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अब तो युद्ध होगा! पहलगाम के बाद हिंदुस्तान का गुस्सा फूटा, State of War Declare करेगा भारत ?

26 मासूमों की हत्या के बाद देश में गुस्से की लहर है — अब चर्चा हो रही है 'State of War' की, लेकिन क्या इससे हालात बेहतर होंगे या और बिगड़ेंगे?

अब तो युद्ध होगा! पहलगाम के बाद हिंदुस्तान का गुस्सा फूटा, State of War Declare करेगा भारत ?
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स्वर्ग के दरवाज़े पर खून टपक रहा है…

पाहलगाम, जहां लोग चैन ढूंढने आते हैं, वहां 26 लोग कभी लौट कर नहीं जाएंगे.

ना वो पर्यटक थे, ना सेना के जवान – वो बस इंसान थे.

लेकिन गोलियों ने ये नहीं देखा… और आज पूरा देश पूछ रहा है – अब क्या करेंगे हम?

‘कश्मीर की वो सुबह, जो कभी नहीं भूलती’

22 अप्रैल 2025, जम्मू-कश्मीर की बाईसारन घाटी — जिसे 'मिनी स्विट्ज़रलैंड' कहा जाता है — अचानक गोलियों की आवाज़ों से गूंज उठी. आतंकवादी, जो M4 कार्बाइन और AK-47 जैसे हथियारों से लैस थे, ने पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी.

चारों ओर गोलियां बरसीं.

कुछ ने दौड़ लगाई, कुछ ने बच्चों को छिपाया.

17 लोग घायल, 26 वहीं ढेर.

इसे कोई हमला मत समझिए – ये सीधा हमला था हिंदुस्तान की रीढ़ पर.

और ज़िम्मेदारी ली – 'टीआएफ' नाम के एक नए आतंकवादी ग्रुप ने, जो पाकिस्तान के लश्कर और हिजबुल से जुड़ा है.

देश का ग़ुस्सा सड़कों पर उतर आया.

दिल्ली से लेकर डिब्रूगढ़ तक, मुंबई से लेकर मथुरा तक –

लोगों ने एक ही नारा लगाया – “अब बहुत हुआ!”

सोशल मीडिया पर #StateOfWar ट्रेंड करने लगा.

मूड एकदम साफ था – जनता कार्रवाई चाहती है, सिर्फ निंदा नहीं.

अब तक भारत ने क्या किया?

भारत सरकार ने कई सख्त फैसले लिए:

  • इंडस जल संधि को सस्पेंड कर दिया — अब सिंधु का पानी पाकिस्तान को नहीं मिलेगा.
  • वाघा बॉर्डर सील – हर व्यापार, हर यात्रा रुक गई.
  • डिप्लोमैटिक डाउनग्रेड – दोनों देशों के डिफेंस अटैची घर वापस.
  • SAARC वीज़ा वॉइवर हटाया – पाक नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश.

लेकिन… जनता कह रही है — ये काफी नहीं है. “अब और कितनी चिताएं जलेंगी, तब जाकर तुम कहोगे — हम युद्ध में हैं?”

"State of War" क्या होता है?

पहले समझो — "State of War" सिर्फ जज़्बात नहीं होता.

यह एक क़ानूनी और राजनीतिक एलान होता है कि अब दोनों देशों के बीच 'शांति' नहीं, बल्कि युद्ध की औपचारिक स्थिति है.

इसका मतलब?

भारत-पाक के बीच सारे डिप्लोमैटिक रिश्ते निलंबित हो जाते हैं.

हर नागरिक, हर संसाधन – युद्ध के लिहाज़ से इस्तेमाल किया जा सकता है.

इंटरनेशनल लॉ के तहत भारत को कुछ असाधारण अधिकार मिलते हैं — जैसे एयरस्पेस प्रतिबंध, सैन्य अधिग्रहण, मीडिया नियंत्रण, आदि.

एक बार "State of War" डिक्लेयर कर दिया गया, तो वापसी मुश्किल होती है.

पहले किसने किया था "State of War" डिक्लेयर?

