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210 टन की शिव शक्ति: 2100 KM की यात्रा कर तमिलनाडु से पहुंचेगा बिहार, विश्व का सबसे बड़ा अखंड शिवलिंग कैसे?

Virat Ramayan Temple Bihar: 210 टन वजनी विश्व का सबसे बड़ा अखंड शिवलिंग तमिलनाडु से 2100 किलोमीटर की ऐतिहासिक यात्रा कर बिहार अगले कुछ दिनों में पहुंचेगा. जानिए कैसे तैयार हुआ यह दिव्य शिवलिंग, कैसे तमिलनाडु से बिहार तक की यात्रा होगी पूरी,और क्यों इसे अद्भुत इंजीनियरिंग व आस्था का संगम माना जा रहा है.

210 टन की शिव शक्ति: 2100 KM की यात्रा कर तमिलनाडु से पहुंचेगा बिहार, विश्व का सबसे बड़ा अखंड शिवलिंग कैसे?
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World Largest Shivling Bihar: आस्था, कला, वास्तुकला, अध्यात्म, इंजीनियरिंग का अनोखा संगम बनने जा रहा दुनिया का सबसे बड़ा अखंड शिवलिंग तमिलनाडु से बिहार लाया जा रहा है. एक ही ग्रेनाइट ब्लॉक से बना और करीब 210 टन वजनी यह विशाल शिवलिंग 2100 किलोमीटर की लंबी और चुनौतीपूर्ण और अद्भुत यात्रा तय करेगा. एक ही पत्थर से निर्मित यह शिवलिंग न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से खास है बल्कि इसे भारत की सांस्कृतिक एकता और तकनीकी क्षमता का प्रतीक भी माना जा रहा है. इसे बिहार के पूर्वी चंपारण में बन रहे विराट रामायण मंदिर में स्थापित किया जाएगा. यह मंदिर परिसर का मुख्य आकर्षण होगा.

सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग भारत के असम के नगांव में महा मृत्युंजय मंदिर है, जो 126 फुट (38 मीटर) ऊंचा ढांचा है. यह मंदिर फरवरी 2021 में बनकर तैयार हुआ और उसी समय इसका उद्घाटन हुआ था. यही वजह है कि सोशल मीडिया पर लोगों ने दुनिया के सबसे ऊंचे माने जा रहे 33 फीट के शिवलिंग पर सवाल उठाए हैं, लेकिन यह सवाल अपने आप में अर्थहीन है. इस बात जानने के लिए पूरी स्टोरी ध्यान से पढ़ें.

दरअसल, दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग बिहार में स्थापित होने जा रहा है. यह शिवलिंग दुनिया का ऐसा अजूबा नमूना है जो एक ही अखंड ग्रेनाइट पत्थर से बना है. इसलिए, यह अब तक का सबसे ऊंचा शिवलिंग है. 33 फीट ऊंचा और 210 टन वजन का यह शिवलिंग महाबलीपुरम में कुशल कारीगरों द्वारा 10 साल से ज्यादा की मेहनत के बाद बनाया गया है.

यह मंदिर बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के चकिया में निर्माणाधीन है. इसकी स्थानिक स्थिति केसरिया के निकट जानकी नगर में बहुआरा काठवलिया गाव में केसरिया-चईका सड़क है. यह स्थल वैशाली से 60 किलोमीटर और पटना से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर है.

कैसे और कब पहुंचेगा पूर्वी चंपारण?

भगवान शिव के इस विशाल शिवलिंग को तमिलनाडु से बिहार के पूर्वी चंपारण तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए एक खास 96-पहियों वाला हाइड्रोलिक ट्रेलर लगाया गया है. हाइड्रोलिक ट्रेलर द्वारा 2100 किलोमीटर लंबे रास्ते को लगभग 20 से 25 दिन में पूरा करने की उम्मीद है. रास्ते में ट्रैफिक, मौसम के उतार चढ़ाव व सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे गंतव्य तक पहुंचने कुछ दिन ज्यादे भी लग सकते हैं. यह शिवलिंग जिस-जिस राज्यों के शहर से गुजरेगा, वहां के प्रशासन को इसकी अहमियत की सूचना दे दी गई है. प्रशासन को हर स्तर पर सुरक्षा मुहैया कराने को कहा गया है. ताबि बिना किसी बाधा के अखंड शिवलिंग गंतव्य तक पहुंच जाए.

