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व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी जैसा ज्ञान देती The Taj Story फिल्म, यूजर्स के रिव्यू पर जानें कितनी देखने लायक है ये फिल्म

परेश रावल स्टारर 'द ताज स्टोरी' सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. वहीं इस फिल्म को मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है. जहां कुछ लोगों ने इस फिल्म की तारीफ करते हुए इसे टैक्स फ्री करने की मांग की है वहीं कुछ लोगों ने खोखला ज्ञान बताया है.

व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी जैसा ज्ञान देती The Taj Story फिल्म, यूजर्स के रिव्यू पर जानें कितनी देखने लायक है ये फिल्म
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( Image Source:  Instagram : pareshrawalofficial )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 3 Nov 2025 11:30 AM IST

'द ताज स्टोरी' (The Taj Story) एक 2025 में रिलीज हुई हिंदी ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन तुषार अमरीश गोयल ने किया है. इसमें परेश रावल (Paresh Rawal) लीड रोल में हैं, जो एक टूर गाइड विष्णु दास का किरदार निभाते हैं. फिल्म ताजमहल के निर्माण को लेकर एक कोर्टरूम ड्रामा है, जिसमें यह सवाल उठाया जाता है कि क्या यह मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा बनवाया गया प्यार की निशानी है या इससे पहले कोई हिंदू संरचना थी. फिल्म में जाकिर हुसैन, अमृता खानविलकर और नमित दास जैसे कलाकार भी हैं.

यह फिल्म 31 अक्टूबर 2025 को रिलीज हुई और रिलीज से पहले ही विवादों में घिर गई, क्योंकि कुछ लोग इसे प्रोपगैंडा मानते हैं. परेश रावल का परफॉर्मेंस फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है. उनकी डायलॉगबाजी का अंदाज, व्यंग्य और इमोशनल का मिश्रण कमाल का है. कई रिव्यू में इसे 'पावरफुल' और 'कन्विंसिंग' बताया गया है. कुछ लोग इस फिल्म से इतना प्रवित हुए है कि इसे देशभर में टैक्स फ्री करने की मांग कर रहे हैं. बॉक्स ऑफिस पर दूसरे दिन तक लगभग 3 करोड़ कलेक्ट कर चुकी है.

क्या रहा यूजर्स का रिएक्शन

एक एक्स यूजर लिखती है, 'हिन्दुस्तान के इतिहास में 'द ताज स्टोरी' फ़िल्म सबसे सच्ची और उत्तम रचना! मैं नतमस्तक हूं उस कलाकार के प्रति, जिसने इस सत्य घटना को मोतियों में पिरोकर अमर बना दिया.

दूसरे यूजर ने लिखा, 'द ताज स्टोरी देखने के बाद, मैं कह सकता हूं कि 'हिज़ स्टोरी ऑफ़ इतिहास' कम्युनिस्टों और नकली इतिहासकारों के झूठे आख्यानों का खंडन करने वाली अब तक की सबसे बेहतरीन फ़िल्मों में से एक है.

वहीं जहां इस फिल्म को पॉजिटिव रिव्यू मिले हैं वहीं इसे कुछ लोगों ने निगेटिव रिव्यू भी दिए है. कुछ लोगों का कहना है कि यह एक गुमराह करने वाली व्हाट्एप यूनिवर्सिटी ज्ञान फिल्म है. एक यूजर ने कहा, 'उन्होंने वास्तव में 'द ताज स्टोरी' नाम की एक फिल्म बनाई, ताकि यह साबित किया जा सके कि इतिहास को खराब रोशनी और बदतर तर्क के साथ फिर से लिखा जा सकता है. अगला: कुतुब षड्यंत्र और लाल किला: छिपा हुआ वाईफाई राउटर बॉलीवुड आधिकारिक तौर पर व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का मीडिया विंग बन गया है.'

एक अन्य ने कहा, 'द ताज स्टोरी ने पहले दिन 20 लाख कमाए। 2025 में किसी भी बॉलीवुड फिल्म के लिए यह सबसे खराब कमाई है.

वहीं एक ने कहा, 'मैं ताज की कहानी देखने जाने वाले किसी भी व्यक्ति का मूल्यांकन करूंगा- जैसे कि क्षमा करें, लेकिन उस कथा पर विश्वास करने के लिए आपको परम मूर्ख होना होगा. भले ही आप इसे 'सिर्फ एक फिल्म के रूप में' देख रहे हों.

फिल्म की कहानी (स्पॉइलर-फ्री)

विष्णु दास (परेश रावल) आगरा में ताजमहल का 30 साल पुराना गाइड है, जो पर्यटकों को शाहजहां और मुमताज़ की प्रेम कहानी सुनाता है. लेकिन एक पत्रकार के सवाल पर वह अनजाने में ताज की 'असली' कहानी पर सवाल उठा देता है, जो वायरल हो जाता है. इससे उसकी नौकरी चली जाती है और समाज उसे ठुकरा देता है. वह कोर्ट में याचिका दायर करता है, जिसमें ताजमहल के नीचे खुदाई की मांग करता है ताकि ऐतिहासिक सच्चाई सामने आए. फिल्म कोर्ट की बहसों, ऐतिहासिक दावों और व्यक्तिगत संघर्ष के इर्द-गिर्द घूमती है. यह फिल्म 'ओह माय गॉड' या 'द केरल स्टोरी' जैसी फिल्मों की याद दिलाती है, लेकिन इतिहास को नए नजरिए से देखने की कोशिश करती है.

दिलचस्प कोर्टरूम ड्रामा

ताजमहल के रहस्यमयी इतिहास को कोर्टरूम ड्रामे के जरिए पेश करना दिलचस्प है. कुछ सींस में AI-जनरेटेड विजुअल्स और म्यूजिक (कैलाश खेर और जावेद अली की आवाज) भावुकता जोड़ते हैं. अगर आप इतिहास और विवादास्पद टॉपिक्स पसंद करते हैं, तो यह फिल्म सवाल उठाती है और एंटरटेनिंग लग सकती है. एक रिव्यू में इसे 'मस्ट वॉच' कहा गया, खासकर सनातनी दर्शकों के लिए.

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