भारत की बात करें तो…

भारत ने कभी औपचारिक रूप से "State of War" नहीं घोषित किया, लेकिन कई मौकों पर भारत-पाकिस्तान युद्ध (1947-48) और 1971 बांग्लादेश युद्ध जैसे मामलों में युद्ध की परिस्थितियाँ पैदा हुईं. हालांकि, इन युद्धों में भी formal declaration नहीं हुआ था. भारत ने "Operation Vijay" और "Operation Meghdoot" जैसी सैन्य कार्रवाइयों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना.

1971 का युद्ध:

भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की, लेकिन इसे औपचारिक रूप से युद्ध घोषित नहीं किया गया. यह एक strategic move था, जिसमें Bangladesh को स्वतंत्रता दिलवाने के उद्देश्य से पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की गई. इस युद्ध में बड़ी जीत मिली, लेकिन यह "State of War" का formal declaration नहीं था.

दुनिया में...

  • USA ने WWII 1941 में Japan पर war declare किया (Pearl Harbor के बाद).
  • UK, France, आदि ने भी ऐसा किया WWII में.
  • रूस-यूक्रेन युद्ध? Technically रूस ने "war" नहीं कहा, बल्कि “Special Operation” कहा ताकि international law से बच सके.
  • इज़राइल ने बार-बार formal war declaration किया — 1967, 1973 में.

Legal implication of State of War:

UN Charter के Article 51 के तहत self-defence में war act justified हो सकता है, लेकिन full "State of War" declaration UN और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को involve कर देता है.

Formal declaration के बाद Geneva Convention लागू होता है – POWs (Prisoners of War), Red Cross protocols, etc.

How World Sees State of War

अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, किसी भी देश द्वारा "State of War" की घोषणा का असर सिर्फ उस देश तक सीमित नहीं होता. यह UN Security Council और Geneva Convention में हस्तक्षेप करता है, और वैश्विक राजनीति को एक नई दिशा में मोड़ सकता है. यदि भारत State of War घोषित करता है, तो पाकिस्तान और अन्य अंतरराष्ट्रीय ताकतों की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार हो सकती है:

पाकिस्तान अपनी पूरी रणनीति को बदल सकता है और संयुक्त राष्ट्र में India's aggression का मुद्दा उठा सकता है.

चीन शांत रहेगा, लेकिन LAC पर और गंभीर स्थिति बन सकती है.

USA और EU भी मध्यस्थ की भूमिका निभाने का प्रयास कर सकते हैं, ताकि यह संघर्ष नियंत्रण में रहे.

तो अब सवाल ये नहीं कि युद्ध कब होगा...

सवाल ये है — क्या हम वो देश हैं, जो युद्ध से खुद को साबित करेंगे?

या वो जो युद्ध के बिना भी दुश्मन को घुटनों पर ला सकें?

"State of War" के बाद क्या होगा?

बाजार पर असर:

युद्ध की स्थिति में, global economy पर इसका सीधा असर पड़ेगा. भारतीय शेयर बाजार में गिरावट हो सकती है, और विदेशी निवेशक (FII) अपनी पूंजी बाहर निकाल सकते हैं. इससे भारतीय रुपये की कीमत गिर सकती है, और महंगाई बढ़ सकती है.

रक्षा बजट में वृद्धि:

वर्तमान में भारत का रक्षा बजट ₹6 लाख करोड़ है. यदि युद्ध की घोषणा होती है, तो यह बजट ₹10 लाख करोड़ तक जा सकता है. इसका मतलब होगा कि घरेलू खर्चे कम होंगे, और टैक्स बढ़ सकते हैं. इसके साथ ही, भारत को रक्षा निर्माण में भी तेजी लानी होगी, ताकि युद्ध की स्थिति में आवश्यक हथियार और उपकरण समय पर उपलब्ध हो सकें.

वैश्विक व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला:

भारत के युद्ध की स्थिति में, global trade में रुकावट आ सकती है. भारत एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, खासकर pharma, textile, और technology में. युद्ध की स्थिति में भारत के निर्यात में गिरावट हो सकती है, और कई अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक समझौतों को भी pause किया जा सकता है.