इसे ले जाने वाला ट्रेलर कई शहरों से गुजरेगा, जहां लोगों के पूजा-अर्चना के लिए अस्थायी मंच बनाए जा रहे हैं. भगवान शिव के भक्त जहां कहीं भी यह रुकेगा, वहां अनुष्ठानों और छोटी-मोटी शोभायात्राओं के साथ इसका स्वागत करने की तैयारी कर रहे हैं. भगवान शिव को समर्पित पूजा करने के लिए अलग-अलग जगहों पर पुजारी मौजूद रहेंगे.

बनने में लगे 10 साल, यहां होगा स्थापित

यह शिवलिंग पूर्वी चंपारण में बनने वाले विराट रामायण मंदिर में स्थापित किया जाएगा, जहां मंदिर खुलने के बाद यह मुख्य आकर्षण का केंद्र होगा. विशाल शिवलिंग महाबलीपुरम के पास पट्टिकाडु इलाके में एक ही ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है. कारीगरों ने एक ही ग्रेनाइट पत्थर को आकार देने में लगभग दस साल लगाए, जिसमें नक्काशी और कुल संतुलन का खास ध्यान रखा गया है. इसे बनाने की लागत लगभग 3 करोड़ रुपये आंकी गई है.

यह ढांचा भारत में किसी मंदिर के अंदर रखा जाने वाला अब तक का सबसे बड़ा अखंड ग्रेनाइट शिवलिंग भी बन जाएगा. एक बार जब यह चकिया पहुंच जाएगा, तो मंदिर समिति इसके स्थापना की तैयारी करेगी, जिसकी योजना 2026 की शुरुआत में है.

मंदिर निर्माण में आई तेजी

पूर्वी चंपारण चकिया में विराट रामायण मंदिर पटना के महावीर मंदिर ट्रस्ट द्वारा बनाया जा रहा है. यह कॉम्प्लेक्स 1080 फीट लंबा और 540 फीट चौड़ा होगा, जिसकी दीवारों पर रामायण के दृश्य दिखाए जाएंगे. इसमें 22 मंदिर, 18 शिखर और एक मुख्य शिखर होगा जो 270 फीट ऊंचा होगा.

विराट रामायण मंदिर स्ट्रक्चर के कुछ हिस्से पहले ही पूरे हो चुके हैं, जिनमें एंट्रेंस गेट, गणेश स्थल, सिंह द्वार, नंदी और गर्भगृह की नींव शामिल है. शिवलिंग के बिहार पहुंचने के बाद शुभ मुहूर्त पर 'प्राण-प्रतिष्ठा' की जाएगी, जिसमें संतों और हजारों भक्तों के शामिल होने की उम्मीद है. मंदिर अलग-अलग चरणों में आम जनता के लिए खोला जाएगा.

कौन बना रहा विराट रामायण मंदिर?

विराट रामायण मंदिर, बिहार के पूर्वी चंपारण के चकिया - केसरिया नगर के निकट जानकीपुर में बन रहा एक आगामी मंदिर है जिसे पटना की महावीर स्थल न्यास समिति (महावीर मंदिर न्यास) नामक संस्था द्वारा बनाया जा रहा है. कम्पूचिया के अंकोरवाट की तर्ज पर इस मंदिर को अंकोरवाट की दुगनी ऊंचाई एवं आकार का बनाए जाने की योजना है. इस मंदिर-समूह में कुल 18 देवताओं के मंदिर होंगे जिनमें मुख्य आराध्य भगवान राम होंगे.

शिवलिंग सबसे बड़ा कैसे?

विराट रामायण मंदिर का प्रमुख शिखर आकार में अंकोरवाट मंदिर जो (215 फुट) ऊंचा है, से करीब दोगुना यानी 405 फुट ऊंचा होगा. साथ ही, यह 200 एकड़ के क्षेत्र पर फैला होगा. इस आकार के साथ पूर्ण होने पर यह विश्व की सबसे बड़ा धार्मिक संरचना होगी. इस निर्माण कार्य की कुल लागत 500 करोड़ होगी.

कम्बोडिया सरकार की आपत्ति पर बदला मंदिर का नाम

शुरुआत में इस मंदिर का नाम विराट अंकोरवाट मंदिर रखा गया था. इसकी योजना के आवरण एवं प्रचलित चर्चा होने के बाद के बाद कम्बोडिया की सरकार ने इस मंदिर के नाम को असल अंकोरवाट की नकल होने पर भारत सरकार से अपनी आपत्ति व चिंता जताई. इसके बाद भारत सरकार द्वारा रोक के पश्चात इस मंदिर के नाम को बदल कर इसे विराट रामायण मंदिर नाम रखा गया. इसके अलावा भी इस परियोजना में कई बदलाव भी किए गए हैं.

