खैबर पख्तूनख्वा में टीटीपी का खूनी खेल! बम धमाके और गोलियों से हिला पाकिस्तान, 11 सैनिकों की मौत
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने एक घातक हमला किया. पहले IED धमाका हुआ, फिर भारी गोलीबारी. 11 सैनिक मारे गए और कई घायल. पाकिस्तान ने अफगान सीमा से घुसपैठ की साजिश का शक जताया है.

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मंगलवार को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने एक घातक हमला किया, जिसमें 11 अर्धसैनिक बलों के जवानों की मौत हो गई. यह हमला कुर्रम जिले में हुआ, जो अफगान सीमा के बेहद करीब है. आतंकियों ने पहले सड़क किनारे विस्फोटक (IED) से धमाका किया और उसके तुरंत बाद गोलियों की बौछार कर दी.
सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, आतंकियों ने बड़ी रणनीति के साथ हमला किया. पहले उन्होंने सड़क किनारे लगे बम से सैन्य काफिले को निशाना बनाया, जिससे कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं. इसके बाद घात लगाए बैठे हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. नौ सैनिक और दो अधिकारी मौके पर ही मारे गए, जबकि कई अन्य घायल बताए जा रहे हैं.
सेना ने घेरा इलाका
हमले के बाद घायल जवानों को नजदीकी सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है. घटना के तुरंत बाद सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को घेर लिया और सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया. अब तक किसी भी हमलावर को पकड़े जाने की खबर नहीं आई है, लेकिन सेना ने इलाके में उच्च सतर्कता जारी कर दी है.
टीटीपी ने ली जिम्मेदारी
पाकिस्तानी तालिबान संगठन टीटीपी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. रॉयटर्स को भेजे गए अपने बयान में टीटीपी ने दावा किया कि यह हमला उनके लड़ाकों ने अर्धसैनिक बलों के काफिले पर किया था. इस संगठन ने पिछले कुछ महीनों में अपने हमलों की आवृत्ति और तीव्रता दोनों बढ़ाई हैं.
पाकिस्तान की पुरानी चुनौती
पाकिस्तान सरकार लंबे समय से टीटीपी पर अफगानिस्तान की जमीन से हमलों की साजिश रचने का आरोप लगाती रही है. इस्लामाबाद का कहना है कि आतंकवादी अफगान सीमा पार अपने ठिकानों से हमले की तैयारी करते हैं. हालांकि, काबुल ने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा है कि अफगान भूमि किसी दूसरे देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं की जा रही.
कुर्रम: आतंक और अस्थिरता का गढ़
कुर्रम जिला, जहां यह हमला हुआ, दशकों से आतंक और सांप्रदायिक हिंसा का केंद्र रहा है. यहां पहले भी कई बड़े हमले हो चुके हैं. सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि यह इलाका पाकिस्तानी सेना के लिए लगातार चुनौती बना हुआ है और आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाना भी.
एक और खूनखराबा
यह घटना कोई अकेला मामला नहीं है. सितंबर में दक्षिण वजीरिस्तान में भी इसी तरह के हमले में 12 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे. उस हमले की जिम्मेदारी भी टीटीपी ने ली थी. लगातार हो रहे ऐसे हमले पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं.
पाकिस्तान की सुरक्षा पर खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर बढ़ते आतंक के खतरे को उजागर किया है. अफगानिस्तान में तालिबान शासन की वापसी के बाद टीटीपी के हौसले और बढ़े हैं. अब सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान अपनी सीमाओं के भीतर फैलते इस आतंक के जाल को रोक पाएगा या हालात और बिगड़ेंगे.