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SIR से मतुआ तक... PM मोदी के बंगाल दौरे के क्या हैं सियासी मायने? ममता का तंज - ‘डैमेज कंट्रोल में जुटी BJP’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पश्चिम बंगाल के नादिया पहुंच गए हैं. उनका यह दौरा सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं बल्कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा सियासी संकेत माना जा रहा है. वहीं, SIR विवाद, मतुआ वोट बैंक और नागरिकता जैसे मुद्दों पर ममता बनर्जी ने बीजेपी को ‘डैमेज कंट्रोल’ में जुटी पार्टी बताया. जानिए पीएम मोदी के दौरे का बंगाल चुनाव से क्या कनेक्शन है?

SIR से मतुआ तक... PM मोदी के बंगाल दौरे के क्या हैं सियासी मायने? ममता का तंज - ‘डैमेज कंट्रोल में जुटी BJP’
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( Image Source:  ANI )

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पश्चिम बंगाल दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब राज्य की राजनीति पहले से ही उबाल पर है. एक तरफ SIR (Special Intensive Revision) को लेकर सत्तारूढ़ टीएमसी और बीजेपी आमने-सामने हैं, तो दूसरी ओर मतुआ समुदाय और नागरिकता जैसे संवेदनशील मुद्दे चुनावी बहस के केंद्र में आ गए है. पीएम मोदी मतुआ समुदाय की नागरिकता पर बड़ा एलान कर सकते हैं. इसके जवाब में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा है कि पार्टी बंगाल में अपनी कमजोर होती पकड़ को बचाने के लिए ‘डैमेज कंट्रोल राजनीति’ कर रही है.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन और कई परियोजनाओं को शिलान्यास किया. पीएम का ड्राफ्ट SIR लिस्ट जारी होने के बाद राज्य का यह पहला दौरा और पिछले पांच महीनों में यह तीसरा दौरा है. प्रधानमंत्री मोदी रानाघाट के ताहिरपुर इलाके में बीजेपी रैली में शिरकत करेंगे. यह इलाका बोंगांव में नामाशूद्र हिंदू समुदाय के गढ़ के पास है.

बताया जा रहा है कि वह मतुआ समुदाय के बीच नागरिकता और मतदाता सूची से नाम कटने जैसी चिंताओं को लेकर आज बयान दे सकते हैं. उनकी बयान पर सीएम ममता बनर्जी की भी नजर है. यानी पीएम मोदी शनिवार को ताहिरपुर की रैली से बीजेपी के लि चुनावी शंखनाद भी कर सकते हैं.

PM ने क्यों बताया TMC के शासन को कुशासन?

इस बीच पीएम ने 19 दिसंबर को X पर अपने दौरे की घोषणा करते हुए पोस्ट किया, "पश्चिम बंगाल के लोगों को केंद्र सरकार की कई जन-समर्थक पहलों से फायदा हो रहा है. साथ ही, वे हर सेक्टर में TMC के कुशासन के कारण परेशान हैं." उन्होंने आगे कहा, "TMC की लूट और धमकियों ने सारी हदें पार कर दी हैं. इसीलिए, बीजेपी लोगों की उम्मीद है." उनके इस पोस्ट से साफ है कि पीएम मोदी का यह दौरा पूरी तरह से सियासी है.

पीएम का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने चुनावी सूचियों के विशेष गहन संशोधन (SIR) का लगातार विरोध कर रही है. एसआईआर (SIR) के जरिए बड़ी संख्या में असली मतदाताओं, खासकर शरणार्थी हिंदुओं के नाम हटाए गए हैं. उनका यह बयान एसआईआर ड्राफ्ट से 58,20,899 नाम हटाने का मामला सामने आने के बाद दिया है. एसआईआर के बाद पश्चिम बंगाल में मतदाताओं की संख्या 7.08 करोड़ हो गई है.

80 सीटों पर मतुआ समुदाय का असर

इसके अलावा, लगभग 1.36 करोड़ एंट्रीज को गलत पाया गया है. जबकि 30 लाख मतदाताओं को अनमैप्ड के रूप में वर्गीकृत किया गया है. जिनमें से एक महत्वपूर्ण प्रतिशत को अगले 45 दिनों में सत्यापन सुनवाई के लिए बुलाया जा सकता है. मतुआ समुदाय, जो एक दलित हिंदू समुदाय है और धार्मिक उत्पीड़न के कारण दशकों पहले बांग्लादेश से पलायन करके आया था, उसके लिए इस प्रक्रिया ने पहचान और दस्तावेजों को लेकर चिंताएं फिर से जगा दी हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राज्य की 294 विधानसभा सीटों में से 80 सीटों पर मतुआ समुदाय का प्रभाव है.

कहीं छिटक न जाएं मतुआ मतदाता!

