भारत की बमबारी से टूटी हेकड़ी, अब अमन-अमन चिल्ला रहे शरीफ; पाक ने रविवार तक बढ़ाया सीजफायर
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से शांति वार्ता की पेशकश की है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहल एक रणनीतिक विराम जैसी लग रही है. भारत ने इसे स्थायी शांति नहीं, बल्कि अस्थायी सैन्य दबाव के तहत उठाया गया कदम बताया है. कश्मीर को फिर से शर्त बनाना और सीमा पर सैन्य तैनाती इस ‘शांति प्रस्ताव’ पर सवाल खड़े करते हैं.;
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर भारत के साथ शांति वार्ता की इच्छा जताई है, लेकिन यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब हालिया सैन्य टकरावों ने दोनों देशों को युद्ध के मुहाने तक पहुंचा दिया था. कामरा एयरबेस पर सेना प्रमुख और वायुसेना प्रमुख के साथ मंच साझा करते हुए शरीफ की यह पेशकश कूटनीतिक से ज्यादा एक सैन्य सिग्नल की तरह देखी जा रही है.
शरीफ ने वार्ता की शर्तों में कश्मीर मुद्दे को शामिल करने की बात दोहराई, जिससे भारत की ओर से किसी उत्साह की संभावना ख़त्म हो गई. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि अब वार्ता तभी संभव है जब पाकिस्तान आतंकवाद को खुलकर नकारे और सीमा पार हमले बंद करे. शांति का यह प्रस्ताव दरअसल अंतरराष्ट्रीय मंचों को दिखाने की कवायद भी हो सकता है.
अस्थायी विराम या दबाव की रणनीति?
10 मई को भारत और पाकिस्तान ने एक अस्थायी सीजफायर का ऐलान किया, लेकिन भारत इसे ‘विराम’ मानता है, न कि पूर्ण विराम. भारतीय सेना ने साफ कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर को सिर्फ “रोका गया है”, और यदि पाकिस्तान फिर से कोई दुस्साहस करता है, तो जवाब और भी बुरा होगा. यह दिखाता है कि भारत अब पाकिस्तान की चालों को संदेह की निगाह से देखता है.
सीमा पर सैन्य तनाव और ताकत की नुमाइश
सीजफायर के बावजूद, पाकिस्तान ने एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर टैंकों, SH-15 हॉवित्जर और रिजर्व सेना यूनिट्स को तैनात किया, जिसके जवाब में भारत ने मिरर डिप्लॉयमेंट किया. दोनों देशों की सेनाओं ने शांति की बातों के बीच ही युद्ध जैसी तैयारी कर रखी है, जो बताता है कि भरोसे की कमी अभी भी गहरी है.
रविवार तक बढ़ा सीजफायर: पाक
10 मई को भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हुई बातचीत में दोनों पक्षों ने विश्वास बहाली के उपायों पर चर्चा की, लेकिन भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया. पाकिस्तान की ओर से इस पहल को विस्तार देने की कोशिश जरूर हुई है. विदेश मंत्री इशाक डार ने युद्धविराम को रविवार तक बढ़ाने की घोषणा की, लेकिन भारत की ओर से कोई पुष्टि नहीं आई. इससे संकेत मिलता है कि भारत अभी कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता.
ऑपरेशन सिंदूर का असर
भारत ने पहलगाम हमले के बाद जिस तीव्रता से सैन्य कार्रवाई की, उसने पाकिस्तान को अस्थायी शांति का प्रस्ताव देने के लिए मजबूर किया. भारत अब स्पष्ट रूप से इस स्थिति को अपने पक्ष में देख रहा है. सरकार और सेना दोनों का रुख यही है कि कोई भी नई वार्ता पाकिस्तान के ठोस कदमों पर निर्भर करेगी, न कि केवल बयानों पर. शांति तब ही मुमकिन है जब भरोसे की बुनियाद दोतरफा हो.
आग से पहले की चुप्पी
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत का सैन्य अभियान एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचा. ऑपरेशन सिंदूर के तहत 9 आतंकी ठिकानों पर बमबारी और 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि से यह स्पष्ट हो गया कि भारत अब जवाबी कार्रवाई में ‘प्रोएक्टिव स्ट्राइक’ नीति अपना रहा है. ऐसे में मौजूदा संघर्षविराम कोई स्थायी शांति का संकेत नहीं, बल्कि एक रणनीतिक विराम है.