क्या म्यांमार की नेता आंग सांग सू की की हो चुकी है मौत? बेटे का दावा - सालों से नहीं हुई बात; जुंटा की चुप्पी से गहराया रहस्य
म्यांमार की जेल में बंद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू की को लेकर मौत की खबरों और अटकलों ने दुनिया भर में चिंता बढ़ा दी है. उनके बेटे के बयान और सैन्य जुंटा की लगातार चुप्पी से मामला और रहस्यमय होता जा रहा है.;
म्यांमार की अपदस्थ नेता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू की को लेकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता गहरा गई है. एनडीटीवी ने रायटर्स के हवाले से कहा है कि उनकी मौत की खबरों और अटकलों के बीच उनके बेटे ने दावा किया है कि कई वर्षों से उनका सू की से कोई संपर्क नहीं हो पाया है, जबकि सैन्य जुंटा की ओर से अब तक कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है.
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कौन हैं सू की?
आंग सान सू की म्यांमार की सबसे चर्चित लोकतांत्रिक नेता हैं. वे म्यांमार के स्वतंत्रता सेनानी आंग सान की बेटी हैं. 1991 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिला. लंबे समय तक सैन्य शासन के खिलाफ संघर्ष का चेहरा रहीं. 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद से जेल में बंद हैं.
सालों से कोई संपर्क नहीं
सू की के बेटे किम एरिस ने मीडिया से बातचीत में कहा, “कई साल हो चुके हैं, मेरी मां से मेरी कोई सीधी बात नहीं हो पाई है.” इस बयान के बाद सू की की सेहत और स्थिति को लेकर अटकलें और तेज हो गई हैं. टोक्यो में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "उन्हें लगातार हेल्थ प्रॉब्लम हैं। दो साल से ज़्यादा समय से किसी ने उन्हें नहीं देखा है. उन्हें उनकी लीगल टीम से बात करने की इजाज़त नहीं दी गई है, उनके परिवार की तो बात ही छोड़िए." "जहां तक मुझे पता है, वह शायद पहले ही मर चुकी होंगी."
जुंटा की चुप्पी क्यों बढ़ा रही है शक?
म्यांमार की सैन्य सरकार पहले भी सू की की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में मौन साध रखी है. जेल में रखे जाने की परिस्थितियों और कानूनी मामलों पर सीमित जानकारी ही देती रही है. अब मौत की खबरों पर भी चुप्पी ने संदेह को और गहरा कर दिया है.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और चिंता
मानवाधिकार संगठनों और कई देशों ने सू की की सुरक्षा और उनके जीवन को लेकर पहले भी सवाल उठाए हैं ताज़ अटकलों ने एक बार फिर वैश्विक दबाव बढ़ा दिया है.
क्या है सच्चाई?
फिलहाल, सू की की मौत की किसी ने आधिकारिक पुष्टि नहीं की है. न ही म्यांमार सरकार का स्पष्ट बयान इस मसले पर सामने आया है. ऐसे में खबरें अफवाह और आशंका के दायरे में ही हैं. नोबेल विजेता आंग सान सू की को लेकर फैली अनिश्चितता सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि म्यांमार में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की स्थिति का प्रतीक बन चुकी है. जब तक जुंटा चुप है, सवाल और रहस्य बने रहेंगे.