विराट रामायण मंदिर की पृष्ठभूमि

विराट रामायण मंदिर परियोजना के सूत्रधार आचार्य किशोर कुणाल हैं, जो पटना के महावीर मंदिर न्यास (ट्रस्ट) के सचिव एवं बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष हैं. महावीर स्थान न्यास समिति जो पटना के महावीर मंदिर में आधारित है, की प्राथमिक योजना गंगा-पार, हाजीपुर में विराट अंकोरवाट मंदिर नामक एक भव्य मंदिर बनाने की थी, जिसका आकार असल मंदिर का दोगुना हो. इस लक्ष्य को मूर्त रूप देने के लिए न्यास ने पूर्वी चंपारण में 161 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी. साथ ही चंपारण में भव्य विराट कार धर्मालय बनाने की परियोजना भी तैयार की गई है. कम्बोडिया सरकार द्वारा जताई गई आपत्ति और चिंता के बाद सरकार ने इसे अंकोरवाट मंदिर की हूबहू नकल बनाने की योजना छोड़ दी. नए मंदिर के प्रतिरूप की अनावरण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 13 नवंबर 2013 को किया था. मंदिर निर्माण का काम जून 2015 से जारी है.

मंदिर की खासियत

विराट रामायण मंदिर बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के कैथवलिया-बहुअरवा गांव में बन रहा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर परिसर होगा. मंदिर का शिखर 270 फीट ऊंचा शिखर और 33 फीट ऊंचा विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग होगा, जिसका लक्ष्य 2027 तक पूरा होना है. यह मंदिर पूर्वी चंपारण के राम-जानकी मार्ग पर स्थित है.

प्रेरणा: इस मंदिर की प्रेरणा कंबोडिया के अंगकोरवाट, भारत के रामेश्वरम और मीनाक्षी मंदिरों से मिली है. यह तीनों मंदिर का मिश्रित रूप होगा.

परियोजना: इसे पटना के महावीर मंदिर ट्रस्ट द्वारा बनाया जा रहा है और आचार्य किशोर कुणाल इसके प्रमुख हैं.

अहमियत: यह राम-जानकी मार्ग (अयोध्या-जनकपुर) पर स्थित है और माना जाता है कि भगवान राम की बारात यहां ठहरी थी.

लक्ष्य: साल 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है, निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है.

भारत के प्रसिद्ध शिवलिंग

1. भारत के असम के नगांव में महामृत्युंजय मंदिर है जो 126 फुट (38 मीटर) ऊंचा ढांचा है. यह मंदिर फरवरी 2021 में बनकर तैयार हुआ और उसी समय इसका उद्घाटन हुआ था.

2. महेश्वरम श्री शिव पार्वती मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम के चेंकल में एक शिवलिंग है जो 111.2 फुट (34 मीटर) ऊंचा है, जिसने नगांव मंदिर के पूरा होने से पहले दुनिया का रिकॉर्ड बनाया था.

3. कोटिलिंगेश्वर मंदिर कर्नाटक. यहां का मुख्य आकर्षण 108 फुट (33 मीटर) ऊंचा शिवलिंग है, जो लाखों छोटे लिंगों से घिरा हुआ है.

4. आने वाला विराट रामायण मंदिर बिहार में एक ही ग्रेनाइट ब्लॉक से बना 33 फुट (10 मीटर) ऊंचा, 210 टन का शिवलिंग वर्तमान में तमिलनाडु से बिहार के पूर्वी चंपारण में बन रहे विराट रामायण मंदिर के केंद्र बिंदु के रूप में स्थापित करने के लिए ले जाया जा रहा है. यह मंदिर के अंदर स्थापित किया जाने वाला सबसे बड़ा अखंड ग्रेनाइट शिवलिंग होगा.

5. भोजेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश में 11वीं सदी के स्थापित इस प्राचीन व अधूरे मंदिर में एक बड़ा पत्थर का शिवलिंग है जो 7.5 फुट ऊंचा है और 21 फुट ऊंचे चबूतरे पर खड़ा है, जिसकी कुल ऊंचाई 40 फुट से अधिक है, और इसे एक ही चट्टान से बने सबसे बड़े प्राचीन शिवलिंगों में से एक माना जाता है.

6. कार्डो शिवलिंग अरुणाचल प्रदेश. यह एक प्राकृतिक रूप से बना शिवलिंग है जिसकी ऊंचाई लगभग 25 फुट है.

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