यहां कोई बुलडोजर संस्कृति नहीं...बेंगलुरु तोड़फोड़ पर सियासी महाभारत! केरल CM के बयान से कांग्रेस में भी मचा घमासान
बेंगलुरु में अवैध निर्माणों पर हुई तोड़फोड़ के बाद सियासत तेज हो गई है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के ‘बुलडोजर राज’ वाले बयान ने विवाद को और हवा दे दी. इस पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कड़ा पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार किसी भी तरह की बुलडोजर संस्कृति में विश्वास नहीं रखती. उन्होंने साफ किया कि कार्रवाई सिर्फ सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए थी. इस मुद्दे पर कांग्रेस के भीतर भी मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं.
बेंगलुरु में हालिया तोड़फोड़ अभियान को लेकर सियासत गरमा गई है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा कर्नाटक सरकार पर 'बुलडोजर राज' और 'अल्पसंख्यक विरोधी राजनीति' के आरोप लगाने के बाद अब कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने तीखा पलटवार किया है. उन्होंने साफ कहा है कि कांग्रेस सरकार 'डर और जबरदस्ती की राजनीति' में विश्वास नहीं रखती और यह कार्रवाई पूरी तरह सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए की गई है.
डीके शिवकुमार ने आरोपों को तथ्यों से परे बताते हुए कहा कि केरल के मुख्यमंत्री ने बिना सच्चाई जाने टिप्पणी की है. उन्होंने दो टूक कहा कि बेंगलुरु में कोई 'बुलडोजर संस्कृति' नहीं है और सरकार मानवीय आधार पर भी प्रभावित लोगों की मदद के लिए तैयार है.
केरल CM के आरोपों से मचा सियासी तूफान
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए बेंगलुरु में 200 से ज्यादा घरों को गिराए जाने की आलोचना की थी. उन्होंने लिखा था, 'जब कोई शासन डर और ताकत के दम पर चलता है, तो संविधानिक मूल्य और मानव गरिमा सबसे पहले कुचली जाती है.' विजयन ने इसे उत्तर भारत में हो रही विवादित बुलडोजर कार्रवाइयों से भी जोड़ा, जिससे विवाद और गहरा गया.
DK शिवकुमार का पलटवार- 'बिना तथ्य जाने बयानबाजी'
इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए डीके शिवकुमार ने कहा कि उन्होंने मामले के तथ्य जाने बिना टिप्पणी की है.” सदाशिवनगर स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि जिन ढांचों को गिराया गया, वे सरकारी जमीन पर बने थे, जो पहले एक सॉलिड वेस्ट डंपिंग साइट के रूप में इस्तेमाल हो रही थी. उन्होंने कहा कि जिस जमीन से अतिक्रमण हटाया गया था, वह एक सॉलिड वेस्ट डंपिंग पिट थी. इस इलाके में इससे जुड़ी कई स्वास्थ्य समस्याएं थीं. हमारे भीतर भी इंसानियत है और हमने लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट होने का अवसर भी दिया था.”
‘बुलडोजर राज’ के आरोप खारिज
डीके शिवकुमार ने ‘बुलडोजर राज’ के आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि “हमारे यहां बुलडोजर कल्चर नहीं है. मैं पिनराई विजयन से अपील करता हूं कि वे इस तरह की बातें न करें. हम शहर के बीचों-बीच स्थित सरकारी जमीन की ही रक्षा कर रहे हैं.” उन्होंने दावा किया कि यह कार्रवाई शहर के बीचों-बीच सरकारी संपत्ति को बचाने के लिए जरूरी थी. उपमुख्यमंत्री ने इस पूरे मामले के पीछे लैंड माफिया की भूमिका होने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि “भूमाफिया बाद में जमीन पर कब्जा करने की मंशा से झुग्गियां बसाते हैं. हम ऐसा होने की इजाजत नहीं देंगे.” साथ ही भरोसा दिलाया कि जो लोग पात्र होंगे, उन्हें राजीव गांधी आवास योजना के तहत घर दिए जाएंगे.
400 परिवार बेघर, जमीनी हकीकत क्या है?
22 दिसंबर की सुबह फकीर कॉलोनी और वसीम लेआउट (कोगिलु गांव) में चलाए गए इस अभियान में करीब 400 परिवार बेघर हो गए. यह कार्रवाई बेंगलुरु सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड द्वारा भारी पुलिस बल की मौजूदगी में की गई. सरकार का कहना है कि ये मकान झील और एक उर्दू सरकारी स्कूल के पास अवैध रूप से बने थे, जबकि स्थानीय लोगों का दावा है कि उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के हटाया गया और उन्हें सड़कों पर रात बिताने को मजबूर होना पड़ा.
अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के आरोप पर सफाई
अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने के आरोपों पर शिव कुमार ने कहा कि 'बेंगलुरु अन्य शहरों जैसा नहीं है… इसका अल्पसंख्यकों से कोई लेना-देना नहीं है. अगर कोई वास्तव में प्रभावित हुआ है, तो हम उसे कहीं और आवास उपलब्ध कराएंगे.' उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और आवास मंत्री जमीर अहमद खान के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार राज्य में गरीबों के लिए लाखों घर बना चुकी है.





