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फेड रेट कट की आहट से सोना चढ़ा, लेकिन मंदी का साया बरकरार: आने वाले दिनों में किस दिशा में जाएगी सोने की कीमत?

अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की दिसंबर रेट कट उम्मीदों ने सोने की कीमतों को सहारा दिया है. स्पॉट गोल्ड $4095 (₹3,44,000) के पास ट्रेड कर रहा है, जबकि अमेरिकी जॉब और महंगाई डेटा कीमतों में उतार-चढ़ाव ला रहे हैं. भू-राजनीतिक तनाव और डॉलर-यील्ड की चाल भी सोने की दिशा तय कर रही है. गोल्ड आने वाले दिनों में $3980 (₹3,34,000)–$4200 (₹3,52,800) की रेंज में रह सकता है. सिल्वर भी रेट कट उम्मीदों पर ही निर्भर दिख रहा है.

फेड रेट कट की आहट से सोना चढ़ा, लेकिन मंदी का साया बरकरार: आने वाले दिनों में किस दिशा में जाएगी सोने की कीमत?
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( Image Source:  Sora AI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 25 Nov 2025 12:57 PM

दुनियाभर के निवेशकों की निगाहें इन दिनों सोने की चाल पर टिकी हुई हैं. अमेरिका में महंगाई, जॉब मार्केट और फेडरल रिज़र्व की नीतियों के संकेत लगातार बदल रहे हैं, और इन्हीं उतार-चढ़ावों के बीच गोल्ड की कीमतें भी तेज़ी से प्रतिक्रिया दे रही हैं.

सोना एक सुरक्षित निवेश (Safe Haven) माना जाता है, इसलिए भू-राजनीतिक तनावों से लेकर आर्थिक डेटा तक - हर बड़ी खबर सोने की रफ्तार तय कर रही है. टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने इसी माहौल में Mirae Asset Sharekhan के सीनियर फंडामेंटल रिसर्च एनालिस्ट (करेंसीज़ एंड कमोडिटीज) प्रवीण सिंह ने से गोल्ड–सिल्वर के आउटलुक पर बात की और उन्‍होंने इस पर अपना विस्तृत विश्लेषण दिया है.

अमेरिकी फेड पर निर्भर रहेगी सोने की चाल

सिंह के मुताबिक, आने वाले दिनों में सोने की दिशा मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करेगी कि फेड दिसंबर पॉलिसी में ब्याज दर घटाता है या नहीं. फिलहाल मार्केट में इसके संकेत काफी मज़बूत दिख रहे हैं. नवंबर 24 को स्पॉट गोल्ड एशियन सेशन में शुरुआती गिरावट से उबरकर अमेरिकी सेशन में मजबूती के साथ ट्रेड हुआ. लेख लिखे जाने के समय तक सोना $4095 (₹3,44,000 प्रति औंस) पर था, यानी दिनभर में करीब 0.70% की बढ़त. वहीं भारत में एमसीएक्स दिसंबर कॉन्ट्रैक्ट ₹1,23,913 पर करीब 0.22% गिरा, जिसका कारण है - भारतीय रुपये की मजबूती. रुपये को मजबूती आरबीआई के दखल और फेड की रेट कट उम्मीदों ने दी है.

नवंबर में न्यूयॉर्क फेड प्रेसिडेंट के बयान से बदला माहौल

नवंबर 21 को खत्म हुए हफ्ते में सोना $4065 (₹3,41,000) पर बंद हुआ, यानी साप्ताहिक आधार पर 0.46% कमजोर. इसका कारण था - अमेरिका की सितंबर नॉन-फार्म पेरोल रिपोर्ट, जिसने उम्मीद से बेहतर रोजगार आंकड़े दिए. हालांकि बाद में न्यूयॉर्क फेड प्रेसिडेंट जॉन विलियम्स के बयान ने माहौल बदल दिया. उन्होंने कहा कि अमेरिकी जॉब मार्केट दबाव में है और दिसंबर में रेट कट संभव है. इस बयान ने सोने को फिर सहारा दिया.

डेटा के मोर्चे पर नवंबर 21 को आए अमेरिकी आंकड़ों में कॉम्पोज़िट PMI 54.6 से बढ़कर 54.8 हो गया. सर्विसेज PMI भी उम्मीद से बेहतर रहा. हालांकि यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन का कंज्यूमर सेंटिमेंट इंडेक्स 51 पर रिकॉर्ड निचले स्तरों के आसपास ही अटका रहा. एक साल और पांच–दस साल की महंगाई उम्मीदें भी नरम हुईं. यूके का कॉम्पोज़िट PMI 52.2 से घटकर 50.5, यूरोज़ोन PMI 52.4 रहा जो अनुमान से थोड़ा कमजोर था. जापान का PMI 52 रहा, जो उम्मीद (51.5) से बेहतर है.

