Explainer: मोदी सरकार ने क्यों वापस लिया Sanchar Saathi ऐप को अनिवार्य करने का आदेश? जानिए डिटेल में
केंद्र सरकार ने बुधवार को वह आदेश वापस ले लिया, जिसमें भारत में बिकने वाले सभी स्मार्टफोनों में Sanchar Saathi साइबर सिक्योरिटी ऐप का प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्य कर दिया गया था. दूरसंचार विभाग (DoT) के इस फैसले के बाद कंपनियों को अब फोन में यह ऐप पहले से डालने की बाध्यता नहीं होगी. यह आदेश उद्योग जगत की चिंताओं, डेटा प्राइवेसी, ब्लोटवेयर बढ़ने, और उपभोक्ता की पसंद पर असर, को देखते हुए वापस लिया गया.
Modi Government withdraws Sanchar Saathi order : केंद्र सरकार ने बुधवार को वह आदेश वापस ले लिया, जिसमें स्मार्टफोन कंपनियों को देश में बेचे जाने वाले हर नए फोन में Sanchar Saathi साइबर सुरक्षा ऐप पहले से इंस्टॉल करना अनिवार्य किया गया था. आदेश वापस लेने का फैसला कई तकनीकी, गोपनीयता और पॉलिसी से जुड़े सवालों के बीच आया.
पहले समझें- Sanchar Saathi ऐप क्या करता है?
Sanchar Saathi, दूरसंचार विभाग (DoT) का एक आधिकारिक पोर्टल/ऐप है, जो उपभोक्ताओं को मोबाइल सुरक्षा से जुड़े कई टूल्स प्रदान करता है;
- चोरी या खोए फोन को ब्लॉक/ट्रैक करना
- फर्ज़ी या एक से अधिक सिम वाले नंबरों की जांच
- मोबाइल कनेक्शन की KYC से जुड़ी जानकारी देखना
- धोखाधड़ी वाले कॉल/फ्रॉड रिपोर्ट करना
- सरकार का दावा था कि यह ऐप मोबाइल उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है.
विवाद कैसे शुरू हुआ?
DoT ने निर्देश जारी किया कि सभी स्मार्टफोन कंपनियां नए फोन में Sanchar Saathi को डिफॉल्ट सिस्टम ऐप की तरह प्री-इंस्टॉल करें... इस आदेश के बाद तीन बड़ी चिंताएं तेजी से उठीं:
- प्राइवेसी का सवाल: टेक एक्सपर्ट्स और यूज़र्स ने चिंता जताई कि किसी सरकारी ऐप को अनिवार्य करना व्यक्तिगत स्वतंत्रता और डेटा प्राइवेसी के लिए जोखिम पैदा कर सकता है.
- ब्लोटवेयर का मुद्दा: स्मार्टफोन में पहले से मौजूद सिस्टम ऐप्स को हटाया नहीं जा सकता. टेक उद्योग ने कहा, “इसे अनिवार्य करना ब्लोटवेयर बढ़ाएगा और एंड्रॉयड ईकोसिस्टम की स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा.”
- नीति प्रक्रिया पर सवाल: कई उद्योग संगठनों का कहना था कि ऐसी बड़ी नीति को लागू करने से पहले कंपनियों और स्टेकहोल्डर्स से सलाह लेनी चाहिए थी, जो नहीं ली गई.
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सरकार ने क्या कहा?
तेज़ विवाद के बाद सरकार ने आदेश वापस ले लिया और कहा, “Sanchar Saathi का प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्य नहीं होगा. यूज़र अपनी पसंद से ऐप डाउनलोड कर सकते हैं.” सूत्रों के अनुसार, सरकार को भी यह महसूस हुआ कि प्राइवेसी से जुड़े सवालों का समाधान पहले होना ज़रूरी है. ‘वन-साइज़-फिट्स-ऑल’ मॉडल सभी स्मार्टफोन ब्रांड्स के लिए व्यावहारिक नहीं है. नीति बनाने में उद्योग से व्यापक संवाद की ज़रूरत है...
इससे क्या बदलेगा?
- स्मार्टफोन कंपनियों को अब फोन में कोई सरकारी ऐप मजबूरी में इंस्टॉल नहीं रखना होगा.
- यूज़र अपने हिसाब से Sanchar Saathi को Play Store से डाउनलोड कर सकेंगे.
- सरकार अब इसे वॉलंटरी सुरक्षा टूल के रूप में प्रमोट करेगी.
- संभव है कि भविष्य में सुरक्षा फीचर्स सिस्टम लेवल पर इंटीग्रेट करने को लेकर कंपनियों से फिर से बातचीत हो.
Sanchar Saathi ऐप सुरक्षा के लिहाज़ से उपयोगी है, लेकिन इसे अनिवार्य बनाना प्राइवेसी, टेक नीति और उपभोक्ता अधिकारों से जुड़े बड़े सवाल खड़े करता था. सरकार का आदेश वापस लेना इस बात का संकेत है कि डिजिटल नीतियों में उपभोक्ता विकल्प, पारदर्शिता और उद्योग की भागीदारी अब पहले से अधिक मायने रखती है.





