क्या आपने खाए हैं दिल्ली के मशहूर सीता राम-दीवान चंद के छोले भटूरे? 75 साल पहले शुरू हुआ था स्वाद का सफर
हां अगर आप उन लोगों में से एक हैं जो अपने कुकिंग जुनून को फिर से जगाने के लिए प्रेरणा की तलाश में हैं, तो सीता राम दीवान चंद से जरूर इंस्पायर्ड हो सकते हैं. जो तकरीबन 75 साल से अपने दिल्ली वासियों को स्वाद से भरपूर छोले-भटूरे खिला रहे हैं.

कोविड-19 महामारी का एक ऐसा दौर था जहां पूरी दुनिया अपने घरों में कैद थी. बाहर जाने के ऑप्शन के साथ बाहर के लजीज खाने का भी ऑप्शन खत्म हो चुका था. लेकिन घर बैठें लोग आखिर कब तक अपना मन टीवी देखकर बहलाते ऐसे में जागा सबके अंदर एक अपना मास्टर शेफ.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि ज्यादातर भारतीय कोविड-19 महामारी के दौरान पाक कला में जरूर शामिल हो गए. किसी ने बनाए घर बैठे रसगुल्ले तो किसी ने छोले भटूरे. हां, इसके अलावा गोलगप्पे और डाल्गोना कॉफ़ी समेत नए-नए स्वादिष्ट व्यंजन पकाने से लेकर साधारण व्यंजन पकाने का तरीका सीखने की कला सब में जागी थी. हालांकि अब महामारी गई और लोगों में खाना बनाने का इंट्रेस्ट भी.
75 साल से खिला रहें हैं
हां अगर आप उन लोगों में से एक हैं जो अपने कुकिंग जुनून को फिर से जगाने के लिए प्रेरणा की तलाश में हैं, तो सीता राम दीवान चंद से जरुर इंस्पायर्ड हो सकते हैं. जो तकरीबन 75 साल से अपने दिल्ली वासियों को स्वाद से भरपूर छोले-भटूरे खिला रहे हैं. सीता राम दीवान चंद जिन्होंने एक व्यंजन से शुरुआत की जो आज कई करोड़ रुपये के साम्राज्य में बदल गया है. जब दिल्ली के स्ट्रीट फूड की बात आती है, तो सीता राम-दीवान चंद छोले-बटूरे के लिए फेमस हैं. सीता राम ने छोले-भठूरे बनाकर दिल्ली के लोगों का दिल जीत लिया, जो नरम और अविश्वसनीय रूप से स्वादिष्ट हैं.
साइकिल पर बेचते थे छोले भटूरे
आज दिल्ली के लोग ही नहीं, बल्कि देशभर के लोग इस स्वाद की फैन हैं.1955 में सीता राम जी और दीवान चंद जी ने अपना बिजनेस शुरू किया. वे पहाड़गंज डीएवी स्कूल के सामने अपनी साइकिलें खड़ी करते थे और भूखे स्कूली बच्चों और राहगीरों को गर्म छोले भटूरे बेचते थे. यह लोकप्रिय हो गया और 1970 में, उन्होंने इंपीरियल सिनेमा के सामने एक छोटी सी दुकान खोली. इससे उनके बिजनेस को काफी बढ़ावा मिला.
खाने की क्वालिटी ने किया अट्रैक्ट
सीता राम-दीवान चंद की सफलता के बारें में बात करें तो वह खुद मसाले बनाते हैं. मुंह में पानी ला देने वाली मीठी और खट्टी चटनी सूखे अनार के दानों से बनाई जाती है. सबसे स्वादिष्ट भटूरे बनाने के लिए इसमें पनीर, अजवायन, मेथी और हींग मिलाया जाता है. जैसे-जैसे पहाड़गंज एक व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से इसकी निकटता बढ़ती गई, अधिक लोग उनके बिजनेस की सराहना करने लगे. उनके खाने की क्वालिटी ने पुराने और नए कस्टमर को अट्रैक्ट किया है. 2008 में, उनकी तीसरी जनरेशन, राजीव कोहली और उत्सव कोहली ने पीतमपुरा, पश्चिम विहार और गुरुग्राम में नई ब्रांच खोली है.