ब्राजीलियन मॉडल या फोटोग्राफर... आखिर कौन है Matheus Ferroro, राहुल गांधी के H फाइल्स में किए दावे में कितनी सच्चाई?
राहुल गांधी ने ‘H फाइल्स’ प्रेजेंटेशन में दावा किया कि हरियाणा में ब्राज़ील की एक मॉडल ने 22 फर्जी वोट डाले, लेकिन फैक्ट-चेक में खुलासा हुआ कि जिस नाम को मॉडल बताया गया, वह असल में फोटोग्राफर Matheus Ferroro का है. तस्वीर स्टॉक इमेज निकली, जिसे कई साइटों पर इस्तेमाल किया जा चुका है. अब सवाल उठ रहा है—क्या कांग्रेस का आरोप ठोस था या सबूत ही उलटा पड़ गया?
भारत की राजनीति इस समय सिर्फ बहसों से नहीं, बल्कि फोटो, फाइलों और ‘फर्जी पहचान’ के सवालों से भी हिल रही है. राहुल गांधी ने जिस खुलासे को 'H फाइल्स' नाम दिया, उसमें उन्होंने दावा किया कि हरियाणा में वोट चोरी का संगठित खेल हुआ और एक ही 'ब्राज़ीलियन मॉडल' ने 22 अलग-अलग नामों से वोट डाले. यह दावा इतना बड़ा था कि पूरा मुद्दा सोशल मीडिया से संसद तक पहुंच गया.
लेकिन जैसे ही इस ‘ब्राज़ीलियन मॉडल’ की सच्चाई की तहकीकात शुरू हुई, खुलासा बिल्कुल उलटा निकला जिसे Matheus Ferroro नाम की मॉडल बताया जा रहा था, वो कोई मॉडल नहीं, बल्कि उस तस्वीर का फोटोग्राफर था! यानी, जिस नाम को चेहरा बताया गया, वह असल में कैमरे के पीछे खड़ा शख्स निकला. यह विवाद अब सिर्फ फर्जी वोटों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कांग्रेस के आरोपों की विश्वसनीयता पर भी बड़ा सवाल बन गया.
कांग्रेस का दावा: 22 वोट, एक चेहरा, कई नाम
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि हरियाणा में एक ब्राज़ील की मॉडल ने सीमा, स्वीटी, सरस्वती जैसे नामों से 22 वोट डाले. यह आरोप ‘H फाइल्स’ के सबसे तीखे दावों में से एक था, जिसे कांग्रेस ने चुनावी धांधली का “सबसे ठोस सबूत” बताया.
फोटोग्राफर का नाम निकला
जांच के बाद यह सामने आया कि Matheus Ferroro नाम किसी मॉडल का नहीं, बल्कि उस फोटो को क्लिक करने वाले फोटोग्राफर का है. यह तस्वीर Unsplash और Pexels जैसी साइटों पर मौजूद रॉयल्टी-फ्री स्टॉक इमेज है, जिसका उपयोग दुनिया भर में ई-कॉमर्स, विज्ञापन, यूट्यूब थंबनेल में कई बार हो चुका है.
कांग्रेस के आधिकारिक पोस्ट में भी वही दावा
केरल कांग्रेस के X अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, “ब्राज़ीलियन नागरिक Matheus Ferroro ने हरियाणा में 22 नामों से वोट डाला.” इस पोस्ट को कांग्रेस की ओर से बड़े स्तर पर प्रचारित किया गया, लेकिन तथ्य-जांच में तुरंत यह दावा बिखर गया.
‘हाइड्रोजन बम’ वाली तैयारी
राहुल गांधी ने ब्रीफिंग से पहले X पर पोस्ट किया, “Hydrogen Bomb Loading”, यानी एक बड़ा खुलासा आने वाला है. पार्टी ने इसे चुनावी ‘एक्सपोज़’ की तरह पेश किया, पर साक्ष्य का मुख्य चेहरा ही ग़लत सिद्ध हो गया.
राहुल गांधी ने EC पर लगाया बड़ा आरोप
राहुल ने कहा कि अगर चुनाव आयोग फर्जी वोटरों को हटाए, तो चुनाव निष्पक्ष हो सकता है, लेकिन ECI ऐसा नहीं चाहता. उन्होंने BJP पर धांधली से चुनाव लड़ने और संस्थाओं को अपने नियंत्रण में रखने का आरोप लगाया.
सिर्फ हरियाणा नहीं, MP, CG, महाराष्ट्र का भी जिक्र
राहुल ने कहा कि यह सिर्फ हरियाणा तक सीमित नहीं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी चुनावी गड़बड़ी के सबूत मौजूद हैं. उन्होंने वोट चोरी को “सिस्टमेटिक ऑपरेशन” बताया.
मुद्दा फर्जी वोटिंग का था या फर्जी दावा का?
अब बहस दो हिस्सों में बंट गई कि क्या असल समस्या फर्जी वोटरों की है, या फर्जी सबूतों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की? क्योंकि गलत फोटो पहचान ने कांग्रेस के दावे की विश्वसनीयता पर बड़ा वार किया है.
आधी-अधूरी फैक्ट-चेकिंग का नया दौर
यह मामला इस बात का संकेत भी है. चुनावों में सिर्फ वोट नहीं, बल्कि वायरल फ्रेम्स भी मायने रखते हैं. लेकिन जब दावा ही जाँच में टिक न पाए, तो विपक्ष के बड़े आरोप भी खुद सवालों के घेरे में आ जाते हैं.





