Pahalgam Attack Side Effect: आप दौड़ते रहिए दिल्ली से पहलगाम तक, वे तो काम करके जिंदा निकल गए - Exclusive
पहलगाम हमले के बाद भारत बदले की रणनीति पर गंभीर है. खुफिया एजेंसियों और पूर्व सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान में खौफ का माहौल है और कई पड़ोसी देशों ने अपनी सीमाएं सील कर दी हैं. अफगानिस्तान, नेपाल और श्रीलंका ने आतंकियों की घुसपैठ रोकने के लिए सुरक्षा बढ़ा दी है. भारत, पाकिस्तान को हर मोर्चे पर जवाब देने को तैयार है. 2016 से भी बड़ी कार्रवाई की आशंका जताई जा रही है.

पहलगाम में हुए खूनी हमले के बाद भारत में बेचैनी और पाकिस्तान में खौफ का आलम है. भारत सोच रहा है कि जल्दी से जल्दी हिसाब कैसे बराबर कर सकें? पाकिस्तान में खलबली यह सोचकर मची है कि, भारत बदला लिए मानेगा नहीं. भारत अगर अपनी पर उतरा तो उसे (पाकिस्तान) को जान बचाने के लाले पड़ जाएंगे. क्योंकि पाकिस्तान (Pakistan) देख चुका है कि पुलवामा अटैक (Pulwama Attack) का बदला लेने के लिए भारत ने, 29 सितंबर 2016 (अब से करीब 9 साल पहले) को पाकिस्तान में घुसकर जो जबरदस्त सर्जिकल स्ट्राइक (2016 Surgical Strike) अंजाम दी थी, उसने कुटे-पिटे पाकिस्तान को रोने तक नहीं दिया था. इन्हीं तमाम उधेड़बुन के भीतर से झांकती इनसाइड स्टोरी समझने के लिए स्टेट मिरर हिंदी ने एक्सक्लूसिव बात की. भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ, आईबी (IB), जांच एजेंसी सीबीआई (CBI), एनआईए (NIA), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ BSF), जम्मू कश्मीर एवं उत्तर प्रदेश के दो दबंग पूर्व पुलिस महानिदेशकों (आईपीएस) से.
इन पूर्व मंझे हुए पूर्व ब्यूरोक्रेट्स से बातचीत के बाद कुल जमा जो कुछ निकल कर सामने आया उसके मुताबिक, पहलगाम अटैक का हिसाब बराबर करने के लिए भारत जो कदम उठाएगा वो उठाता रहेगा. फिलहाल इतना जरूर है कि पहलगाम कांड से गुस्साए अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका ने, हमले वाले दिन ही पाकिस्तानियों के लिए अपनी सीमाएं सील कर दी हैं. भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ के पठानकोट में रहने वाले एक डिप्टी चीफ कहते हैं,
पहलगाम कांड से भारत के पड़ोसी सतर्क
‘दरअसल पहलगाम के बाद जो हालत अचानक बदले हैं. उसके चलते पाकिस्तान में भगदड़ मचना तय है. भले ही पाकिस्तान ने पहलगाम कराने से पहले अपनी खाल बचाने के इंतजाम क्यों न कर लिए हों. मगर पाकिस्तान, अफगानिस्तान में लंबे समय रॉ में काम करने के मैं निजी अनुभव से कह सकता हूं कि, ऐसे हालातों में सबसे पहले पड़ोसी देश अलर्ट मोड पर आ जाते हैं. इसीलिए पहलगाम में खूनी होली खेले जाते ही सबसे पहले अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बैंकाक ने अपनी सीमाओं को सील कर दिया होगा. क्योंकि इस बात की पूरी आशंका है कि पाकिस्तान में पहलगाम कांड से जुड़े आतंकवादी गुट और उनके आका अब अपनी जान बचाने के लिए बिल जरूर तलाश रहे होंगे.’
नेपाल-अफगानिस्तान तासीर समझते हैं
लंदन, सऊदी अरब, कनाडा, पाकिस्तान, नेपाल में कई साल रॉ (RAW) के लिए काम करने वाले एक पूर्व डिप्टी सेक्रेटरी बोले, ‘सबसे पहले इस मौके पर अफगानिस्तान और नेपाल ने अपनी सीमाएं सील की होंगी. क्योंकि वे भारत से अपने संबंधों की तासीर समझते हैं. भले ही क्यों न अफगानिस्तान में तालिबान की ही हुकूमत हो. वो लेकिन यह भी जानते हैं कि भारत के साथ जो कुछ हुआ है, उसे देखते हुए भारत पाकिस्तान को बख्शेगा तो कतई नहीं. ऐसे में पाकिस्तान में छिपे बैठे आतंकवादी और उनके आकाओं के लिए छिपने की सुरक्षित जगह अफगानिस्तान-नेपाल से बेहतर फिलहाल तो और कोई दूसरी नहीं हो सकती है. वे छिपने को श्रीलंका का भी रुख कर सकते हैं. श्रीलंका लेकिन पाकिस्तानियों को अपनी सीमाओं तक पर नहीं फटकने देगा.
अफगानिस्तान खुद मौके की तलाश में
रही बात अफगानिस्तान की तो वह पहले से ही पाकिस्तान और वहां पाले जा रहे आतंकवादी गुटों से, पाकिस्तान के हुक्मरानों, वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई, पाकिस्तानी फौज से अपना आगे-पीछे का हिसाब बराबर करने का मौका तलाश रहा है. ऐसे में तय है कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान में पल रहे आस्तीन के सांपों को अपनी हदों में नहीं घुसने देगा.”
