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रूस से S-400 से लेकर BrahMos-NG तक हुई चर्चा, लेकिन क्या मोदी-पुतिन की मीटिंग में S-500 एयर डिफेंस सिस्टम पर बनेगी बात?

भारत और रूस ने रक्षा साझेदारी को और मजबूती देने पर सहमति जताई है. नई दिल्ली में हुई उच्चस्तरीय बातचीत में S-400 एयर डिफेंस सिस्टम, Sukhoi-30MKI अपग्रेड, BrahMos-NG मिसाइल, R-37 और RVV-BD जैसी एडवांस मिसाइलों पर अहम चर्चा हुई. भारत ने रूस से रुकी हुई सैन्य डिलीवरी जल्द पूरी करने की मांग भी रखी. हालांकि S-500 एयर डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति फिलहाल संभव नहीं बताई गई है. दोनों देशों ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत संयुक्त रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने का संकल्प दोहराया.

रूस से S-400 से लेकर BrahMos-NG तक हुई चर्चा, लेकिन क्या मोदी-पुतिन की मीटिंग में S-500 एयर डिफेंस सिस्टम पर बनेगी बात?
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( Image Source:  ANI )

Putin In India: भारत और रूस ने गुरुवार को अपनी व्यापक रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने पर सहमति जताई. दोनों देशों के बीच तकनीकी सैन्य सहयोग, संयुक्त रक्षा उत्पादन और हथियारों की आपूर्ति को लेकर बड़े स्तर पर बातचीत हुई. संकेत साफ हैं कि आने वाले वर्षों में भी रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बना रहेगा, भले ही अमेरिका और यूरोपीय देशों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा हो.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शिखर वार्ता से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलोउसॉव के बीच अहम बैठक हुई. इस दौरान दोनों देशों ने रक्षा सहयोग से जुड़े 'मौजूदा और भविष्य के क्षेत्रों' पर एक आधिकारिक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए. बैठक में दोनों पक्षों ने दोहराया कि भारत-रूस रक्षा संबंध 'गहरे भरोसे, साझा सिद्धांतों और आपसी सम्मान' पर आधारित हैं.

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अमेरिका-यूरोप के दबाव के बीच भारत ने जताई रणनीतिक स्वतंत्रता

22वीं भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग आयोग की बैठक में भारत ने साफ संकेत दिया कि वह रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) से कोई समझौता नहीं करेगा, चाहे अमेरिका और यूरोपीय संघ रूस से दूरी बनाने के लिए कितना भी दबाव डालें. भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि उसकी रक्षा नीति राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं पर आधारित है, न कि वैश्विक राजनीतिक दबावों पर...

S-400, Sukhoi-30 और एडवांस मिसाइलों पर लंबी चर्चा

बैठक में जिन प्रमुख रक्षा सौदों और प्रस्तावों पर चर्चा हुई, उनमें शामिल हैं;

  • S-400 Triumf एयर डिफेंस सिस्टम की अतिरिक्त स्क्वॉड्रनों की खरीद
  • बड़ी संख्या में S-400 की इंटरसेप्टर मिसाइलें
  • भारतीय वायुसेना के Sukhoi-30MKI फाइटर जेट्स का अपग्रेड
  • इन्हें लैस करने के लिए R-37 और RVV-BD लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलें
  • पैंत्सिर (Pantsir) शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम
  • Verba मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम
  • उन्नत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का संयुक्त उत्पादन

S-500 सिस्टम पर फिलहाल ब्रेक

हालांकि S-500 एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर अटकलें तेज थीं, लेकिन अधिकारियों ने साफ किया, “फिलहाल रूस के लिए S-500 जैसे अत्याधुनिक सिस्टम की आपूर्ति करना मुश्किल है, भले ही भारत इसमें रुचि क्यों न दिखाए.” इसके अलावा रूस ने भारत को 5वीं पीढ़ी के Sukhoi-57 स्टेल्थ फाइटर जेट्स का भी प्रस्ताव दिया है, लेकिन भारत ने अभी तक इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया है.

‘आत्मनिर्भर भारत’ पर राजनाथ सिंह का ज़ोर

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक में कहा कि भारत ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के तहत घरेलू रक्षा उत्पादन और रक्षा निर्यात क्षमता को तेज़ी से बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. वहीं रूसी रक्षा मंत्री बेलोउसॉव ने भरोसा दिलाया कि रूस भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में पूरा सहयोग देगा.

यूक्रेन युद्ध से फंसी डिलीवरी पर भारत की सख्ती

भारत ने रूस से अत्यंत महत्वपूर्ण सैन्य उपकरणों की देरी पर कड़ा रुख अपनाया. इनमें शामिल हैं- 5 में से बची 2 S-400 स्क्वॉड्रनों की डिलीवरी और Akula-class न्यूक्लियर अटैक सबमरीन, जो 10 साल की लीज पर मिलनी थी... सूत्रों के मुताबिक, रूस ने भरोसा दिया है कि S-400 की बची स्क्वॉड्रन 2026 तक मिल जाएंगी, जबकि परमाणु पनडुब्बी अब 2028 में मिलने की संभावना है.

भारत खरीदेगा 5 और S-400 स्क्वॉड्रन

भारत अब 5 नई S-400 स्क्वॉड्रन खरीदने की योजना बना रहा है. ₹10,000 करोड़ की S-400 मिसाइल खरीद को रक्षा मंत्रालय पहले ही मंजूरी दे चुका है. ये मिसाइलें 120km, 200km, 250km और 380km की इंटरसेप्शन रेंज वाली होंगी. यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ हुए हालिया सैन्य टकराव के अनुभवों के बाद लिया गया है.

पाकिस्तानी J-10 और PL-15 का जवाब बनेगी R-37 मिसाइल

भारतीय वायुसेना अब Sukhoi-30MKI को 200 किमी से ज्यादा रेंज वाली R-37 मिसाइल और उसकी एडवांस वैरिएंट RVV-BD से लैस करना चाहती है. यह कदम पाकिस्तान द्वारा चीनी J-10 फाइटर और PL-15 मिसाइल के इस्तेमाल से मिले खतरे का सीधा जवाब माना जा रहा है.

ब्रह्मोस-NG से बढ़ेगी भारत की स्ट्राइक कैपेसिटी

ब्रह्मोस मिसाइल का मौजूदा स्ट्राइक रेंज 450 किमी है. भविष्य में इसे 800 किमी तक पहुंचाने की योजना है. अब भारत हल्की ब्रह्मोस-NG मिसाइल विकसित कर रहा है, ताकि इसे हल्के लड़ाकू विमानों से भी दागा जा सके. अब तक ब्रह्मोस एयरोस्पेस के साथ ₹58,000 करोड़ से ज्यादा के सौदे हो चुके हैं.

भारत और रूस के बीच यह रक्षा वार्ता साफ संकेत देती है कि भारत अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता से पीछे हटने वाला नहीं. रूस अब भी भारत की सैन्य ताकत का सबसे बड़ा स्तंभ है. आने वाले वर्षों में S-400, Sukhoi, BrahMos और लॉन्ग रेंज मिसाइलें भारत की रक्षा क्षमता को कई गुना बढ़ाने वाली हैं.

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