ऐसी अटकलें हैं कि बड़ी संख्या में मतुआ समुदाय के लोगों को पहले ही ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. वेरिफिकेशन के दौरान सुनवाई के नोटिस मिलने पर उन्हें EC द्वारा बताए गए जरूरी दस्तावेज पेश करने होंगे, जो उनके पास नहीं हैं, इसलिए फाइनल लिस्ट में और भी कई लोगों के बाहर होने की संभावना है. इसको लेकर मतुआ समुदाय के लोग डरे हुए हैं. दरअसल, पिछले कुछ सालों में चुनाव नतीजों से पता चला है कि BJP ने इस समुदाय में काफी पैठ बनाई है और उन्हें औपचारिक भारतीय नागरिकता देने का वादा किया है. बीजेपी चिंता यह है कि अगर टीएमसी का नैरेटिव काम कर गया तो उनके हाथ आया मतुआ मतदाता, छिटक सकता है.

कंद्रीय मंत्री ने दिया ये भरोसा

इस बात को ध्यान में रखते हुए बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकर ने मतुआ समुदाय के सदस्यों से CAA के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने की अपील की है. उन्हें भरोसा दिला रहे हैं कि बांग्लादेश से दस्तावेज जरूरी नहीं हैं और सामुदायिक संगठनों का प्रमाण पत्र ही काफी होगा. उन्होंने मतुआ समुदाय के अंदर इस चिंता को दूर किया है कि उनके नाम हटा दिए जा सकते हैं, और उन्हें आश्वासन दिया है कि CAA के जरिए नागरिकता यह सुनिश्चित करेगी कि वे चुनावी सूची में बने रहें.

TMC जानबूझकर फैला रही डर

BJP सांसद जगन्नाथ सरकार, जो राणाघाट लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसी क्षेत्र के ताहिरपुर इलाके में SIR को लेकर मतुआ समुदाय के लोगों में जानबूझकर डर फैलाया जा रहा है. उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि PM आज मतुला के लोगों को भरोसा देंगे और डर और अफवाहों को दूर करेंगे. इस लिहाज से भी पीएम का दौरा अहम माना जा रहा है.

बंगाल की राजनीति में मतुआ का महत्व

मतुआ समुदाय की आबादी करीब 2 करोड़ मानी जाती है. नदिया, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना में निर्णायक प्रभाव. लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ‘गेम चेंजर’ वोट बैंक. लंबे समय से नागरिकता और पहचान की मांग. इसी वजह से हर चुनाव से पहले मतुआ समुदाय का मुद्दा राजनीतिक केंद्र में आ जाता है.

ममता बनर्जी का पलटवार

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा - “बीजेपी को पता है कि बंगाल में उसका आधार खिसक रहा है, इसलिए अब वो मतुआ और हिंदू समुदाय के नाम पर डैमेज कंट्रोल कर रही है.” ममता ने सवाल उठाया कि अगर बीजेपी सच में नागरिकता देना चाहती थी तो 10 साल केंद्र में सत्ता में रहते हुए अब तक क्यों नहीं दिया? उन्होंने कहा कि CAA केवल चुनावी जुमला है और जमीनी हकीकत कुछ और.ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी बार-बार डर फैलाकर वोट बटोरने की कोशिश करती है। कभी NRC का डर, कभी CAA का लालच, और अब मतुआ समुदाय का नाम.उनका कहना है कि टीएमसी सरकार ने कभी किसी से नागरिकता छीनी नहीं और न ही छीनेगी.

क्या है बंगाल में SIR विवाद?

SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर बंगाल में भारी विवाद चल रहा है. टीएमसी का आरोप है कि SIR के नाम पर वैध मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं. खासतौर पर अल्पसंख्यक और गरीब तबकों को निशाना बनाया जा रहा है. बीजेपी चुनाव से पहले मतदाता सूची में हेरफेर करना चाहती है. वहीं, बीजेपी का दावा है कि SIR का मकसद केवल फर्जी वोटरों को हटाना है.

SIR और नागरिकता का कनेक्शन

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, नागरिकता का मुद्दा और मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR). दोनों को चुनावी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. टीएमसी इसे बीजेपी की “चुनावी इंजीनियरिंग” बता रही है, जबकि बीजेपी इसे “साफ चुनाव” की प्रक्रिया कह रही है.

लोकसभा चुनाव से पहले बंगाल पर खास फोकस, मतुआ और हिंदू वोट बैंक साधने की कोशिश, ममता बनर्जी को सीधे चुनौती, CAA, NRC और SIR जैसे मुद्दों पर नैरेटिव सेट करने की रणनीति, पीएम मोदी के दौरे से पहले उठा यह विवाद साफ संकेत दे रहा है कि बंगाल में सियासी जंग और तीखी होने वाली है.

2026 में होगा बंगाल विधानसभा चुनाव

साल 2026 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा राजनीतिक रूप से काफी अहम है. अपने दौरे में प्रधानमंत्री मोदी नदिया जिले के ताहेरपुर में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब राज्य में एसआईआर को लेकर सियासी विवाद गहराया हुआ है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस एसआईआर प्रक्रिया का विरोध कर रही है और इसे लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठा रही है.

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