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Sanchar Saathi को लेकर बड़ा बवाल! Apple नहीं मानेगी आदेश? विपक्ष ने जासूसी का लगाया आरोप; केंद्र बोली- चाहें तो‍ डिलीट कर लें

सरकार के साइबर सुरक्षा ऐप Sanchar Saathi को स्मार्टफोन में प्री-इंस्टॉल करने के आदेश पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. सरकार का दावा है कि ऐप चोरी और साइबर फ्रॉड रोकने के लिए जरूरी है और यूज़र चाहें तो इसे डिलीट कर सकते हैं. वहीं Apple ने संकेत दिया है कि वह आदेश नहीं मानेगा, क्योंकि इससे iOS सुरक्षा और यूज़र प्राइवेसी पर खतरा पड़ेगा. विपक्ष ने इस ऐप को जासूसी और निगरानी का हथियार बताया है, जबकि सरकार इसे सुरक्षा और नागरिक संरक्षण का कदम कह रही है.

Sanchar Saathi को लेकर बड़ा बवाल! Apple नहीं मानेगी आदेश? विपक्ष ने जासूसी का लगाया आरोप; केंद्र बोली- चाहें तो‍ डिलीट कर लें
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प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 2 Dec 2025 5:19 PM IST

भारत सरकार के साइबर सुरक्षा ऐप ‘Sanchar Saathi’ को लेकर देश में बहस तेज हो गई है. केंद्र ने मोबाइल कंपनियों - जिनमें Apple, Samsung और Xiaomi जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं - को निर्देश दिया है कि उनके स्मार्टफोन पर यह सरकारी ऐप प्री-इंस्टॉल होना चाहिए और इसे डिसेबल नहीं किया जा सकेगा. वहीं बाजार में पहले से उपलब्ध फोन पर भी यह ऐप सॉफ़्टवेयर अपडेट के जरिए भेजा जाएगा. सरकार के मुताबिक यह कदम फोन चोरी, साइबर फ्रॉड और डुप्लिकेट IMEI जैसे मामलों से निपटने के लिए बेहद जरूरी है.

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लेकिन जैसे ही यह आदेश सामने आया, देश में प्राइवेसी और सरकारी निगरानी को लेकर विवाद भड़क उठा. विरोध के बीच अब बड़ा खुलासा सामने आया है - Apple ने साफ संकेत दिया है कि वह इस आदेश का पालन नहीं करेगा.

Apple ने उठाए प्राइवेसी और सुरक्षा के सवाल

रिपोर्ट के मुताबिक Apple ने आंतरिक तौर पर तय किया है कि वह Sanchar Saathi को प्रीलोड नहीं करेगा और सरकार को बताएगा कि कंपनी दुनिया में कहीं भी ऐसे आदेशों को नहीं मानती, क्योंकि इससे उसकी iOS सुरक्षा प्रणाली और यूज़र प्राइवेसी पर खतरा पैदा होता है. रिपोर्ट के अनुसार Apple का कहना है कि सरकार का आदेश न सिर्फ प्लेटफ़ॉर्म सुरक्षा के खिलाफ है, बल्कि यूज़र डेटा के जोखिम भी बढ़ा सकता है. Apple के एक सूत्र ने कड़े शब्दों में कहा, “Apple ऐसा कर ही नहीं सकता. बस, बात खत्म.” हालांकि Apple ने सरकार से कानूनी टकराव की बजाय संवाद के जरिए मसले पर अपनी बात रखने का फैसला किया है. दूसरी ओर Samsung और Xiaomi ने भी आदेश की समीक्षा शुरू कर दी है, लेकिन उन्होंने अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.

सरकार की सफाई - सुरक्षा के लिए जरूरी, यूज़र चाहे तो हटा सकता है ऐप

राजनीतिक विवाद बढ़ने के बाद संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आगे आकर सफाई दी. उन्होंने कहा कि Sanchar Saathi अनिवार्य नहीं है, और यह यूज़र की इच्छा पर निर्भर करेगा कि वह इसे रखे या हटाए. सिंधिया ने कहा, “अगर नहीं चाहिए तो मत रखिए. जिस तरह नए फोन में Google Maps आता है और चाहें तो उसे डिलीट कर सकते हैं, ऐसे ही इस ऐप को भी हटा सकते हैं. कोई मजबूरी नहीं है.’’ हालांकि तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार Google Maps Android फोन्स से डिलीट नहीं किया जा सकता, उसे केवल डिसेबल किया जा सकता है. सरकार ने यह भी कहा कि देश में 22,800 करोड़ रुपये के साइबर फ्रॉड दर्ज हुए हैं और सैकड़ों चोरी के फोन दोबारा बेचे जा रहे हैं, ऐसे में Sanchar Saathi से नागरिकों को सुरक्षा कवच मिलेगा.

विपक्ष ने लगाया जासूसी और निगरानी का आरोप

विपक्ष ने Sanchar Saathi को खुले तौर पर जासूसी ऐप करार दिया है. कांग्रेस नेता KC Venugopal ने कहा, “Big Brother cannot watch us. यह कदम पूरी तरह असंवैधानिक है और निजता के अधिकार का हनन है.” कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि नागरिकों की निजता पर सीधा हमला हो रहा है और सरकार देश को तानाशाही की ओर ले जा रही है. शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे “Big Boss surveillance moment” बताया, जबकि कांग्रेस सांसद कार्ती चिदंबरम ने कहा, “यह रूस और नॉर्थ कोरिया की शैली वाला कदम है. वे हमारे निजी फोटो और वीडियो तक पहुंच चाहते हैं.”

Sanchar Saathi पर सरकार की रणनीतिक दुविधा

ऐप विवाद ऐसे समय आया है जब Apple पहले से ही भारत में प्रतिस्पर्धा नियामक से कानूनी लड़ाई लड़ रहा है और उसे 38 बिलियन डॉलर तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में Sanchar Saathi विवाद कंपनी को अतिरिक्त दबाव में डालता दिख रहा है. सरकार के निर्देशों की सबसे बड़ी आलोचना यह है कि आदेश बिना उद्योग से चर्चा किए लागू कर दिया गया. टेक उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे सुरक्षा ऐप Android पर आसानी से जोड़े जा सकते हैं, लेकिन iOS सुरक्षा ढांचे के कारण Apple के लिए यह कदम कठोर और जोखिमभरा है.

तकनीक बनाम निजता - लड़ाई अब तेज होती दिख रही है

केंद्र सरकार इसे साइबर सुरक्षा और नागरिक संरक्षण का कदम बता रही है, जबकि विपक्ष और प्राइवेसी कार्यकर्ता इसे निगरानी तंत्र तैयार करने की कोशिश बता रहे हैं. टेक कंपनियां भी व्यावसायिक और तकनीकी जोखिमों को देखते हुए असहज हैं. बड़ी तस्वीर साफ है - Sanchar Saathi अब सिर्फ एक सरकारी ऐप नहीं, बल्कि देश में टेक प्राइवेसी बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा की सबसे बड़ी बहस का केंद्र बन चुका है.

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