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Gold Prices: अगर ऐसे ही जारी रही बढ़त तो क्‍या दोगुना हो जाएंगे सोने के दाम?

वैश्विक निवेश फर्म जेफरीज (Jefferies) का अनुमान है कि सोना आने वाले समय में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है. मौजूदा कीमत 3,670 डॉलर (₹3.04 लाख) प्रति औंस है, लेकिन अगर बुल रन जारी रहा तो यह 6,600 डॉलर (₹5.47 लाख) प्रति औंस तक जा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, 1980 की तरह अगर सोना अमेरिकी डिस्पोजेबल इनकम के 9.9% तक पहुंचता है, तो कीमतों में बड़ी छलांग संभव है.

Gold Prices: अगर ऐसे ही जारी रही बढ़त तो क्‍या दोगुना हो जाएंगे सोने के दाम?
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( Image Source:  ANI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 20 Sept 2025 11:22 AM IST

वैश्विक निवेश फर्म जेफरीज (Jefferies) ने अपने ताज़ा विश्लेषण में दावा किया है कि सोने की कीमत आने वाले समय में रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकती है. रिपोर्ट के अनुसार, अगर मौजूदा बुल रन (तेजी का दौर) जारी रहता है तो सोना 6,600 अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹5.47 लाख) प्रति औंस तक जा सकता है.

यह अनुमान सोने की ऐतिहासिक कीमतों और अमेरिकी प्रति व्यक्ति आय (US Disposable Income Per Capita) के आधार पर लगाया गया है. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार जेफरीज ने बताया कि पिछली बड़ी तेजी जनवरी 1980 में देखने को मिली थी, जब सोने की कीमत 850 डॉलर (लगभग ₹70,550) प्रति औंस थी और उस समय यह अमेरिकी डिस्पोजेबल इनकम का 9.9% हिस्सा बनाती थी. उस दौर में प्रति व्यक्ति आय 8,551 डॉलर (लगभग ₹7.10 लाख) थी.

अब क्‍या हैं हालात

रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल सोने की कीमत 3,670 डॉलर (₹3.04 लाख) प्रति औंस है, जो अमेरिका की मौजूदा प्रति व्यक्ति आय 66,100 डॉलर (₹54.86 लाख) का लगभग 5.6% है. अगर यह अनुपात फिर से 9.9% तक पहुंचता है, तो सोना 6,571 डॉलर (₹5.46 लाख) तक जा सकता है. इस आधार पर जेफरीज का मानना है कि 6,600 डॉलर (₹5.47 लाख) का स्तर एक वास्तविक और उचित लक्ष्य है.

सोने की हालिया चाल

बीते हफ्ते सोना 3,700 डॉलर (₹3.06 लाख) प्रति औंस तक पहुंच गया, जो कि दिसंबर 2002 में जेफरीज द्वारा तय किए गए शुरुआती लक्ष्य से भी आगे निकल गया. उस समय फर्म ने सोने का दीर्घकालिक लक्ष्य 3,400 डॉलर (₹2.82 लाख) प्रति औंस तय किया था.

कैसे तय हुआ यह लक्ष्य?

जेफरीज ने पहली बार दिसंबर 2002 में सोने का लॉन्ग-टर्म टारगेट तय किया था. उस समय गणना इस आधार पर की गई थी कि 1980 में सोने का पीक प्राइस 850 डॉलर (₹70,550) था. जनवरी 1980 से अमेरिकी व्यक्तिगत आय में 6.3% की वार्षिक वृद्धि दर को जोड़कर सोने की संभावित कीमत 3,437 डॉलर (₹2.85 लाख) निकाली गई थी. इसके बाद जनवरी 2005 में इसे अपडेट कर 3,700 डॉलर (₹3.06 लाख) कर दिया गया. फिर सितंबर 2007 में जेफरीज ने अपने कैलकुलेशन मॉडल में बदलाव किया और कुल व्यक्तिगत आय की जगह प्रति व्यक्ति डिस्पोजेबल इनकम को आधार बनाया.

समय-समय पर अपडेट किए गए टारगेट

  • मार्च 2016: लक्ष्य बढ़ाकर 4,200 डॉलर (₹3.48 लाख) प्रति औंस किया गया.
  • अगस्त 2020: सोने का नया टारगेट 5,500 डॉलर (₹4.56 लाख) प्रति औंस तय किया गया.
  • और अब मौजूदा विश्लेषण में यह लक्ष्य 6,600 डॉलर (₹5.47 लाख) प्रति औंस कर दिया गया है.

क्यों खास है यह अनुमान?

यह अनुमान केवल मौजूदा रुझानों पर नहीं, बल्कि पिछले 40 साल की आर्थिक प्रवृत्तियों पर आधारित है. जेफरीज का मानना है कि सोने की कीमत अमेरिकी डिस्पोजेबल इनकम से गहराई से जुड़ी हुई है. जब-जब अमेरिकी आय में तेज़ वृद्धि हुई है, सोने की कीमत ने भी लंबे समय में उसी अनुपात में छलांग लगाई है.

भारत और दुनिया पर असर

भारत में सोना निवेश, आभूषण और धार्मिक आयोजनों में अहम भूमिका निभाता है. मौजूदा स्तर पर अगर अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सोना 6,600 डॉलर (₹5.47 लाख) प्रति औंस तक पहुंचता है, तो भारतीय बाज़ार में सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर जा सकती हैं. इसका सीधा असर न सिर्फ आम निवेशकों बल्कि ज्वैलरी उद्योग, आयात-निर्यात और केंद्रीय बैंक की सोना नीति पर भी पड़ेगा.

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