Akshay Khanna का रेहमान डकैत किरदार, जिसके आगे रणवीर तो क्या संजय दत्त, माधवन और अर्जुन रामपाल भी पड़ गए फीके
रेहमान डकैत (सरदार अब्दुल रहमान बलोच) पाकिस्तान के इतिहास का सबसे खतरनाक गैंगस्टर था, जिसने कराची के ल्यारी इलाके को 2000-2009 तक अपने खौफ के साये में रखा. 1975 में बलूचिस्तान में जन्मा यह शख्स 14 साल की उम्र में ही अपराध की दुनिया में कूद पड़ा.
पाकिस्तान के सबसे खतरनाक और विवादास्पद क्रिमनल बैकग्राउंड में से एक का चेहरा था सरदार अब्दुल रहमान बलोच, जिसे दुनिया 'रेहमान डकैत' (Rehman dacoit) के नाम से जानती है. यह नाम ल्यारी गलियों में दहशत का जाना माना नाम बन गया था. एक ऐसा इलाका जो कराची के दिल में बसा है, लेकिन अपराध, गैंगवार और हिंसा की आग में जलता रहता है. रेहमान डकैत की कहानी सिर्फ अपराध की नहीं, बल्कि एक गरीब लड़के के महत्वाकांक्षी सफर की है, जो सड़कों की धूल से शुरू होकर लाखों लोगों की निर्मम हत्या तक पहुंची और हाल ही में, बॉलीवुड की फिल्म 'धुरंधर' (Dhurandhar) (2025) में एक्टर अक्षय खन्ना ने इस किरदार को इतनी गहराई से निभाया कि दर्शक आज भी उसके डायलॉग्स और नजरों में थरथराने लगते हैं.
बॉलीवुड की उस फिल्म की, जो रेहमान की कहानी को नई जिंदगी दे रही है. 'धुरंधर' जो 5 दिसंबर को रिलीज हुई है. निर्देशक आदित्य धर की स्पाई थ्रिलर, रणवीर सिंह के नेतृत्व में बनी है. इसमें संजय दत्त एसपी चौधरी असलम (एक रियल लाइफ पुलिस ऑफिसर) के रोल में हैं, जबकि अक्षय खन्ना ने रेहमान डकैत को एक खतरनाक विलेन के रूप में दिखाया गया है. फिल्म लियारी गैंगवार को केंद्र में रखती है, जहां रणवीर का किरदार एक भारतीय एजेंट है जो पाकिस्तानी गैंग्स के बीच घुसपैठ करता है.
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सांस रोक देती है सीन्स
अक्षय खन्ना का परफॉर्मेंस कमाल का है वह रेहमान की आंखों में वह चमक लाते हैं एक तरफ क्रूरता, दूसरी तरफ दर्द का. फिल्म में एक सीन है जहां रेहमान अपने कजिन उजैर (फिल्म में दिखाया गया) के साथ अरबी स्टाइल में गाना गाते हुए दुश्मनों को धमकाते हैं. यह सीन इतना इंटेंस है कि दर्शक सांस रोक लेते हैं. फराह खान ने तो ट्वीट करके कहा, 'अक्षय खन्ना ऑस्कर डिजर्व करते हैं.' फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया है, और सोशल मीडिया पर #RehmanDakait ट्रेंड कर रहा है. यह किरदार रेहमान की असली जिंदगी को थोड़ा ड्रामेटाइज्ड करता है ज्यादा एक्शन, ज्यादा डायलॉग्स लेकिन उसकी 'पीसकीपर' वाली छवि को सही से कैप्चर करता है.
कौन था रेहमान डकैत?
1975 में, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के एक छोटे से गांव में पैदा हुए रेहमान का परिवार अपराध की छाया में पला-बढ़ा. उसके पिता एक छोटे-मोटे चोर थे, जो स्थानीय बाजारों में चोरी-चकारी का धंधा चलाते थे. लेकिन रेहमान का जन्म एक ऐसे दौर में हुआ जब बलूचिस्तान की धरती पर जातीय संघर्ष और आर्थिक तंगी ने हर घर को प्रभावित कर लिया था. किशोरावस्था में ही, मात्र 14-15 साल की उम्र में, रेहमान का परिवार कराची के ल्यारी इलाके में शिफ्ट हो गया. ल्यारी यह नाम सुनते ही पाकिस्तानी सड़कों पर खड़े हो जाने वाले गुंडों की याद आ जाती है. यह इलाका 1980-90 के दशक में अफगानिस्तान से लौटे शरणार्थियों और स्थानीय बलूचों का मिश्रण था, जहां ड्रग्स, हथियारों का तस्करी और जबरन वसूली रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुकी थी.
ल्यारी का राजा बनने का सपना
रेहमान ने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी स्कूल की बजाय, वह ल्यारी की तंग गलियों में घूम-फिरकर छोटे-मोटे अपराध सीखने लगा. शुरुआत हुई ड्रग्स की छोटी-मोटी बिक्री से हेरोइन और चरस के पैकेट्स को छिपाकर बेचना. लेकिन रेहमान में कुछ खास था एक अट्रैक्टिव पर्सनालिटी लंबा कद, तेज नजरें और मीठी लेकिन धमकी भरी आवाज ये सब उसे भीड़ से अलग करते थे. जल्द ही वह स्थानीय गैंग 'कच्ची बकर गैंग' से जुड़ गया, जो ल्यारी का सबसे पुराना अपराध सिंडिकेट था. यहां से उसकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया. वह सिर्फ एक छोटा चोर नहीं रहा, बल्कि एक अपराधी बन गया, जो सपना देखता था ल्यारी का 'राजा' बनने का.
अपराध की आग गैंगवार और खूनी संघर्ष
2000 के दशक की शुरुआत में लियारी गैंगवार का दौर चरम पर था. विभिन्न गुटों जैसे अमनुल्लाह गैंग, रहमान गैंग और उजैर गैंग के बीच खूनखराबा मचा हुआ था. रेहमान ने 2002 में अपने चचेरे भाई उजैर बलोच के साथ मिलकर अपना खुद का गैंग बनाया. उजैर, जो रेहमान से थोड़ा बड़ा था, हथियारों का एक्सपर्ट था. दोनों भाइयों ने मिलकर लियारी के कई इलाकों पर कब्जा जमा लिया. रेहमान डकैत का नाम पहली बार तब सुर्खियों में आया जब उसने एक बड़े ड्रग तस्कर को सड़क पर ही चाक़ू मार दिया था. यह हत्या सिर्फ बदला नहीं थी, बल्कि एक संदेश थी 'ल्यारी अब मेरी है.' उनके साम्राज्य का विस्तार तेजी से हुआ. पहला क्राइम उसके लिए हिम्मत बनी और उसने दूसरा सबसे बड़ा क्राइम किया अपनी मां खदीजा की हत्या जब उसने पहले उनका गला दबाया फिर पंखें से लटकाया.
'पीसकीपर' का लास्ट चैप्टर
2009 का वह काला साल 12 मार्च को, लियारी की एक तंग गली में रेहमान डकैत का सामना पाकिस्तानी स्पेशल फोर्सेस से हुआ. आधिकारिक रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक एनकाउंटर में उसे मार गिराया गया. लेकिन सच्चाई इससे ज्यादा जटिल थी. कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि यह एनकाउंटर स्टेज्ड था रेहमान ने सरेंडर करने की कोशिश की थी, लेकिन उसे मौके पर ही गोली मार दी गई.





