कल तक ट्रंप के 'तलवे चाट' रहा था पाकिस्तान, अब ईरान पर अमेरिकी हमले से भड़का; कहा- अंतरराष्ट्रीय कानून का हुआ उल्लंघन

अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर एयरस्ट्राइक के बाद मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ गया है. पाकिस्तान ने इन हमलों की कड़ी निंदा करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया और ईरान के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया. साथ ही पाकिस्तान ने युद्ध की बजाय कूटनीति को समाधान बताया और इजरायल-ईरान से युद्ध खत्म करने की अपील की. इसी बीच पाकिस्तान ने ट्रंप को भारत-पाक विवाद में शांति भूमिका के लिए नोबेल पुरस्कार के योग्य भी बताया.;

By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 22 Jun 2025 4:32 PM IST

Pakistan response over US airstrike on Iran: मिडिल ईस्ट में इज़राइल और ईरान के बीच चल रही जंग में अमेरिका की सीधी दखल से हालात और विस्फोटक हो गए हैं. अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर की गई बमबारी के बाद पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की एयरस्ट्राइक को अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन बताया और कहा कि ईरान को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है.

इस आधिकारिक बयान में पाकिस्तान ने कहा कि मिडिल ईस्ट की मौजूदा स्थिति बेहद चिंताजनक है और इसका असर क्षेत्रीय स्थिरता के साथ वैश्विक शांति पर भी पड़ सकता है. पाकिस्तान ने इज़राइल और ईरान दोनों से सैन्य संघर्ष रोकने और जल्द से जल्द कूटनीतिक समाधान अपनाने की अपील की है.

डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल प्राइज के लिए पाकिस्तान ने किया नॉमित

गौरतलब है कि पाकिस्तान और ईरान के बीच लगभग 900 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिस कारण इस टकराव का सीधा प्रभाव पाकिस्तान की सुरक्षा और आंतरिक स्थिति पर भी पड़ सकता है. इस घटनाक्रम से ठीक एक दिन पहले पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए औपचारिक रूप से नामित किया था.

 

'ट्रंप ने भारत-पाक संघर्ष को रोकने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका'

पाकिस्तान सरकार का दावा है कि 2025 में ट्रंप ने भारत-पाक संघर्ष को कूटनीतिक हस्तक्षेप के जरिए रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. खासतौर पर, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' और पाकिस्तान के 'ऑपरेशन बुनयान उन मरसूस' के बीच बढ़ते तनाव को ट्रंप ने बैक-चैनल डिप्लोमेसी के जरिए टाला. पाकिस्तान का कहना है कि इसी वजह से ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के असली हकदार हैं, लेकिन अब वही अमेरिका मिडिल ईस्ट में नए संकट की वजह बनता दिख रहा है. 

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