Dhurandhar Movie में ऐसा क्या है, दहशत में आ गए मुस्लिम? 6 खाड़ी देशों ने फिल्म पर लगाया बैन
रणवीर सिंह स्टारर ‘धुरंधर’ भारत में बड़े पैमाने पर हिट हो रही है, लेकिन इसे बहरीन, कुवैत, ओमान, क़तर, सऊदी अरब और यूएई ने रिलीज़ की मंजूरी नहीं दी. फिल्म पर मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों ने इस्लामोफोबिया और एंटी-पाकिस्तान प्रोपेगेंडा के आरोप लगाए हैं, जबकि समर्थकों का कहना है कि फिल्म सिर्फ ISI–गैंग नेक्सस पर केंद्रित है. इसके बावजूद फिल्म ने पहले ही हफ्ते में 300 करोड़+ ग्रॉस कमा लिए हैं. सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर तीखी ideological लड़ाई जारी है, वहीं दर्शक इसे साल की सबसे शानदार स्पाय थ्रिलर बता रहे हैं.;
Dhurandhar Movie Controversy Middle East Gulf Countries Ban: आदित्य धर द्वारा निर्देशित जासूसी एक्शन ड्रामा मूवी ‘धुरंधर’ बॉक्स ऑफिस पर तूफान मचा रही है. भारत और विदेश, दोनों जगह फिल्म अच्छा प्रदर्शन कर रही है, लेकिन इसके बावजूद इसे छह खाड़ी देशों में पूरी तरह बैन कर दिया गया है. बहरीन, कुवैत, ओमान, क़तर, सऊदी अरब और यूएई ने फिल्म को रिलीज़ की मंजूरी नहीं दी. इससे यह सवाल खड़ा हो रहा है कि मुस्लिमों में फिल्म को लेकर दहशत का माहौल क्यों है....
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गल्फ देशों में इससे पहले भी Fighter, Tiger 3, Sky Force, Article 370 और The Kashmir Files जैसी फ़िल्में इसी पैटर्न पर रोकी जा चुकी हैं. 'धुरंधर' को लेकर खाड़ी देशों का मानना है कि यह फिल्म 'पाकिस्तान विरोधी' है. इसमें पाकिस्तान की नकारात्मक छवि को दिखाया गया है.
'धुरंधर' ने पहले ही हफ्ते कमाए 300 करोड़ से ज्यादा रुपये
फिल्म मेकर्स के अनुसार, धुरंधर ने पहले ही हफ्ते में ₹300 करोड़+ ग्रॉस वर्ल्डवाइड कमा लिए हैं. ग़ल्फ देश बॉलीवुड के लिए सबसे बड़े इंटरनेशनल मार्केट हैं, इसलिए बैन का सीधा असर कमाई पर पड़ता है. इसके बावजूद भारत में फिल्म का प्रदर्शन ऐतिहासिक है.
मुसलमानों में क्यों है फिल्म से ‘खौफ’?
सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर सबसे तीखी प्रतिक्रियाएं लेफ्ट–लिबरल और इस्लामोफोबिया नैरेटिव उठाने वाले यूज़र्स से आ रही हैं. तीन बड़े आरोप लगाए जा रहे हैं;
- इस्लामोफोबिया
- एंटी-पाकिस्तान प्रोपेगेंडा
- आदित्य धर की ‘कट्टर’ इमेज
बॉलीवुड लगातार मुसलमानों को नकारात्मक किरदारों में दिखाता है
कई मुस्लिम यूज़र्स का कहना है कि बॉलीवुड लगातार मुसलमानों को नकारात्मक किरदारों में दिखाता है. एक वायरल पोस्ट में लिखा गया, “हेट फैलाकर बॉलीवुड पैसा कमाता है, खासकर मुस्लिम नेगेटिव रोल्स दिखाकर.” लेकिन इसके जवाब में बड़ी संख्या में यूज़र्स ने तर्क दिया कि ये फिल्म इस्लाम पर नहीं, पाकिस्तान के टेरर नेटवर्क पर है. ISI और गैंग वॉर को दिखाना इस्लामोफोबिया कैसे हो गया?
