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मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स की खोज पर Susumu Kitagawa, Robson और Yaghi को मिला केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार

केमिस्ट्री के क्षेत्र में इस साल का नोबेल पुरस्कार मेटल–ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स (MOFs) की खोज के लिए दिया गया है. इस प्रतिष्ठित सम्मान के विजेता हैं सुसुमु कितागावा, रॉब्सन और यागी, जिनकी रिसर्च ने रसायन विज्ञान की दुनिया में नई दिशा और संभावनाओं के रास्ते खोले हैं.

मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स की खोज पर Susumu Kitagawa, Robson और Yaghi को मिला केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार
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( Image Source:  X/@NobelPrize )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 8 Oct 2025 6:04 PM IST

केमिस्ट्री साइंस की दुनिया में 2025 का नोबेल पुरस्कार उन तीन वैज्ञानिकों के नाम हुआ जिन्होंने मॉलिक्यूल्स की दुनिया में एक नई संरचना की परिकल्पना को हकीकत में बदला. जापान के सुसुमु कितागावा, ऑस्ट्रेलिया के रिचर्ड रॉब्सन और अमेरिका के ओमर एम. यागी को यह सम्मान 'मेटल–ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स' (MOFs) के विकास के लिए दिया गया है.

स्वीडन की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने घोषणा करते हुए कहा कि इन वैज्ञानिकों ने ऐसी संरचनाएं बनाई हैं जिनमें अणु आसानी से अंदर-बाहर जा सकते हैं और यह खोज विज्ञान की दिशा बदलने वाली साबित हुई है.

मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स: अणुओं की नई दुनिया

मेटल–ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स को सरल भाषा में समझें, तो ये ऐसी जालीदार संरचनाएं हैं जिनके भीतर विशाल गुहाएं होती हैं. इन गुहाओं में अलग-अलग अणु समा सकते हैं, जिससे यह संरचना वैज्ञानिकों के लिए एक बहुमूल्य औजार बन गई है. आज इन फ्रेमवर्क्स का इस्तेमाल रेगिस्तानी हवा से पानी निकालने, प्रदूषकों को साफ करने, कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करने और हाइड्रोजन गैस को सुरक्षित रखने में किया जा रहा है. यह खोज न सिर्फ प्रयोगशालाओं में बल्कि पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान में भी बड़ी भूमिका निभा रही है.

तीन वैज्ञानिक, एक साझा विजन

सुसुमु कितागावा (क्योटो यूनिवर्सिटी, जापान), रिचर्ड रॉब्सन (यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया) और ओमर एम. यागी (यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, अमेरिका), इन तीनों को नोबेल पुरस्कार का समान हिस्सा मिलेगा. इनकी टीमवर्क और अनुसंधान ने रसायन विज्ञान को एक नई दिशा दी है, जहां अणुओं के संयोजन से ऊर्जा, पर्यावरण और औद्योगिक क्षेत्र में नई संभावनाएं खुल रही हैं.

पिछले साल की खोजों से आज की प्रेरणा तक

पिछले वर्ष 2024 में रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार डेविड बेकर, डेमिस हासाबिस और जॉन जंपर को मिला था – जिन्होंने प्रोटीन साइंस में क्रांतिकारी योगदान दिया था. अब 2025 में, यह सम्मान फिर से उस विज्ञान को मिला है जो मानवता के सामने खड़ी चुनौतियों को हल करने का प्रयास कर रहा है.

नोबेल की विरासत और विज्ञान का सम्मान

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज हर साल रसायन विज्ञान और भौतिकी में यह पुरस्कार देती है. इसकी नींव स्वीडिश वैज्ञानिक और इंटरप्रेन्योर अल्फ्रेड नोबेल ने रखी थी, जिन्होंने अपनी वसीयत में लिखा था कि उनका धन उन लोगों को सम्मानित करने के लिए उपयोग हो जो मानवता के लिए सबसे बड़ा लाभ लेकर आए हों. समय के साथ साहित्य, चिकित्सा, शांति और आर्थिक विज्ञान को भी इस विरासत में शामिल किया गया. 2025 का यह नोबेल एक याद दिलाता है कि विज्ञान सिर्फ प्रयोगशालाओं में नहीं, बल्कि मानवता की भलाई के लिए काम करने का नाम है.

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