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बेटे की चाह में पति हुआ अंधा, तांत्रिक के कहने पर पत्नी के काटे बाल, ब्लेड से फाड़ा सिर, फिर कब्रिस्तान में जाकर जलाए

यह घटना इंसान की सोच को झकझोर देने वाली है, जहां बेटे की चाह में एक पति अंधविश्वास का ऐसा शिकार बना कि इंसानियत ही भूल बैठा. तांत्रिक के बहकावे में आकर उसने न केवल अपनी पत्नी के बाल काटे, बल्कि ब्लेड से उसका सिर भी फाड़ दिया और फिर उन बालों को कब्रिस्तान में जाकर जला आया.

बेटे की चाह में पति हुआ अंधा, तांत्रिक के कहने पर पत्नी के काटे बाल, ब्लेड से फाड़ा सिर, फिर कब्रिस्तान में जाकर जलाए
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( Image Source:  AI SORA )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 9 Dec 2025 1:08 PM IST

कर्नाटक के विजयपुरा जिले से एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने अंधविश्वास, घरेलू हिंसा और महिलाओं के प्रति अमानवीय सोच पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं. एक पति ने अपने बेटे की चाह में न सिर्फ अपनी पत्नी को प्रताड़ित किया, बल्कि एक तांत्रिक के कहने पर उसका बाल काट कर उसकी खोपड़ी तक लहूलुहान कर दी.

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दिल दहला देने वाली यह वारदात बताती है कि किस तरह अंधविश्वास, कुप्रथाओं और बेटे की चाह की विकृत मानसिकता आज भी समाज में मौजूद है. पुलिस कार्रवाई में जुटी है और पीड़िता का इलाज जारी है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर ऐसे अंधविश्वास को बढ़ावा कौन देता है और इसका अंत कब होगा?

बेटे की चाह और अंधविश्वास

दरअसल पीड़ित ज्योति डुंडेश दलवायी ने पुलिस को बताया कि उनकी शादी को आठ साल हो चुके हैं और उनकी तीन बेटियां हैं. पर उसी वजह से पिछले एक साल से उनके पति और ससुराल वाले उन्हें लगातार परेशान कर रहे थे. पति नशे में अक्सर मारपीट करता और एक ही बात कहता था कि उसे बेटा चाहिए.

तांत्रिक के कहने पर बाल काटे, खोपड़ी लहूलुहान की

ज्योति ने बताया कि हद तो तब हो गई, जब 25 नवंबर को उनके पति और ससुरालवालों ने मुलावाड़ गांव की एक तांत्रिक ‘मंगला’ को घर बुलाया. तांत्रिक ने दावा किया कि ज्योति पर शैतान सवार है और उसे हटाना होगा. तांत्रिक ने उपाय बताया कि इसके लिए महिला के बाल काटने होगे. फिर ब्लेड से सिर को फाड़ना होगा, ताकि खून बहे और उसके बाद लटें कब्रिस्तान में जलानी होगी.

कानूनी कार्रवाई, पर क्या न्याय मिलेगा?

विजयपुरा ग्रामीण पुलिस स्टेशन में पति, तांत्रिक और ससुराल वालों पर BNS की कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है. पुलिस अधीक्षक लक्ष्मण निम्बार्गी के अनुसार, सभी धाराओं में सात साल से कम की सज़ा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार आरोपी को नोटिस देकर बयान लिए जाएंगे.

कब खत्म होगा अंधविश्वास?

यह घटना सिर्फ एक महिला के दर्द की कहानी नहीं, बल्कि समाज के उस अंधेरे कोने का आईना है जहां आज भी बेटे की चाह में स्त्री शरीर को बलि बना दिया जाता है. क्या ज्योति को न्याय मिलेगा? क्या ऐसे अपराधी सचमुच सुधरेंगे? और सबसे अहम क्या समाज महिलाओं को इंसान की तरह देखना कब सीखेगा?

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