भारत हिसाब बराबर करना जानता है
कोरोना काल में मुंबई एनआईए में तैनात रह चुके डीआईजी स्तर के एक अधिकारी (आईपीएस) की मानें तो, ‘पहलगाम हमले के बाद बदले हुए हालातों में पाकिस्तान में छिपे बैठे इसके जिम्मेदार, घर और बाहर कहीं सुरक्षित नहीं है. क्योंकि भारत और उसकी फौज की गुप्त पैनी नजरों से पाकिस्तान की ऐसी कोई जगह बाकी नहीं बची है, जो दूर हो. भारत जब जहां जैसे चाहेगा बिना अपना कोई नुकसान कराए, पाकिस्तान से हिसाब बराबर कर लेगा.
हां, यह जरूर है कि पहलगाम हमले के षडयंत्रकारियों में मचे हड़कंप के बाद अब वे, अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भागदौड़ करके अपने लिए सुरक्षित बिल की तलाश तो कर ही रहे होंगे. जैसा कि इस तरह की घटनाओं में हमेशा से ही होता है आया है.’
2016 सर्जिकल स्ट्राइक से ज्यादा हश्र होगा
भारत की आंतरिक खुफिया एजेंसी यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) के एक रिटायर्ड ज्वाइंट डायरेक्टर स्तर के पूर्व आईपीएस कहते हैं, ‘इस बार पाकिस्तान का हश्र, 2016 में भारत द्वारा वहां की गई सर्जिकल स्ट्राइक में हुए नुकसान से कई गुना ज्यादा बुरा होगा.
जरूरी नही है कि इस बार भी भारत, पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए साल 2016 की तरह सर्जिकल स्ट्राइक ही करे. भारत के पास बहुत से ऐसे रास्ते हैं जो बिना आवाज, बिना बम-गोली-बारूद के भी, खामोशी के साथ वो (भारत) पाकिस्तान को जमीन पर घिसट-घिसट कर चलने के लिए लाचार कर देगा.
बांग्लादेश इस वक्त गड़बड़ कर सकता है
जहां तक सवाल ऐसे बुरे वक्त में पाकिस्तान के मददगारों की है, तो कोई मदद नहीं करेगा. विशेषकर अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल जैसे देश तो कतई पाकिस्तान को अपनी उंगली नहीं पकड़ने देंगे. हां, मुझे बांग्लादेश के साथ भारत के वर्तमान में तल्ख हो चुके रिश्तों के चलते, उधर से (बांग्लादेश की तरफ से) शक है कि वे इस वक्त भारत की दबी हुई नस को और दबाने की गरज से, धूर्त पाकिस्तान को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मदद दे सकते हैं. हालांकि बांग्लादेश की मदद मक्कार पाकिस्तान को सुरक्षित बचाव-कवच तो नहीं बन सकती है. क्योंकि बांग्लादेश खुद ही अपनी अंदरूनी दुर्गति में फंसा हुआ बजबजा रहा है.’
भारत को जो नुकसान होना था हो चुका है
इन सबके बाद स्टेट मिरर हिंदी ने बात की जम्मू कश्मीर के रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक 1986 बैच के बेहद सुलझी हुई छवि के अधिकारी एस पी वैद (शेष पॉल वैद) से. उन्होंने कहा, ‘पहलगाम में जो हुआ बुरा हुआ. पाकिस्तान ने जो किया है उसके लिए उस पर दुनिया थूक रही है. भारत इसका हिसाब तो आगे पीछे बराबर कर ही लेगा. मगर इस कांड से भारत को नुकसान तो जो होना था वो तो हो ही गया.
हमारी एजेंसियां पूरी तरह फेल हो गईं
अब पाकिस्तान का कुछ भी बिगाड़ लीजिए. हमारे यहां तो उसने तबाही मचाकर दुनिया को चौंका ही डाला है. भारत के लिए तो पहलगाम कांड बहुत बड़ी चुनौती बन ही गया. यहां हमारी एजेंसियां पूरी तरह से फेल हो गईं. इसमें तो अब शक की कोई गुंजाइश ही बाकी नहीं बची है. अब चाहे भारत या फिर भारत का कोई दोस्त-शुभचिंतक देश, अपने देश की हदों को सील करे या न करे. भारत का तो नुकसान हो ही चुका है.’
आप दौड़ते रहिए दिल्ली से पहलगाम तक...
उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक 1974 बैच के पूर्व आईपीएस डॉ. विक्रम सिंह ने स्टेट मिरर हिंदी से कहा, “पहलगाम कांड की खूनी होली के बाद, उसके ऊपर अब भारत द्वारा ज्ञान बांटे जाने की हर बात बेईमानी है. अब भारत अगर पाकिस्तान के ऊपर हमला भी बोल देता है तो क्या तीर मार देगा? उनके (पाकिस्तान) जरा-जरा से लड़के हमारी हदों में घुसकर, 28 निहत्थे निर्दोषों का खून बहाकर जिंदा भागने में कामयाब रहे.
इससे बड़ी और क्या बदनामी होगी...?
इससे बड़ी बदनामी भारत की और क्या हो सकती है? अब आपको (भारत) जो लकीर पीटनी है. दिल्ली और अपनी संसद में बैठकर पीटते रहिए. गाते-बजाते रहिए कि कश्मीर घाटी से धारा 370 हटाकर बहुत बड़ा तीर चला दिया है भारत ने. दौड़ते रहिए दिल्ली से कश्मीर के पहलगाम, श्रीनगर, पुलवामा तक. अब आप उनके (पाकिस्तान) 100 भी मार डालिए. उन बेशर्म-जाहिलों के ऊपर क्या फर्क पड़ रहा है? वे तो भूखे-प्यासे, भिखमंगे मरने के लिए तैयार ही बैठे हैं. तो क्यों न पुलवामा-पहलगाम अंजाम देकर ही मरें.”