Geopolitical पर असर: भारत और पाकिस्तान की स्थिति

जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति होती है, तो International Relations में उथल-पुथल मच जाती है. पाकिस्तान भारत को aggressor बताने की कोशिश करेगा, और संयुक्त राष्ट्र में India's action पर प्रश्न उठाएगा. वहीं, भारत इसे self-defence के रूप में देखेगा.

China का प्रभाव:

भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती चीन की ओर से होगी. पहले से LAC पर तनाव है, और यदि भारत युद्ध की घोषणा करता है, तो चीन सीमा पर अपनी सैन्य गतिविधियाँ बढ़ा सकता है. यह स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है, जिससे India-China relations पूरी तरह से बिगड़ सकते हैं.

आज इंडिया war डिक्लेयर करे तो क्या होगा?

Geopolitical चक्रव्यूह:

  • पाकिस्तान UN पहुंच जाएगा और बोलेगा, “India aggression दिखा रहा है.”
  • भारत को justify करना होगा कि हमला पहले उधर से हुआ.
  • अमेरिका और यूरोप कहेंगे: “Dialogue करो, War नहीं.”
  • चीन चुपचाप देखेगा — और शायद अपने कदम बढ़ाएगा LAC पर.

International Alliances पर असर:

  • QUAD, BRICS, SCO जैसे ग्रुप्‍स में बैठकर भारत शांति की बात करता है.
  • अगर युद्ध छेड़ता है, तो उसकी neutral mediator वाली छवि को चोट पहुंचेगी.
  • इज़राइल या फ्रांस जैसे दोस्त साथ आ सकते हैं, लेकिन NATO officially हिस्सा नहीं ले सकता.

Economy का क्या ?

रक्षा खर्च आसमान पहुंचेगा.

Tax बढ़ेंगे. Subsidy घटेंगी.

Stock Market क्रैश.

FII भागेंगे.

रुपया गिरेगा.

महंगाई बढ़ेगी — पेट्रोल ₹150+ तक जा सकता है.

Supply Chain डिस्टर्ब:

Export रुकेंगे. Especially फार्मा, टेक्सटाइल, और स्टील.

Ports सील होंगे. Flight bans, maritime blockage — सब कुछ.

Public mood और राजनीतिक फायदा-नुकसान

Pros:

राष्ट्रवाद चरम पर. Election में ruling party को भारी सपोर्ट मिल सकता है.

Defence sector में local manufacturing को boost मिल सकता है (Make in India).

Youth enlistment बढ़ेगा. Military में pride आएगी.

Cons:

Long war मतलब: लोगों की थाली में खाना कम, देश की सीमाओं पर आग ज्यादा.

अगर युद्ध लंबा चला, और decisive जीत नहीं मिली — जनता पलट भी सकती है.

"Cold Start" Doctrine क्या कहती है?

भारत की सेना ने एक non-declared warfare doctrine तैयार की थी: "Cold Start"

मतलब — बिना युद्ध घोषित किए, rapid mobilization और attack कर देना.

लेकिन अगर आज State of War डिक्लेयर किया जाए, तो ये doctrine open card बन जाएगा — surprise factor खत्म.

Alternative क्या है? क्या युद्ध के बिना भी जवाब हो सकता है?

  • Surgical Strike 2.0 — एक बार फिर, targeted terror camps पर हमला.
  • Cyber War — पाकिस्तान की इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमला: electricity grids, banking systems.
  • Diplomatic Isolation — पाकिस्तान को FATF blacklist में वापस डालवाना.
  • Trade Cut — MFN status तो पहले ही खत्म है, अब full economic blockade?

Conclusion: "War" is not a video game

State of War कोई Twitter trend नहीं है.

यह एक ऐसा फैसला है, जो 140 कैरेक्टर में नहीं, 14 करोड़ दिलों की धड़कनों में गूंजता है.

हो सकता है, गुस्से में हम सब चाहें कि — "बस अब और नहीं, एक बार आर-पार हो जाए!"

लेकिन असली सवाल ये है: "क्या हम तैयार हैं उस आर-पार की कीमत चुकाने के लिए?"

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