पहलगाम हमले के बाद वीजा सस्पेंशन, लेकिन इंसानियत नहीं भूली सरकार; पाक हिंदुओं को मिलेगा भारत में ठिकाना
भारत सरकार ने हालिया आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द कर दिए हैं, लेकिन पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को राहत देते हुए उनके दीर्घकालिक वीज़ा को वैध बनाए रखा है. यह फैसला मानवीय आधार पर लिया गया है जिससे हजारों अल्पसंख्यक हिंदुओं को भारत में सुरक्षित जीवन की गारंटी मिलती है. सरकार ने नागरिकता की प्रक्रिया में भी सहूलियत देने के संकेत दिए हैं.

भारत सरकार ने हालिया आतंकी हमले के बाद जहां पाकिस्तान के नागरिकों के वीज़ा को रद्द करने का निर्णय लिया है, वहीं पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को राहत दी है. विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इन अल्पसंख्यक समुदायों को पहले से जारी किए गए दीर्घकालिक वीज़ा (एलटीवी) यथावत वैध रहेंगे. यह फैसला सरकार की उस नीति को दर्शाता है, जिसमें पीड़ित और वंचित समुदायों के लिए मानवीय दृष्टिकोण अपनाया गया है.
24 अप्रैल 2025 को भारत द्वारा पाकिस्तानियों के लिए वीज़ा सेवाएं स्थगित करने के निर्णय की घोषणा के बाद भ्रम की स्थिति बन गई थी. लेकिन अब विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह प्रतिबंध उन हिंदू शरणार्थियों पर लागू नहीं होता, जिन्हें पहले से दीर्घकालिक वीज़ा जारी किए गए हैं. ये वीज़ा बिना किसी बदलाव के वैध बने रहेंगे, जिससे इन शरणार्थियों में व्याप्त चिंता को दूर किया गया है.
आतंकी हमले के बाद सरकार की सख्ती
पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत सरकार ने कठोर कदम उठाए हैं, जिसमें पाकिस्तानी नागरिकों के सभी वीज़ा रद्द करना शामिल है. हालांकि, सरकार ने एक संवेदनशील अपवाद के रूप में पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को इस फैसले से बाहर रखा है. यह दर्शाता है कि भारत सुरक्षा और मानवीयता के बीच संतुलन बनाए रखने की नीति पर चल रहा है.
पाकिस्तानी हिंदू समुदाय को राहत
सरकार के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, वे पाकिस्तानी हिंदू नागरिक जो भारत में दीर्घकालिक वीज़ा पर रह रहे हैं, उन्हें भारत छोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है. इन नागरिकों में अधिकांश वे लोग हैं जिन्होंने उत्पीड़न के चलते पाकिस्तान छोड़ा है और अब भारत में नागरिकता के लिए आवेदन कर चुके हैं. सरकार का यह निर्णय उनकी स्थिरता और सुरक्षा की दिशा में बड़ा आश्वासन है.
कई राज्यों में बसे हैं हजारों हिंदू शरणार्थी
राजस्थान, दिल्ली, गुजरात और जम्मू जैसे राज्यों में हजारों पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी पहले से रह रहे हैं. जोधपुर और जैसलमेर जैसे शहरों में इनके लिए विशेष कॉलोनियां बनाई गई हैं, जबकि दिल्ली के मजनू का टीला और आदर्श नगर में भी ये समुदाय बड़ी संख्या में बसा हुआ है. हाल ही में, इन शरणार्थियों में से कुछ को भारतीय नागरिकता भी प्रदान की गई है.
जम्मू में रह रहे 26,000 परिवार
कई पाकिस्तानी हिंदू परिवार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से पलायन कर जम्मू क्षेत्र में आकर बसे हैं. अकेले जम्मू में ऐसे लगभग 26,000 परिवार रह रहे हैं. इनका वर्षों से भारत में रहना, यहां की संस्कृति में घुलमिल जाना और नागरिकता की चाह, भारत सरकार के इस मानवीय दृष्टिकोण को और भी सार्थक बनाती है.
मानवीयता का संदेश
जहां भारत आतंकवाद और सीमा पार हमलों के खिलाफ सख्त रुख अपना रहा है. वहीं इस फैसले के ज़रिए उसने यह भी संदेश दिया है कि वह पीड़ित समुदायों के प्रति संवेदनशील है. पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को सुरक्षित शरण देना भारत की ऐतिहासिक भूमिका का हिस्सा रहा है और यह निर्णय उसी परंपरा को आगे बढ़ाता है.