फिल्म में बलोच मुस्लिम कैरेक्टर्स को ISI के दमन का शिकार दिखाया गया है, न कि इस्लाम को निशाना बनाया गया है. विरोधियों का आरोप इसलिए भी कमजोर पड़ता है क्योंकि कई अंतरराष्ट्रीय समीक्षक भी मान रहे हैं कि फिल्म स्टेट-टेररिज़्म को टारगेट करती है, धर्म को नहीं.
क्या यह ‘एंटी-पाकिस्तान प्रोपेगेंडा’ है?
फिल्म के विरोधियों ने इसे 'सबसे खराब प्रोपेगेंडा फिल्म' कहा, लेकिन इसके जवाब में दर्शकों का बड़ा वर्ग लिख रहा है कि अगर पाकिस्तान के गैंग-माफिया, 26/11 और कंधार जैसे रियल इवेंट दिखाना प्रोपेगेंडा है, तो साल में 12 ऐसी फिल्में बननी चाहिए. फिल्म में कंधार हाइजैक, पार्लियामेंट अटैक, 26/11 और ISI–गैंग–करंसी नेटवर्क जैसी घटनाएँ दिखाई गई हैं, जो इतिहास का हिस्सा हैं. अमन की आशा जैसी नीतियों पर भी फिल्म सवाल करती है और बताती है कि कैसे उस दौर में भारत कठोर कदम नहीं उठा पाया.
क्या फिल्म BJP का PR है?
कई आलोचक इसे भाजपा की इमेज बिल्डिंग कहते हैं, लेकिन फिल्म का बड़ा हिस्सा 2008 तक की सरकारों पर केन्द्रित है, जहां कठोर फैसले न लेने पर सवाल उठाए गए हैं. यह दौर वाजपेयी सरकार से भी जुड़ा था। इसलिए फिल्म को BJP PR कहना खुद में सतही तर्क लगता है. हां, फिल्म के अंत में 'ये नया भारत है, जो घर में घुसकर मारता है' जैसा टोन है, लेकिन यह भारतीय दर्शकों में मौजूद मौजूदा राष्ट्रवादी भावनाओं से मेल खाता है, न कि किसी पार्टी की ब्रांडिंग से...
आदित्य धर पर ‘कट्टर’ होने का आरोप क्यों?
धर की पिछली फिल्में, URI: The Surgical Strike, Article 370—लंबे समय से 'प्रोपेगेंडा' का टैग झेल रही हैं. एक वरिष्ठ पत्रकार ने व्यंग्य किया कि आदित्य धर कट्टरपंथी हैं... लेकिन X पर हजारों लोग लिख रहे हैं- URI मेरा ऑल टाइम फेवरेट है- धर को सलाम. धर पर हमले इसलिए हो रहे हैं क्योंकि उनकी फिल्में रियल जियोपॉलिटिक्स और भारतीय एजेंसियों के ऑपरेशंस को सिनेमैटिक फॉर्म में दिखाती हैं, जो कुछ वर्गों को असहज करती हैं.
धुरंधर: क्राफ्ट, टेक्निक और स्क्रीनप्ले का मास्टरक्लास
214 मिनट की यह फिल्म आश्चर्यजनक रूप से बिल्कुल भी लंबी नहीं लगती. कराची और लियारी की गलियों की सिनेमैटोग्राफी इतनी असली लगती है कि दर्शक धूल, खून और बारूद महसूस कर लेते हैं.
- लो-लाइट फोटोग्राफी – बेहतरीन
- एडिटिंग – रेज़र शार्प
- स्क्रीनप्ले – लगातार टेंशन बिल्ड करता है
- एक्टिंग – रणवीर, संजय दत्त, अक्षय खन्ना, माधवन सभी टॉप फॉर्म में
- लोग थिएटर से निकलते हुए सिर्फ एक बात कह रहे हैं- काश फिल्म आधा घंटा और होती.
बैन के बावजूद ‘धुरंधर’ साल की सबसे बड़ी हिट बनने की राह पर
ग़ल्फ बैन के बाद भी भारत में इसकी रफ्तार कम नहीं हुई है. शुरुआती कलेक्शन के आधार पर ट्रेड पंडितों की भविष्यवाणी है कि यह फिल्म ₹500 करोड़+ क्लब को आराम से पार कर सकती है... और सबसे बड़ी बात—प्रोपेगेंडा का टैग लगने के बावजूद फिल्म की जबरदस्त सफलता यह साबित करती है कि दर्शक कहानी और क्राफ्ट को पहचानते हैं, नैरेटिव को नहीं..