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Gold Price Record High: रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा सोना- फिर क्यों चमक उठा गोल्ड, आगे क्या होंगे भाव?

वैश्विक अनिश्चितता और अमेरिका में ब्याज दरों में आगे कटौती की उम्मीद के बीच सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड $4,383.73 (करीब ₹3,63,800 प्रति औंस) प्रति औंस के नए ऑल-टाइम हाई पर पहुंचा, जबकि 2025 में अब तक सोना करीब 67% चढ़ चुका है. कमजोर डॉलर, केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीद और भू-राजनीतिक तनावों ने गोल्ड को मजबूत समर्थन दिया है.

Gold Price Record High: रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा सोना- फिर क्यों चमक उठा गोल्ड, आगे क्या होंगे भाव?
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( Image Source:  Sora AI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 22 Dec 2025 11:54 AM IST

वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ते ही निवेशकों का भरोसा एक बार फिर सोने पर लौट आया है. सोमवार को सोने की कीमतें ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गईं, जब दुनिया भर के निवेशक जोखिम भरे एसेट्स से निकलकर सुरक्षित विकल्पों की ओर बढ़ते दिखे. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में ब्याज दरों में आगे और कटौती की उम्मीद तथा डॉलर की कमजोरी ने सोने को नई उड़ान दे दी है.

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड सोमवार को बढ़कर $4,383.73 प्रति औंस (करीब ₹3,63,800 प्रति औंस) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. यह तेजी ऐसे समय आई है, जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने पिछले हफ्ते ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की और संकेत दिए कि आगे भी नरम मौद्रिक नीति जारी रह सकती है.

कमजोर डॉलर ने बढ़ाई सोने की चमक

सोने की कीमतों को समर्थन देने वाला एक बड़ा कारण कमजोर अमेरिकी डॉलर भी है. जब डॉलर कमजोर होता है, तो अन्य मुद्राओं में निवेश करने वालों के लिए सोना सस्ता हो जाता है, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ जाती है. डॉलर इंडेक्स में आई गिरावट ने गोल्ड रैली को और मजबूती दी है.

विशेषज्ञों के मुताबिक, मौजूदा हालात में निवेशक जोखिम लेने के बजाय पूंजी की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं, और यही वजह है कि सोने जैसी सेफ-हेवन एसेट की मांग तेज हुई है.

2025 में अब तक 67% चढ़ चुका है सोना

सोने की यह तेजी कोई अचानक हुई हलचल नहीं है. साल 2025 में अब तक गोल्ड की कीमतों में करीब 67 फीसदी की बढ़त दर्ज की जा चुकी है. इस उछाल के पीछे कई बड़े कारण हैं, जैसे - वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव, ट्रेड वॉर और आर्थिक अनिश्चितता, दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा लगातार सोने की खरीद और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद. केंद्रीय बैंक, खासकर उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बैंक, डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए लगातार गोल्ड रिजर्व बढ़ा रहे हैं, जिससे सोने को दीर्घकालिक समर्थन मिल रहा है.

ब्याज दरें घटती हैं तो सोना क्यों चढ़ता है?

सोना ऐसा एसेट है जो कोई ब्याज नहीं देता, लेकिन जब ब्याज दरें कम होती हैं, तो बॉन्ड और फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे इंस्ट्रूमेंट्स की रिटर्न घट जाती है. ऐसे में निवेशकों को सोना ज्यादा आकर्षक लगने लगता है. फिलहाल बाजार इस बात को कीमतों में शामिल कर चुका है कि 2026 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व दो बार और ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. इसी उम्मीद ने नॉन-यील्डिंग एसेट्स, खासकर सोने की मांग को और बढ़ा दिया है.

आगे क्या तय करेगा गोल्ड की दिशा?

अब निवेशकों की नजर अमेरिका से आने वाले अहम आर्थिक आंकड़ों पर टिकी है, जो सोने की अगली चाल तय कर सकते हैं. LKP Securities के वाइस प्रेसिडेंट और कमोडिटी-करेंसी एनालिस्ट जतीन त्रिवेदी के मुताबिक, निकट भविष्य में सोने की चाल अस्थिर बनी रह सकती है.

त्रिवेदी कहते हैं, “बाजार की नजर अब अमेरिका के एक्सिस्टिंग होम सेल्स और कोर PCE प्राइस इंडेक्स पर है. ये आंकड़े सोने की कीमतों को नई दिशा दे सकते हैं. फिलहाल निकट अवधि में सोना ₹1,31,500 से ₹1,34,000 प्रति 10 ग्राम के दायरे में उतार-चढ़ाव दिखा सकता है.”

इंटरनेशनल और घरेलू लेवल्स पर नजर

Augmont की हेड ऑफ रिसर्च रेनिशा चेनानी के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने को $4,380 प्रति औंस (करीब ₹3,63,500) के आसपास सपोर्ट मिल रहा है, जबकि $4,300 प्रति औंस (करीब ₹3,56,900) के पास रेजिस्टेंस देखा जा रहा है. घरेलू बाजार की बात करें तो सोने को ₹1,33,000 प्रति 10 ग्राम के पास सपोर्ट और ₹1,35,500 प्रति 10 ग्राम के आसपास रेजिस्टेंस मिल सकता है.

चांदी में मुनाफावसूली, भाव फिसले

जहां सोना नए रिकॉर्ड बना रहा है, वहीं घरेलू बाजार में चांदी की कीमतों में गिरावट देखने को मिली. दिल्ली सर्राफा बाजार में शुक्रवार को रिकॉर्ड बनाने के बाद चांदी ₹3,500 टूटकर ₹2,04,100 प्रति किलो पर आ गई. ऑल इंडिया सराफा एसोसिएशन के मुताबिक, यह गिरावट स्टॉकिस्टों और रिटेलर्स की ओर से हुई ताजा बिकवाली की वजह से आई. इससे एक दिन पहले गुरुवार को चांदी ₹1,800 उछलकर ₹2,07,600 प्रति किलो के ऑल-टाइम हाई पर पहुंची थी. मौजूदा गिरावट को तेज रैली के बाद मुनाफावसूली के तौर पर देखा जा रहा है.

आगे क्या करें निवेशक?

फिलहाल सोने की कीमतों को कम ब्याज दरों की उम्मीद, केंद्रीय बैंकों की मजबूत खरीद और वैश्विक जोखिमों का समर्थन मिल रहा है. हालांकि विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अल्पकाल में कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव बना रह सकता है, क्योंकि बाजार हर नए आर्थिक आंकड़े और वैश्विक संकेत पर तुरंत प्रतिक्रिया दे रहा है. निवेशकों के लिए यह दौर मौके और जोखिम-दोनों लेकर आया है.

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