हाजी पीर दर्रा को क्यों कहा जाता है पाकिस्तान का 'चिकन नेक'? अगर भारत के पास होता तो क्या बदल जाता?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद हाजी पीर दर्रा चर्चा में आ गया है. पाकिस्तान के लिए हाजी पीर दर्दा सैन्य और रणनीतिक दृष्टि से एक जीवन रेखा जैसा है. 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने कुछ समय के लिए इस दर्रे पर कब्जा कर लिया था, जिससे पाकिस्तान की कश्मीर से कनेक्टिविटी प्रभावित हुई थी. इस दर्रे को पाकिस्तान का 'चिकन नेक' क्यों कहा जाता है, आइए जानते हैं...

Haji Pir Darra history, Why is Haji Pir called Chicken Neck: पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक रिश्तों में तनाव पैदा हो गया है. भारत ने अटारी बॉर्डर को सील करने के साथ सिंधु जल संधि समझौते को सस्पेंड कर दिया. इसके साथ ही, उसने पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा भी रद्द कर दिया है. इससे बौखलाए पाकिस्तान ने शिमला समझौते को निलंबित कर दिया और अब ताशकंद समझौते को रद्द करने के बारे में विचार कर रहा है.
ताशकंद समझौता 10 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान और भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौजूदगी में हुआ था. इसी समझौते के तहत भारत ने हाजी पीर दर्रा पर कब्जा करने के बावजूद इसे पाकिस्तान को सौंप दिया. इस समझौते के तहत 5 अगस्त 1965 से पहले की यथास्थिति बहाल करने के बारे में कहा गया था. इसे भारत की बड़ी चूक कहा जाता है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद यह एक बार फिर से चर्चा में आ गया है.
पाकिस्तान का चिकन नेक है हाजी पीर दर्रा
हाजी पीर दर्रा (Haji Pir Pass) को 'पाकिस्तान का चिकन नेक' (Chicken's Neck) इसीलिए कहा जाता है क्योंकि यह क्षेत्र भौगोलिक रूप से एक पहलगाम आतंकी हमले के बाद हाजी पीर दर्रा चर्चा में आ गया है. पाकिस्तान के लिए हाजी पीर दर्दा सैन्य और रणनीतिक दृष्टि से एक जीवन रेखा जैसा है. 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने कुछ समय के लिए इस दर्रे पर कब्जा कर लिया था, जिससे पाकिस्तान की कश्मीर से कनेक्टिविटी प्रभावित हुई थी. इस दर्रे को पाकिस्तान का 'चिकन नेक' क्यों कहा जाता है, आइए जानते हैं...
क्या है चिकन नेक?
चिकन नेक शब्द का इस्तेमाल ऐसे भूभाग के लिए किया जाता है जो संकीर्ण और रणनीतिक रूप से बेहद अहम होता है- बिल्कुल मुर्गे की गर्दन जैसी पतली पट्टी की तरह. हाजी पीर दर्रा पाकिस्तान के लिए जीवन रेखा जैसा है और उसका संकीर्ण भूगोल उसे 'चिकन नेक' जैसा बनाता है. इसलिए उसे यह नाम दिया जाता है.
पाकिस्तान का चिकन नेक क्यों है हाजी पीर दर्रा?
- हाजी पीर दर्रा एक संकीर्ण क्षेत्र है, जो पाकिस्तान के लिए सैन्य और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है.
- अगर इस क्षेत्र को भारत नियंत्रित कर लेता, तो पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के बीच संपर्क काफी हद तक कट सकता था.
- 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना ने कुछ समय के लिए इस दर्रे को अपने कब्जे में ले लिया था, जिससे पाकिस्तान की कश्मीर से कनेक्टिविटी बुरी तरह प्रभावित हुई थी.
- हाजी पीर दर्रा हिमालय पर्वतमाला की पीर पंजाल श्रेणी में है. यह जम्मू-कश्मीर के पूंछ को पीओके यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रावलकोट से जोड़ता है.
- हाजी पीर दर्रा 2637 मीटर यानी 8652 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसी दर्रे के जरिए पाकिस्तान से आतंकी भारत में घुसपैठ करते हैं.
- अगर भारत ने पाकिस्तान को हाजी पीर दर्रा न सौंपा होता तो आज कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ रुक सकती थी. इसके साथ ही पूंछ और उरी के बीच की दूरी भी 56 किलोमीटर रह जाती, जो इस समय 282 किलोमीटर है.