती है जो आज के ज़माने के प्यार पर बिल्कुल फिट बैठती है: उम्र नहीं थी इश्क करने की,बस एक चेहरा देखा और प्यार कर बैठे.' यानी प्यार में उम्र का कोई हिसाब-किताब नहीं होता। बस एक नज़र पड़ी नहीं कि दिल ने फैसला सुना दिया.
किताबों और शायरी में तो ये बात बहुत खूबसूरत लगती है, लेकिन हकीकत में जब हम सड़क पर या सोशल मीडिया पर किसी 45-50 साल के अधेड़ उम्र के शख्स को 20-25 साल की लड़की के साथ हाथ में हाथ डाले घूमते देखते हैं, तो ज़हन में सबसे पहला सवाल यही आता है- 'ये प्यार भी हर उम्र में अच्छा नहीं लगता भाई.' और फिर दिमाग में ढेर सारे सवाल उमड़ आते हैं. आखिर ये बड़े-बड़े उम्र के पुरुषों को कम उम्र की लड़कियां ही क्यों इतनी भाती हैं?.क्या वाकई इसमें सिर्फ प्यार होता है, या इसके पीछे कुछ और वजहें भी हैं?. तो चलिए, आज इसी सवाल का जवाब ढूंढते है.
स्टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्सक्राइब करने के लिए क्लिक करें
सदियों पुरानी आदत और समाज का रिवाज
हमारे यहां सैकड़ों सालों से यह चलता आया है कि पुरुष अपनी से काफी छोटी उम्र की लड़की से शादी करते हैं. 40-45 साल का आदमी और 18-22 साल की लड़की का रिश्ता पहले ज़माने में बिल्कुल नॉर्मल माना जाता था. वजह साफ थी? घर-परिवार का दबाव, लड़की को जल्दी 'सेटल' करना, दहेज और रिश्ते की दूसरी सामाजिक मजबूरियां और यह मान्यता कि छोटी उम्र की बहू घर को बेहतर तरीके से संभाल लेगी। हालांकि अब धीरे-धीरे यह सोच बदल रही है, लेकिन पूरी तरह गई नहीं है.
औरतें जल्दी 'बड़ी' हो जाती हैं, मर्द देर से
लड़कियां अक्सर 20-22 की उम्र में ही इमोशनली रूप से बहुत मैच्योर हो जाती हैं. वहीं लड़के 30 पार करने के बाद भी कई बार बच्चों जैसे व्यवहार करते हैं. अब जब एक 28 साल की लड़की अपने 28 साल के बॉयफ्रेंड से ज़्यादा समझदार, ज़िम्मेदार और प्लान करने वाली और करियर में आगे निकल जाती है, तो लड़के को थोड़ा डर लगने लगता है। उसे लगता है कि कहीं उस पर दबाव न पड़ जाए. ऐसे में 22-23 साल की लड़की उसके साथ होती है तो वह खुद को 'बड़ा भाई', 'मेंटर' या 'हीरो' जैसा फील करता है. वहां उसे कम चुनौती मिलती है और वह खुद को ज़्यादा कंट्रोल में महसूस करता है.
बच्चे और वंश की चाहत
जीव विज्ञान भी इसमें बड़ी भूमिका निभाता है. 20 से 30 साल की लड़की में प्रजनन क्षमता सबसे ज़्यादा होती है, यानी स्वस्थ बच्चा होने की संभावना सबसे अधिक। बहुत से पुरुष (खासकर जो पहली शादी देर से कर रहे हों या दूसरी शादी कर रहे हों) यही सोचते हैं कि 'अब परिवार बसाना है, तो सही समय पर सही पार्टनर चाहिए' इसलिए वह कम उम्र की लड़की को प्राथमिकता देते हैं.
बोरियत और ताज़गी की तलाश
40-50 की उम्र तक आते-आते जिंदगी में काम, EMI, बच्चों की पढ़ाई, ऑफिस की टेंशन सब कुछ एक सर्कल बन जाता है, इंसान बोर हो जाता है.
ऐसे में कोई 23-25 साल की लड़की उसके साथ हंसती-बोलती है, मस्ती करती है, प्यार से 'जानू', 'बेबी', 'पापा' (हां, कुछ लोग ऐसा भी बुलवाते हैं!) जैसे नामों से पुकारती है तो उसका सारा स्ट्रेस उड़न-छू हो जाता है. उसे लगता है कि वह फिर से जवान हो गया। जिंदगी में फिर से रंग आ गए.
कंट्रोल और 'टीचर' बनने का मज़ा
कई पुरुषों को यह बहुत अच्छा लगता है कि वह रिश्ते में 'बड़ा' रहे. वह लड़की को नई-नई जगह घुमाए, नई चीज़ें सिखाए, उसे 'दुनिया' दिखाए। उसे अच्छा लगता है कि उसका अनुभव, उसकी समझ और उसकी ताकत सब सामने आ रही है. कम उम्र की लड़की के साथ उसे लगता है कि वह रिश्ते को अपने हिसाब से चला सकता है.
सोसाइटी में इज्ज़त और 'यंग फील'
हमारा समाज आज भी औरत की खूबसूरती को उसकी जवानी से जोड़ता है. एक जवान और खूबसूरत बीवी को साथ लेकर घूमने में मर्द को लगता है कि 'देखो, उम्र ढल रही है, लेकिन मेरा जलवा अभी भी बरकरार है!' लोग तारीफ करते हैं, वाह-वाही होती है, तो अंदर से ईगो बूस्ट हो जाता है. साथ ही जवान पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध भी ज़्यादा रोमांचक और सक्रिय लगते हैं इससे भी उसे युवा होने का अहसास होता है.
तो कुल मिलाकर…कभी यह बायोलॉजी है, कभी समाज की पुरानी सोच, कभी इंसान का अपना ईगो और बोरियत, तो कभी बस जिंदगी को फिर से रंगीन करने की चाहत।.सब मिलाकर यही वजहें हैं कि बड़े उम्र के बहुत से पुरुष कम उम्र की लड़कियों की तरफ खिंचे चले जाते हैं. प्यार तो प्यार है वह कहीं भी, किसी से भी, किसी भी उम्र में हो सकता है. बस समाज को उसे पचाने में अभी भी थोड़ा वक्त लगेगा।





