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Nobel Prize 2025: ‘पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस’ की खोज के लिए तीन वैज्ञानिकों को मिला चिकित्सा का नोबेल पुरस्‍कार

वैज्ञानिक मैरी ब्रंकॉ, फ्रेड राम्सडेल और शिमोन सकागुची को 2025 का फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार दिया गया है. इन्हें “परिफेरल इम्यून टॉलरेंस” के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित किया गया. इनके खोज ने कैंसर और ऑटोइम्यून रोगों के नए उपचार के रास्ते खोले हैं. स्वीडन के कैरोलिन्स्का इंस्टिट्यूट द्वारा इनका चयन किया गया और इन्हें 11 मिलियन स्वीडिश क्रोन और स्वर्ण पदक प्रदान किया गया. इनकी रिसर्च ने इम्यून सिस्टम और रेगुलेटरी टी-सेल्स के अध्ययन में नई दिशा दी है.

Nobel Prize 2025: ‘पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस’ की खोज के लिए तीन वैज्ञानिकों को मिला चिकित्सा का नोबेल पुरस्‍कार
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( Image Source:  X/@NobelPrize )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 6 Oct 2025 3:36 PM IST

दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित विज्ञान सम्मानों में से एक नोबेल पुरस्कार 2025 (Nobel Prize in Physiology or Medicine) इस बार तीन वैज्ञानिकों - मैरी ई. ब्रनको (Mary E. Brunkow), फ्रेड रैम्सडेल (Fred Ramsdell) और शिमोन सकागुची (Shimon Sakaguchi) - को प्रदान किया गया है. इन्हें यह सम्मान "पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस" (Peripheral Immune Tolerance) से संबंधित उनकी अभूतपूर्व खोज के लिए दिया गया है.

स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट (Karolinska Institute) की नोबेल असेंबली ने सोमवार को यह घोषणा की. तीनों वैज्ञानिकों के शोध ने न केवल मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को समझने के दृष्टिकोण को बदला, बल्कि कैंसर, ऑटोइम्यून बीमारियों और कई जटिल रोगों के इलाज के नए रास्ते भी खोले हैं.

क्या है 'पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस'?

पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस वह जैविक प्रक्रिया है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को अपनी ही कोशिकाओं (Self Cells) पर हमला करने से रोकती है.

सामान्य स्थिति में हमारी इम्यून सिस्टम हानिकारक तत्वों (जैसे वायरस, बैक्टीरिया) पर हमला करती है, लेकिन कभी-कभी वह गलती से शरीर के अपने ऊतकों को भी ‘विदेशी’ मान लेती है. यह स्थिति ऑटोइम्यून बीमारियों (जैसे टाइप-1 डायबिटीज, ल्यूपस, मल्टीपल स्क्लेरोसिस) का कारण बनती है.

शिमोन सकागुची ने सबसे पहले रेगुलेटरी टी-सेल्स (Regulatory T-Cells) की भूमिका की खोज की, जो शरीर के भीतर इस संतुलन को बनाए रखते हैं. वहीं, ब्रनको और रैम्सडेल ने इस खोज को आगे बढ़ाते हुए उन जीनों की पहचान की जो इन टी-सेल्स के विकास और कार्य को नियंत्रित करते हैं. इस शोध ने आधुनिक इम्यूनोथैरेपी (Immunotherapy) के नए युग की नींव रखी.

पुरस्कार और परंपरा

तीनों विजेताओं को लगभग 11 मिलियन स्वीडिश क्राउन (करीब 1.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की इनामी राशि और स्वीडन के राजा द्वारा दिया जाने वाला स्वर्ण पदक प्रदान किया जाएगा. यह समारोह हर वर्ष 10 दिसंबर को आयोजित किया जाता है - अल्फ्रेड नोबेल (Alfred Nobel) की पुण्यतिथि के दिन.

नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत 1901 में हुई थी. इन्हें डायनामाइट के आविष्कारक और उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार स्थापित किया गया था. चिकित्सा के अलावा यह पुरस्कार भौतिकी, रसायन, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के क्षेत्रों में दिया जाता है. अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार बाद में स्वीडन के केंद्रीय बैंक (Riksbank) द्वारा जोड़ा गया था.

ऐतिहासिक संदर्भ और महत्व

नोबेल पुरस्कार अब तक कई महान वैज्ञानिकों को मिल चुका है. 1945 में अलेक्जेंडर फ्लेमिंग को पेनिसिलिन की खोज के लिए और हाल के वर्षों में उन वैज्ञानिकों को जिन्होंने COVID-19 वैक्सीन विकास में अहम योगदान दिया. पिछले वर्ष अमेरिकी वैज्ञानिक विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रूवकुन को माइक्रो-आरएनए (microRNA) की खोज के लिए यह सम्मान मिला था, जिसने यह समझाया कि बहुकोशिकीय जीवों में कोशिकाएं कैसे विशेषीकृत होती हैं.

नोबेल का सीजन शुरू

हर साल की तरह चिकित्सा पुरस्कार (Medicine Prize) से नोबेल सीजन की शुरुआत होती है. आने वाले दिनों में भौतिकी, रसायन, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की जाएगी. पुरस्कार समारोह में स्वीडन और नॉर्वे के शाही परिवार शामिल होते हैं, और यह आयोजन स्टॉकहोम और ओस्लो में होता है.

मैरी ब्रनको, फ्रेड रैम्सडेल और शिमोन सकागुची की खोज ने मानव शरीर की सुरक्षा प्रणाली की गहराइयों को समझने का एक नया युग खोला है. उनका शोध न केवल विज्ञान में एक क्रांतिकारी उपलब्धि है, बल्कि यह कैंसर और ऑटोइम्यून बीमारियों से जूझ रहे करोड़ों लोगों के लिए नई उम्मीद भी लेकर आया है.

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