Begin typing your search...

जिनपर करती हैं भरोसा, वही ले लेते हैं जान! 2024 में 50,000 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों की हत्या; होश उड़ा देगी UN की रिपोर्ट

हर 10 मिनट में एक महिला या लड़की अपनी जान गंवा रही है और हत्यारा कोई अजनबी नहीं, बल्कि उसका अपना पति, बॉयफ्रेंड, एक्स पार्टनर, पिता या भाई होता है. संयुक्त राष्ट्र (UNODC और UN Women) की 2024 की रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल दुनिया भर में करीब 50,000 महिलाएं और लड़कियां अपने करीबी लोगों के हाथों मारी गईं.

जिनपर करती हैं भरोसा, वही ले लेते हैं जान! 2024 में 50,000 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों की हत्या; होश उड़ा देगी UN की रिपोर्ट
X
( Image Source:  Create By AI )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 25 Nov 2025 2:06 PM IST

दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा अब सिर्फ़ न्यूज़ या आंकड़ों की बात नहीं रह गई है, ये हर लड़की और औरत के दिल में एक स्थायी डर बन चुकी है. सबसे दुखद और डरावनी बात यह है कि जिस जगह को हम सबसे सुरक्षित समझते हैं, यानी अपना घर, वही आज सबसे खतरनाक जगह बनता जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट (UNODC और UN Women की तरफ़ से) बताती है कि साल 2024 में पूरी दुनिया में लगभग 50,000 महिलाएं और लड़कियां मारी गईं, और इनमें से ज़्यादातर हत्याएं उनके अपने करीबियों ने कीं पति, बॉयफ्रेंड, एक्स पार्टनर, पिता, भाई या कोई रिश्तेदार.

मतलब हर दिन औसतन 137 महिलाएं और हर 10 मिनट में एक औरत सिर्फ़ इसलिए मर गई क्योंकि उसने किसी पर भरोसा किया था. सोचिए, जिन हाथों में हम अपनी सुरक्षा समझते हैं, वही हाथ सबसे बड़ा खतरा बन जाते हैं. महिलाओं की हत्या के कुल मामलों में 60% से ज़्यादा हत्याएं घर के अंदर या किसी करीबी ने की. वहीं पुरुषों की हत्या में सिर्फ़ 11% मामले ही अपने लोगों के हाथों होते हैं यानी घर महिलाओं के लिए कत्ल की सबसे आम जगह बन गया है.

सबसे ज़्यादा खतरा कहां है?

अफ़्रीका में यह समस्या सबसे गंभीर है वहां 2024 में लगभग 22,000 महिलाएं और लड़कियां अपने घर या करीबी के हाथों मारी गईं यह दुनिया में सबसे ज़्यादा संख्या है. लेकिन कोई भी महाद्वीप इससे पूरी तरह बचा हुआ नहीं है. आजकल डिजिटल दुनिया ने महिलाओं की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. बिना सहमति के निजी फ़ोटो-वीडियो शेयर करना, किसी का पता-पते सार्वजनिक करना (डॉक्सिंग), डीपफ़ेक वीडियो बनाकर बदनाम करना ये नए तरीके के अपराध तेज़ी से बढ़ रहे हैं. अब औरत को घर के बाहर भी और ऑनलाइन भी डर लगता है.

क्या होना चाहिए?

रिपोर्ट साफ़ कहती है कि अब पुराने कानून काफी नहीं हैं. हमें ऐसे मज़बूत और नए कानून चाहिए जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की हिंसा को पहचानें, छोटे-छोटे अपराध (धमकी, मारपीट, स्टॉकिंग, ऑनलाइन उत्पीड़न) पर तुरंत कार्रवाई करें और हत्या होने से पहले ही अपराधी को रोक सकें.

हमें जागने की जरूरत है

आखिरी बात यह आंकड़े 2023 से थोड़े कम ज़रूर दिख रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दुनिया सुरक्षित हो गई है. कई देशों ने पूरा डेटा ही नहीं दिया, इसलिए सच तो शायद इससे भी ज़्यादा भयानक है. महिलाओं के खिलाफ यह हिंसा अब एक वैश्विक महामारी बन चुकी है. जब तक समाज, सरकारें, पुलिस, कोर्ट और टेक्नोलॉजी कंपनियां मिलकर सख़्त और तेज़ कार्रवाई नहीं करेंगी, तब तक कोई भी लड़की-महिला पूरी तरह सुरक्षित महसूस नहीं कर सकती. घर को फिर से सुरक्षित बनाने का वक्त आ गया है. हर 10 मिनट में एक जान जाने से पहले हमें जागना होगा.

India News
अगला लेख