EXCLUSIVE: 'चिकन-नेक' का चक्कर समझो, भारत को ‘टू फ्रंट वॉर’ का इशारा है, बांग्लादेश-नेपाल-श्रीलंका भारत से दूर होंगे...!
भारत के लिए ‘चिकन-नेक’ यानी सिलिगुड़ी कॉरिडोर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जे.एस. सोढ़ी के अनुसार चीन और पाकिस्तान बांग्लादेश को मुफ्त में सैन्य हथियार दे रहे हैं और आने वाले पांच वर्षों में भारत को टू फ्रंट वॉर में घेरने की पूरी रणनीति तैयार है. नेपाल–बांग्लादेश–श्रीलंका भारत से दूरी बनाते दिख रहे हैं, वहीं केवल भूटान भारत के साथ खड़ा रह सकता है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद स्थिति और तनावपूर्ण बन चुकी है और भारत ने यहां राफेल, ब्रह्मोस और S-400 की तैनाती कर दी है.
‘चिकन-नेक’ को लेकर इन दिनों भारत के अंदर और बाहर (पड़ोसी देशों चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान) में हलचल मची है. भारतीय सेनाओं के टॉप-कमांडर हों या फिर हिंदुस्तानी हुकूमत. ‘चिकन-नेक’ पर सबकी नजरें दिन-रात गड़ी हुई हैं. दूसरे, जिस तरह से चीन और पाकिस्तान आंख मूंदकर 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद से मौकापरस्त ‘बांग्लादेश’ की ओर झुक रहे हैं. यह भी भारत के लिए चिंताजनक है. आखिर क्यों और कैसे....?
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इन्हीं तमाम सवालों के जवाब के लिए स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर इनवेस्टीगेशन ने एक्सक्लूसिव बात की भारतीय थलसेना के लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जसिंदर सिंह सोढ़ी (जे एस सोढ़ी) से. ले.कर्नल सोढ़ी भारतीय सेना के बॉम्बे सैपर्स, कोर ऑफ इंजीनियर्स के ऐसे अनुभवी अधिकारियों में शुमार हैं जिन्होंने 21 साल से अधिक भारतीय फौज को विशिष्ट सेवा प्रदान की. उन्होंने जो कुछ और जितनी गंभीरता-गहराई से 'चिकन-नेक' के चक्कर के इर्द-गिर्द घूमती ‘धुरी’ को बताया-समझाया उसे सुनकर और समझकर किसी की भी आंखें खुली रह जाएंगी.
लेफ्टिनेंट कर्नल सोढ़ी की खरी-खरी
लेफ्टिनेंट कर्नल सोढ़ी मंगलवार (2 दिसंबर 2025) को “स्टेट मिरर हिंदी” के साथ बातचीत में तमाम सवालों के बेहद सूझबूझ और तथ्यपरक बिना किसी यदि-किंतु-परंतु वाले दो टूक जवाब दे रहे थे. भारतीय फौज के पूर्व ले. कर्नल ने कहा, “चिकन नेक का चक्कर जिस-जिस देश ने अभी पकड़ लिया है, समझिए वह बेहद चौकन्ना है. भारत, चीन और पाकिस्तान की चिकन नेक पर सबसे ज्यादा पैनी नजर है. भारत की नजर इसलिए चिकन नेक पर होनी चाहिए क्योंकि उसकी अंतरराष्ट्रीय हदों की रक्षा-सुरक्षा का सवाल है.
क्या बवाल है ‘चिकन नेक’?
वहीं दूसरी ओर चतुर चीन और मक्कार पाकिस्तान भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित करीब 22 किलोमीटर की भूमि वाले, इस संकीर्ण-खींचतान वाले हिस्से को हथियाने के लिए हमेशा अपनी पैनी नजर गड़ाए रखता है. इसे ‘सिलिगुड़ी कॉरिडोर’ और चिकन्स नेक दोनों ही नामों से दुनिया में जाना-पहचाना जाता है. यह वह स्थान है जो भारत को पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है. इसी के आसपास भारत के पड़ोसी देश नेपाल-बांग्लादेश की हदें हैं. जबकि भारत के दोस्त देश भूटान का साम्राज्य इसी चिकन नेक गलियारे के उत्तरी दिशा में मौजूद है.
‘चिकन-नेक’ पर हमारे सुरक्षा इंतजाम
भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल जे एस सोढ़ी कहते हैं, “हाल-फिलहाल में इसी चिकन नेक की रक्षा-सुरक्षा के मद्देनजर हिंदुस्तान ने तीन नए मिलिट्री बेस बनाए हैं. राफेल, ब्रह्मोस व S-400 तैनात किए हैं. इन फॉरवर्ड बेस पर इस तरह के सैन्य इंतजामों का किया जाना भारत के दुश्मन देशों (चीन पाकिस्तान बांग्लादेश) के लिए काफी कुछ खुला हुआ इशारा है. जहां तक मुझे जानकारी है कि यहां भारत द्वारा न केवल सैन्य साज-ओ-सामान लाकर रखा गया है अपितु, भारतीय वायु सुरक्षा (एअर डिफेंस सिस्टम) यंत्र भी यहां स्थापित किये जा चुके हैं. जोकि भारत ही क्या किसी भी देश का अपनी हदों को सुरक्षित करने का मूलभूत अधिकार है.
भारत सो नहीं रहा है मगर...
