Begin typing your search...

जॉन क्लार्क, मिशेल देवोरेट और जॉन मार्टिनिस को फिजिक्‍स का नोबेल पुरस्‍कार, क्वांटम तकनीक में लाए नई क्रांति

2025 का नोबेल पुरस्कार भौतिकी में जॉन क्लार्क, मिशेल देवोरेट और जॉन मार्टिनिस को “मैक्रोस्कोपिक क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा क्वांटाइजेशन” की खोज के लिए मिला. उनके शोध ने क्वांटम प्रभावों को बड़े सर्किट में दिखाने का रास्ता खोला, जो क्वांटम कंप्यूटर, क्वांटम सेंसर और क्वांटम क्रिप्टोग्राफी जैसी तकनीकों के विकास में अहम हैं. पुरस्कार राशि 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर है और इसे 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में प्रदान किया जाएगा.

जॉन क्लार्क, मिशेल देवोरेट और जॉन मार्टिनिस को फिजिक्‍स का नोबेल पुरस्‍कार, क्वांटम तकनीक में लाए नई क्रांति
X
( Image Source:  X/@NobelPrize )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 7 Oct 2025 4:32 PM IST

साल 2025 के लिए फिजिक्‍स के नोबेल पुरस्‍कारों का एलान हो चुका है. स्टॉकहोम से जारी एक ऐतिहासिक घोषणा में 2025 का नोबेल पुरस्कार भौतिकी के क्षेत्र में जॉन क्लार्क, मिशेल एच. देवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस को दिया गया है. रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज़ ने मंगलवार को बताया कि तीनों वैज्ञानिकों को यह सम्मान “मैक्रोस्कोपिक क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और विद्युत सर्किट में ऊर्जा क्वांटाइजेशन की खोज” के लिए प्रदान किया जा रहा है.

इनकी खोज ने क्वांटम फिजिक्स की पारंपरिक सीमाओं को तोड़ दिया. अब तक यह माना जाता था कि क्वांटम प्रभाव सिर्फ सूक्ष्म या परमाणु स्तर पर ही दिखते हैं, लेकिन इन वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया कि ये प्रभाव बड़े पैमाने पर बनाए गए सर्किट्स में भी देखे जा सकते हैं. यही खोज आगे चलकर क्वांटम कंप्यूटर, क्वांटम सेंसर और क्वांटम क्रिप्टोग्राफी जैसी तकनीकों की नींव बनी.

नोबेल कमेटी के चेयरमैन ओले एरिक्सन ने कहा, “यह बेहद शानदार है कि सौ साल पुरानी क्वांटम मैकेनिक्स हमें अब भी नई-नई खोजों से चकित कर रही है. साथ ही यह आधुनिक डिजिटल तकनीक की रीढ़ भी है.”

नई खोज से खुले नई संभानाओं के द्वार

उन्होंने बताया कि जिस तरह ट्रांजिस्टर कंप्यूटर माइक्रोचिप्स में क्वांटम सिद्धांतों के कारण संभव हुए, उसी तरह इस साल के नोबेल विजेताओं की खोज अगली पीढ़ी की क्वांटम टेक्नोलॉजी को आकार देने में मदद कर रही है. जॉन क्लार्क, मिशेल देवोरेट और जॉन मार्टिनिस के शोध ने दिखाया कि क्वांटम टनलिंग - यानी ऊर्जा के कणों का बिना किसी बाधा पार किए एक अवस्था से दूसरी अवस्था में कूद जाना - केवल परमाणु स्तर पर ही नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर बनाए गए इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में भी देखा जा सकता है. इस खोज ने भौतिकी और कंप्यूटर विज्ञान दोनों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए.

क्वांटम कंप्यूटरों की दिशा में नई क्रांति

तीनों वैज्ञानिकों की खोजों ने भविष्य के क्वांटम कंप्यूटरों के विकास की दिशा तय कर दी. जहां पारंपरिक कंप्यूटर 'बिट्स' पर काम करते हैं, वहीं क्वांटम कंप्यूटर 'क्यूबिट्स' का उपयोग करते हैं, जो एक साथ 0 और 1 दोनों स्थितियों में रह सकते हैं. इससे डाटा प्रोसेसिंग की क्षमता exponentially बढ़ जाती है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और मेडिकल रिसर्च जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है.

पुरस्कार और परंपरा

नोबेल पुरस्कार के तहत तीनों विजेताओं को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग ₹1.03 करोड़) की राशि दी जाएगी. यह सम्मान पारंपरिक रूप से 10 दिसंबर 2025 को स्टॉकहोम में आयोजित समारोह में प्रदान किया जाएगा - यह वही तारीख है जब नोबेल के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल का निधन हुआ था.

इस सप्ताह नोबेल सीरीज की शुरुआत सोमवार को हुई थी, जब फिजियोलॉजी या मेडिसिन का नोबेल मैरी ई. ब्रंकॉ, फ्रेड रैम्सडेल और शिमोन सकागुची को दिया गया था. आने वाले दिनों में रसायन, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के नोबेल विजेताओं की घोषणा की जाएगी.

पिछले वर्ष 2024 में भौतिकी का नोबेल जॉन जे. हॉपफील्ड और ज्योफ्री हिंटन को दिया गया था, जिन्होंने आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क और मशीन लर्निंग के लिए आधारभूत सिद्धांतों की खोज की थी. इस वर्ष का पुरस्कार उस परंपरा को आगे बढ़ाता है - यह साबित करते हुए कि विज्ञान की सीमाएं केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे हमारी रोज़मर्रा की तकनीकी दुनिया को भी बदल रही हैं.

वर्ल्‍ड न्‍यूज
अगला लेख