Peace President अभियान हुआ फेल! ट्रंप को नहीं मिला नोबेल तो बौखलाया व्हाइट हाउस, कहा- शांति नहीं, राजनीति को दी गई तरजीह
वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना माचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है. उन्हें वेनेजुएला में लोकतंत्र और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के उनके संघर्ष के लिए सम्मानित किया गया, जिससे निकोलस मादुरो की तानाशाही चुनौतीपूर्ण हुई. ओस्लो स्थित नोबेल समिति ने उनके न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक संक्रमण के प्रयासों को सराहा. व्हाइट हाउस ने इस फैसले पर निराशा जताई और समिति पर राजनीति को शांति से ऊपर रखने का सूक्ष्म आरोप लगाया। माचाडो को पुरस्कार के रूप में 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना ($1.2 मिलियन) प्राप्त होंगे.;
नार्वे की नोबेल कमेटी ने 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो को देने का ऐलान किया है, न कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को, जिनका नाम भी इस पुरस्कार के दावेदारों में चल रहा था. इस घोषणा के बाद अमेरिकी राजनीति में तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं. व्हाइट हाउस ने बयान जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप (President Trump) भले ही इस बार नोबेल शांति पुरस्कार नहीं जीत पाए हों, लेकिन वे 'शांति स्थापित करने, युद्ध खत्म करने और मानवता की रक्षा करने' के अपने मिशन पर आगे बढ़ते रहेंगे.
व्हाइट हाउस की कम्युनिकेशन डायरेक्टर ने X पर लिखा, “राष्ट्रपति ट्रंप शांति समझौते करते रहेंगे, युद्धों को समाप्त करेंगे और जीवन बचाते रहेंगे. उनके पास एक सच्चे मानवतावादी का दिल है, और उनके जैसा कोई नहीं जो अपनी इच्छा की ताकत से पहाड़ों को भी हिला दे.”
व्हाइट हाउस का तीखा तंज, नोबेल कमेटी ने शांति पर राजनीति को तरजीह दी
व्हाइट हाउस ने नोबेल कमेटी के फैसले पर हल्का लेकिन स्पष्ट कटाक्ष करते हुए कहा, “एक बार फिर नोबेल कमेटी ने यह साबित कर दिया कि वे शांति से ज़्यादा राजनीति को तरजीह देते हैं.”
किसे मिला है नोबेल शांति पुरस्कार 2025?
नॉर्वे की राजधानी ओस्लो स्थित Norwegian Nobel Committee ने शुक्रवार को घोषणा की कि 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो (María Corina Machado) को दिया जाएगा. उन्हें यह पुरस्कार 'वेनेज़ुएला की जनता के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करने और तानाशाही से लोकतंत्र की शांतिपूर्ण और न्यायसंगत संक्रमण की दिशा में अथक संघर्ष' के लिए दिया गया है. पुरस्कार की राशि 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग $1.2 मिलियन USD) रखी गई है.
मचाडो के संघर्ष की झलक
मारिया कोरीना मचाडो वेनेज़ुएला की एक प्रमुख विपक्षी नेता हैं, जिन्होंने लंबे समय से निकोलस मादुरो शासन का विरोध किया है. उन्होंने अपने देश में स्वतंत्र चुनावों, नागरिक अधिकारों और लोकतांत्रिक संस्थानों की बहाली के लिए वर्षों तक आवाज़ उठाई है. मचाडो को कई बार सरकार की ओर से धमकियों, प्रतिबंधों और गिरफ्तारी के प्रयासों का सामना करना पड़ा, लेकिन वे अपने अभियान से पीछे नहीं हटीं.
ट्रंप की उम्मीदें और अमेरिकी राजनीति में हलचल
राष्ट्रपति ट्रंप का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के संभावित उम्मीदवारों में इसलिए चर्चा में था, क्योंकि उनके समर्थकों का दावा है कि उन्होंने मध्य पूर्व में अब्राहम समझौते (Abraham Accords) जैसे ऐतिहासिक शांति समझौतों को संभव किया था. हालांकि, इस बार कमेटी ने मानवाधिकार और लोकतंत्र की लड़ाई को प्राथमिकता देते हुए मचाडो को विजेता चुना.
नोबेल कमेटी के इस निर्णय ने जहां एक ओर लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रता के समर्थन को रेखांकित किया है, वहीं अमेरिकी राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है- क्या नोबेल पुरस्कारों में अब राजनीतिक झुकाव की भूमिका बढ़ रही है?