Begin typing your search...

बेहद खास है दिल्ली स्थित 'हैदराबाद हाउस' का इतिहास, पुतिन का होगा भव्य स्वागत; आज 170 करोड़ रुपये से ज्यादा है कीमत

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को भारत की यात्रा पर आ रहे हैं. उनका स्वागत दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में किया जाएगा. यह वही ऐतिहासिक और शाही भवन है जहां भारत दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं की मेजबानी करता है. पुतिन की दो दिवसीय यात्रा में यह भवन मुख्य भूमिका निभा रहा है

बेहद खास है दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस का इतिहास, पुतिन का होगा भव्य स्वागत; आज 170 करोड़ रुपये से ज्यादा है कीमत
X
( Image Source:  ANI )
विशाल पुंडीर
Edited By: विशाल पुंडीर

Updated on: 4 Dec 2025 4:22 PM IST

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा ने एक बार फिर दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस को अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों के केंद्र में ला दिया है. यह वही ऐतिहासिक और शाही भवन है जहां भारत दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं की मेजबानी करता है. पुतिन की दो दिवसीय यात्रा में यह भवन मुख्य भूमिका निभा रहा है, लेकिन इसकी भव्यता, इतिहास और वास्तुकला खुद में एक असाधारण कहानी समेटे हुए हैं.

स्‍टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्‍सक्राइब करने के लिए क्लिक करें

कभी दुनिया के सबसे अमीर आदमी रहे हैदराबाद के आखिरी निज़ाम ने जिस आलीशान हवेली को अपना दिल्ली आवास बनाया था, वह आज भारत की कूटनीति की धुरी बन चुका है. 170 करोड़ रुपये की लागत से तैयार यह भवन, ब्रिटिश काल की उन चुनिंदा संरचनाओं में शामिल है जिन्हें विशेष रूप से भारतीय रियासतों के लिए डिजाइन किया गया था.

हैदराबाद हाउस की कहानी

20वीं सदी की शुरुआत में जब अंग्रेजों ने भारत की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित किया, तब रियासतों के शासक चाहते थे कि नई राजधानी में भी उनकी पहचान दर्ज हो. उसी दौरान हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान जो उस समय दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति माने जाते थे उन्होंने दिल्ली में एक राजसी निवास बनाने की इच्छा जताई. हालांकि निजाम की पहली पसंद वायसराय हाउस (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) के बिल्कुल पास की जमीन थी, लेकिन अंग्रेज इसके लिए तैयार नहीं थे.

एडविन लुटियंस ने तैयार किया था डिजाइन

हैदराबाद और बड़ौदा, दोनों रियासतों ने अपने दिल्ली वाले घरों के डिजाइन के लिए मशहूर वास्तुकार एडविन लुटियंस को चुना. निजाम चाहते थे कि उनका घर वायसराय हाउस जितना भव्य हो और इसलिए उन्होंने लुटियंस को विशेष निर्देश भी दिए, लेकिन सरकारी शर्तों के चलते डिजाइन की अनुमति सीमित थी.

लुटियंस ने हैदराबाद हाउस को एक अनोखी तितली (Butterfly-Shaped) संरचना में तैयार किया. जिसमें बीच में विशाल गुंबद, दोनों ओर फैले ‘पंख’ जैसे विंग्स, भव्य हॉल, खूबसूरत मेहराबें, यूरोपीय शैली और मुगल रूपांकनों का अद्भुत संगम है. इस डिजाइन की प्रेरणा उन्होंने इंग्लैंड के लीसेस्टरशायर स्थित Papillon Hall से ली थी, जिसे उन्होंने 1903 में डिजाइन किया था.

170 करोड़ रुपये की शाही हवेली

1920 के दशक में 2,00,000 पाउंड की लागत से निर्मित (आज लगभग 170 करोड़ रुपये के बराबर), हैदराबाद हाउस उस दौर की शान और निजाम की धन-समृद्धि को बखूबी दर्शाता है. उस्मान अली खान को उस समय His Exalted Highness कहकर संबोधित किया जाता था. यह उपाधि ब्रिटिश भारत में सिर्फ उन्हें ही प्राप्त थी.

हैदराबाद हाउस में क्या-क्या?

  1. 36 कमरे
  2. अलग से बना जनाना सेक्शन
  3. बड़ा आंगन
  4. राजसी सीढ़ियां
  5. फव्वारे और अग्निकुण्ड
  6. शाही मेहराबें और नक्काशी

आजादी के बाद बदल गई कहानी

भारत की आजादी और रियासतों के विलय के बाद हैदराबाद की रियासत भी 1948 में ऑपरेशन पोलो के दौरान भारतीय संघ में शामिल हुई. इसके बाद निजाम परिवार ने दिल्ली स्थित इस हवेली का शायद ही कभी उपयोग किया. समय के साथ यह भवन सरकार की संपत्ति बन गया. आज यह भारत सरकार का आधिकारिक कूटनीतिक केंद्र है, जहां दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं के स्वागत के लिए भव्य भोज और उच्चस्तरीय वार्ताएं आयोजित की जाती हैं.

India Newsव्लादिमीर पुतिन
अगला लेख