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पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए इकलौते मुस्लिम युवक सैयद आदिल हुसैन शाह के बारे में कितना जानते हैं आप?

पहलगाम आतंकी हमले में सैयद आदिल हुसैन शाह पर्यटकों की जान बचाने की कोशिश में खुद आतंकियों की गोली का शिकार हो गए. उनकी बहादुरी और उनके बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा. आदिल की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची वीरता धर्म, जाति या पेशे से परे होती है. वे हमले में मारे गए इकलौते मुस्लिम थे. आइए, उनके बारे में विस्तार से जानते हैं...

पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए इकलौते मुस्लिम युवक सैयद आदिल हुसैन शाह के बारे में कितना जानते हैं आप?
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Who Was Syed Adil Hussain Shah, Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में स्थानीय युवा सैयद आदिल हुसैन शाह भी शामिल है. पर्यटकों को बचाने की कोशिश करते समय आतंकियों ने उसे गोली मार दी. आदिल की अंतिम विदाई में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी मौजूद रहे.

सैयद आदिल हुसैन शाह की कहानी न केवल कश्मीर की धरती पर बहादुरी की मिसाल है, बल्कि यह इंसानियत और साहस का प्रतीक बन चुकी है. आइए, उनके बारे में विस्तार से जानते हैं...

कौन थे सैयद आदिल हुसैन शाह?

सैयद आदिल हुसैन शाह जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के हापतनार गांव के निवासी थे. आदिल पेशे से एक पोनी राइडर थे और पहलगाम के बैसरन घाटी में पर्यटकों को खच्चर की सवारी कराकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे. वे अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे. उनके परिवार में पत्नी, माता-पिता, दो भाई और तीन बहनें हैं.

22 अप्रैल 2025: जब आदिल ने दिखाई वीरता

22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन घाटी में आतंकियों ने हमला किया, जिसमें 26 लोग मारे गए. आदिल ने आतंकियों से भिड़ते हुए उनकी बंदूक छीनने की कोशिश की, जिससे पर्यटकों को बचाया जा सके. इस प्रयास में उन्हें आतंकियों ने गोली मार दी. आदिल आतंकी हमले में मारे गए एकमात्र मुस्लिम थे. उनका घर बैसरन घाटी से 30 किमी दूर है.

'निर्दोष लोगों को क्यों मार रहे हो'

जब एक परिवार आतंकियों के सामने खड़ा था तो आदिल ने उनसे पूछा कि वे निर्दोष लोगों को क्यों मार रहे हैं. उसने आतंकियों के हथियार छीनने की कोशिश की. इसी दौरान आतंकियों ने आदिल के गले और सीने में गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई. आदिल के चचेरे भाई नजाकत अहमद शाह ने तीन बच्चों समेत 11 पर्यटकों की जान बचाई.

उमर अब्दुल्ला ने आदिल को बताया 'असली हीरो'

आदिल की बहादुरी की सराहना करते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उनके परिवार से मुलाकात की और उन्हें 'सच्चा हीरो' कहा. इसके अलावा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी आदिल के परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान की.

एक वादा, जो रह गया अधूरा

आदिल ने अपनी मां से वादा किया था कि वह उन्हें जल्द ही नए घर में ले जाएगा. हालांकि, उसकी मौत के बाद यह वादा भी अधूरा रह गया.

आदिल की बहादुरी को हमेशा याद रखा जाएगा

सैयद आदिल हुसैन शाह की बहादुरी और उनके बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा. उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची वीरता धर्म, जाति या पेशे से परे होती है. आदिल की बहादुरी की कहानी सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा की गई है, जिसमें उनकी तस्वीरें और उनके परिवार की भावनात्मक प्रतिक्रियाएं शामिल हैं.

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