अनुमान से बेहतर रहे थे अमेरिका में रोजगार के आंकड़े

अमेरिका की नौकरियों का डेटा भी महत्वपूर्ण रहा. 20 नवंबर को जारी रिपोर्ट में सितंबर में 119K जॉब्स जुड़े, जो अनुमान 53K से कहीं बेहतर था. हालांकि दो महीने का संशोधित डेटा -33K रहा. बेरोज़गारी दर 4.32% से बढ़कर 4.44% हुई, जबकि लेबर पार्टिसिपेशन रेट बढ़कर 62.4% हुआ. एवरेज ऑवरली अर्निंग्स भी 3.8% YoY रहीं, जो अनुमान से थोड़ी अधिक थीं. इसके बाद 24 नवंबर को फेड गवर्नर क्रिस्टोफर वॉलर ने कहा कि अमेरिका में महंगाई अब बड़ा खतरा नहीं है, जबकि जॉब मार्केट कमजोर है. उनका साफ संकेत था कि दिसंबर मीटिंग में रेट कट होना चाहिए. उनके बयान के बाद मार्केट ने रेट कट की संभावना को वजन दिया. आज की तारीख में फेड रेट कट प्रॉबेबिलिटी 71% है, जबकि पिछले हफ्ते तक यह सिर्फ 24% थी.

रूस-यूक्रेन और मध्यपूर्व तनाव भी गोल्ड को दे रहे सपोर्ट

डॉलर इंडेक्स 100.15 के आसपास स्थिर रहा. दो साल की बॉन्ड यील्ड 3.53% और 10 साल की यील्ड 4.05% पर है. ETF की बात करें तो 21 नवंबर तक ग्लोबल ETF होल्डिंग 97.30 Moz रही, जो तीन साल के उच्च स्तर के पास है. COMEX इन्वेंट्री भी अप्रैल की पीक से लगभग 2.22% नीचे है.

29 नवंबर से फेड ब्लैकआउट पीरियड शुरू हो रहा है, जो 11 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान फेड अधिकारी किसी भी सार्वजनिक बयान से बचते हैं, इसलिए बाज़ार को संकेत केवल डेटा से ही मिलेंगे. भू-राजनीतिक हालात- रूस-यूक्रेन और मध्यपूर्व तनाव - भी गोल्ड को सपोर्ट दे रहे हैं.

आने वाले दिनों में अमेरिका के कई अहम आंकड़े आएंगे: रिटेल सेल्स एडवांस, PPI, कंज्यूमर कॉन्फिडेंस, पेंडिंग होम सेल्स, 3Q GDP, पर्सनल स्पेंडिंग और PCE प्राइस इंडेक्स. अक्टूबर CPI और बेरोज़गारी दर का डेटा इस बार नहीं आएगा. 26 नवंबर को यूके की बजट रिपोर्ट भी अहम होगी. यूरोपीय PMI और जर्मनी का GDP भी मार्केट की दिशा तय करेंगे.

गोल्ड प्राइस आउटलुक

एनालिस्ट प्रवीण सिंह के अनुसार, सोना फिलहाल $3980 (₹3,34,000) से $4160/$4200 (₹3,49,500–₹3,53,000) की रेंज में रहेगा. $4125 (₹3,46,500) अंतरिम रेजिस्टेंस है. दिसंबर रेट कट की संभावना बदलते ही सोने में तेज़ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. जोखिम लेने की भूख बढ़ी तो सोने की रफ्तार सीमित हो सकती है, लेकिन भू-राजनीतिक तनाव इसकी कीमत को सपोर्ट देते रहेंगे.

सिल्वर आउटलुक

खबर लिखे जाने तक स्पॉट सिल्वर $50.50 ₹42,420) पर 1% ऊपर था. एमसीएक्स दिसंबर सिल्वर ₹1,54,341 पर 0.12% ऊपर. नवंबर 21 वाले हफ्ते में सिल्वर में 1% की गिरावट रही. मनी मैनेजर्स ने अपने बुलिश पोज़िशन घटाए - 7,357 नेट-लॉन्ग पोज़िशन कम हुए. ETF होल्डिंग 819.87 Moz है, जो जुलाई 2022 के बाद उच्च स्तर के पास है. सिल्वर भी रेट कट उम्मीदों पर ही चलेगा. इसके सपोर्ट स्तर $49.30 (₹41,400), $48.60 (₹40,800), जबकि रेजिस्टेंस $51.07 (₹42,900), $52.37 (₹44,000) हैं. कमजोर डेटा या जोखिम से बचने का माहौल सिल्वर में गिरावट ला सकता है.

(सोने की कीमत पूरी तरह व्यक्तिगत है और मार्केट की दिशा कई बाहरी कारकों से तय होती है. निवेशक कोई भी फैसला लेने से पहले खुद रिसर्च करें.)

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