हालांकि, भारत का यह कदम चीन और पाकिस्तान को चैन से सोने नहीं दे रहा होगा. इन तैयारियों से मैं यह कह सकता हूं कि चिकन नेक की सुरक्षा के लिए भारत ने अभेद्य किला या जो आयरन-वॉल” खड़ी की है, वह दुश्मन को यह बताने के लिए काफी है कि भारत सो नहीं रहा है. अपितु अपने दुश्मन देशों की हर खुफिया और सैन्य खुराफात पर नजर रखे हुए है.”
बिचारा “भूटान” ही संग होगा...
खास बातचीत के दौरान ही यह तथ्य भी निकल कर सामने आया कि, “श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल अब अंदर से ईमानदारी के साथ भारत के संग नहीं हैं. दो चार साल बाद जब भी चीन और पाकिस्तान भारत को टू फ्रंट वॉर के मुहाने पर लाकर खड़ा करेंगे तब भारत के साथ खुद ही ‘बिचारे’ की हालत में खड़ा इकलौता भूटान दिखाई दे सकता है. चीन और पाकिस्तान जिस तरह से अरबों खरबों का सैन्य साज-ओ-सामान, सैन्य रक्षा प्रणाली अस्त्र-शस्त्र बांग्लादेश को आज फोकट में बांट रहे हैं.
भारत के खिलाफ इन देशों का इस्तेमाल
जब भारत 2 फ्रंट वॉर के मुहाने पर आ खड़ा हुआ होगा तब यही चतुर चीन और मक्कार पाकिस्तान, भारत के खिलाफ नेपाल श्रीलंका व बांग्लादेश का खुलकर इस्तेमाल करेंगे. तब के उन बदले हुए हालातों में कौड़ियों और रोटी के टुकड़ों पर किसी की भी गोद में जा बैठने वाले मतलबपरस्त देश नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका किसी भी कीमत पर भारत का साथ न देने में शर्म-लिहाज नहीं करेंगे.”
इसलिए चर्चा में आया ‘चिकन-नेक’
यहां जिक्र करना जरूरी है कि भारतीय मिलिट्री और खुफिया एजेंसियों को कुछ समय से अंदरूनी खबरें मिल रही थीं कि, ऑपरेशन सिंदूर में बुरी तरह मार खाने से बौखलाए पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन, भारत से बदला लेने के लिए ‘चिकन-नेक’ वाली सरहद का बेजा इस्तेमाल कर सकते हैं. इसी के बाद से और भी ज्यादा सतर्क हुई भारतीय फौज-सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने रातों-रात यहां (सिलिगुड़ी कॉरिडोर चिकन नेक) सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारत तिब्बत सीमा बल (आईटीबीपी), सशस्त्र सुरक्षा बल (एसएसबी) के जवानों की तादाद और भी ज्यादा बढ़ा दी. ताकि उत्तर बंगाल सहित भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों की हदों की सुरक्षा को अभेद्य किया जा सके.
“टू फ्रंट वॉर” में यह 2 देश गद्दारी करेंगे
भारतीय सेना के पूर्व रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जसिंदर सिंह सोढ़ी बोले, “बेशक हमें अभी पुष्ट रूप से या खुलकर यह नहीं बोलना चाहिए कि आने वाले पांच साल में (साल 2030 या उसके बाद कभी भी) भारत के लिए चीन-पाकिस्तान एक बड़ा खतरा बन सकते हैं. जिस तरह से मगर भारतीय फौज के टॉप अफसरान के बयान आने शुरू हुए हैं, इससे साफ होता है कि साल 2027 में एक सोची समझी रणनीति के तहत चीन पहले तो ताइवान को निशाना बनाएगा. उसके दो तीन साल बाद चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत को कमजोर करने की बदनीयती के साथ हमें 2 फ्रंट वॉर पर ला खड़ा करने की हरसंभव कोशिश करेगा. और उस 2 फ्रंट वॉर में भारत के खिलाफ चीन-पाकिस्तान मिलकर नेपाल, बांग्लादेश का जमकर बेजा इस्तेमाल करने से बाज नहीं आएंगे. इस तरह के हालात चीन पाकिस्तान के आज नेपाल-बांग्लादेश के साथ बन रहे या प्रगाढ़ होते रिश्तों को देखकर साफ-साफ नजर आने लगे हैं.”
बांग्लादेश भारत से दूरी बनाएगा
जहां तक सवाल बांग्लादेश का भारत के साथ खड़े न होने का है. तो इस बारे में भारत को समझना होगा कि आज के बदले हुए परिदृष्य में बांग्लादेश के संबंध हमसे किस कदर बिगड़ चुके हैं. वहां तीन प्रमुख राजनीतिक पार्टियां हैं. पहली बांग्लादेश अवामी लीग, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और तीसरी जातीय पार्टी (मंजू). बांग्लादेश अवामी लीग की प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना इन दिनों अपने देश से जान बचाकर भागने के बाद भारत में शरण पाए हुए हैं. दूसरी पॉलिटिकल पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी प्रमुख और वहां की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया इन दिनों गंभीर बीमारी के चलते जिंदगी और मौत से अस्पताल में जूझ रही हैं. ऐसे बदतर हालातों में अब इकलौती और तीसरे पायदान पर खड़ी जातीय पार्टी जोकि घोर कट्टरपंथी विचारधारा वाली और भारत विरोधी है, अगर केंद्रीय सत्ता में आती है. तो वह भी भारत के खिलाफ खुलकर खड़ी हो सकती है.





